• दोपहर बाद अहोई माता की कहानी सुन शाम को तारों को अघ्र्य देकर खोला व्रत
  • अनहोनी को होनी कर देने में समर्थ है, मां अहोई : आचार्य पवन शर्मा

Jind News (आज समाज) जींद। जिलेभर में सोमवार को अहोई अष्टमी पर्व श्रद्धा से मनाया गया। मां ने अपने बच्चों की की दीर्घायु को लेकर निर्जला व्रत रखा और दोपहर बाद अहोई माता की कहानी सुनकर अपने बच्चों के लिए मंगल कामना की। महिलाओं ने श्रद्धा स्वरूप बुजुर्ग महिला को सूट, मिठाई आदि भेंट कर आशीर्वाद लिया। शाम को तारों को अघ्र्य देकर व्रत खोला। महिला रानी, सुनीता ने बताया कि पूर्वजों के समय से अपने बच्चों की लंबी आयु की कामना के लिए व संतान प्राप्ति को लेकर अहोई अष्टमी माता की पूजा करने का विधान है।

तारे देखने के बाद महिलाएं व्रत खोलती हैं

दोपहर को अहोई माता की कथा सुन कर व्रत का पालन करती हैं। इसके बाद रात को तारे देखने के बाद महिलाएं व्रत खोलती हैं। वहीं माता वैष्णवी धाम में अहोई अष्टमी के दिन मातृभक्तों के सत्संग का आयोजन हुआ। यहां सजी-संवरी महिलाओं ने इस अवसर पर विषेषरूप से निर्मित मंडप में प्रतिष्ठित अहोई माता की परम्परागत तरीके से पूजा अर्चना की व आरती उतारी व अहोई माता से अपनी संतान की दीर्घायु व उन्नति की कामना की। यहां आचार्य पवन शर्मा ने कहा कि मां एक, मां की ज्योति एक, किन्तु मां के स्वरूप अनेक।

मां अनहोनी को होनी करने में पूर्ण समर्थ

आचार्य ने कहा कि वस्तुत: ये महाशक्ति ही परब्रह्म परमात्मा है, जो विभिन्न रूपों में विविध लीलाएं कर रही है। ये ही नव दुर्गा है  और ये ही दस महाविद्या है। ये ही अन्नपूर्णा, जगत्द्धात्री, कात्यायनी व ललिताम्बा है। गायत्री, भुवनेश्वरी, काली, तारा, बगला, षोडषी, धूमावती, मातंगी, कमला, पद्मावती, दुर्गा आदि इन्हीं के स्वरूप हैं। मां अनहोनी को होनी करने में पूर्ण समर्थ है। इसलिए मां का एक नाम पड़ा-अहोई।

जो माताएं कार्तिक कृष्ण अष्टमी को अहोई माता का व्रत रखती हैं व श्रद्धा,  भक्तिपूर्वक उनकी आराधना करती हैं, मां उनको दीर्घायु व यशस्वी संतान की प्राप्ति कराती हंै और उनके यहां अन्न-धन के भंडारे भरपूर कर देती है। इस अवसर पर भजन व संकीर्तन का आयोजन भी हुआ। जिसमें महिला श्रद्धालुओं ने अपनी भक्तिपूर्ण प्रस्तुति दी।

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