- चारों लेबर कोड्स को रद्द करने की मांग
Jind News,आज समाज, जींद। मजदूर भवन धागा मील कॉलोनी में आशा वर्कर्स यूनियन हरियाणा की बैठक जिला प्रधान नीलम की अध्यक्षता में संपन्न हुई। बैठक का संचालन जिला सचिव राजबाला ने किया। बैठक में यूनियन ने फैसला लिया कि भाजपा सरकार की मजदूर व कर्मचारी विरोधी नीतियों के खिलाफ देशभर में 26 नवंबर को होने वाले जिलास्तरीय प्रदर्शन में जिला की तमाम आशा वर्कर्स एवं फैशलिटेटर पूरे जोश और हौसलों के साथ बढ़चढ़ कर भाग लेगी।
सिफारिश किए हुए एक दशक से अधिक समय बीत चुका
साथ ही आठ दिसंबर को केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल के आवास पर करनाल में महापड़ाव में भी बड़ी संख्या में हिस्सेदारी करेगी। इस वर्ष एनएचएम ने 20 वर्ष पूरे किए हैं। 45वीं भारतीय श्रम सम्मेलन द्वारा स्कीम वर्कर्स को नियमित करने, न्यूनतम वेतन और सामाजिक सुरक्षा की सिफारिश किए हुए एक दशक से अधिक समय बीत चुका है। सरकार ने मार्च 2025 की शुरुआत में ही आशा वर्कर्स के निश्चित वेतन में वृद्धि की घोषणा की थी लेकिन अभी तक इसे लागू नहीं किया गया है।
डिजिटलीकरण के नाम पर सरकार इन योजनाओं के हकदारों को समाप्त करने के पागलपन में लगी हुई है। बजट कटौती और वेतन का भुगतान न होना आम बात हो गई है। इन योजनाओं में सेवाओं की गुणवत्ता सुधारने के लिए आवंटन भी लंबे समय से नहीं बढ़ाया गया है। सरकार न्यूनतम वेतन नहीं बढ़ा रही। चार लेबर कोड्स को कल से पूरे देश में लागू कर दिया। इन लेबर कोड्स के लागू होने से अब मेहनत करने वाली जनता पूंजीपतियों की गुलाम बनकर रहा जाएगी। सामाजिक सुरक्षा, न्यूनतम वेतन सब कुछ छीन लिया जाएगा।
पुराने श्रम किए जाए कानून बहाल
आशा वर्कर्स 26 नवंबर को जिला स्तरीय विशाल प्रदर्शन में कंधे से कंधा मिलाकर बढ़चढ़ कर भाग लेगी और आठ दिसंबर को झरनाल में होने वाले महापडाव में भी हिस्सेदारी करेगी। उन्होंने मांग की कि विरोध के बावजूद लागू किए गए चारों लेबर कोड्स को रद्द किया जाए और पुराने श्रम कानून बहाल किए जाए। न्यूनतम वेतन 26 हजार रुपये लागू हो और हड़ताल के दौरान का मानदेय जारी हो, आशा वर्कर्स एवं फैशलिटेटर को स्थाई कर्मचारी बनाया जाए। आशा वर्कर्स एवं फैशलिटेटर को तीसरे दर्जे के कर्मचारी का दर्जा दिया जाए।
पेंशनए ग्रेच्युटी एक्सग्रेशिया सहित सभी सामाजिक सुरक्षा लाभ दिए जाए। परियोजनाओं के निजीकरण के प्रयास तुरंत बंद किए जाए और सुचारु संचालन के लिए पर्याप्त बजट का प्रबंध किया जाए। राष्ट्रीय शिक्षा नीतिए डिजिटल हैल्थ मिशन को रद्द किया जाए। 60 साल के बाद सभी को 10 हज़ार रुपये मासिक पेंशन दी जाए। आंदोलन के दौरान बने सभी मुक़ददमे रद्द हो। हड़ताल का बकाया मानदेय जारी हो।
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