• यह कैसी जननी सुरक्षा योजना, सीएचसी अलेवा का कारनामा
  • सीएचसी अलेवा में कर्मचारियों की मनमानी का शिकार हो रही गर्भवती महिलाएं

(Jind News) जींद। जननी सुरक्षा योजना के तहत सरकारी अस्पतालों में भर्ती प्रसुताओं को भोजन देने के स्पष्ट निर्देश हैं लेकिन सीएचसी अलेवा में विभाग के निर्देशों की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही है। ऐसा ही मामला सोमवार को सीएचसी अलेवा में देखने को मिला, जिसमें महिला को प्रसव के बाद स्वास्थ्य विभाग ने पीने के लिए दूध तो उपलब्ध करवा दिया लेकिन भोजन के मामले में उक्त महिला भूख से बिलबिलाती रही।

यही नहीं महिला के परिजनों के द्वारा स्वास्थ्य विभाग के उच्चाधिकारियों के समक्ष मामला उठाए जाने के बाद भी विभाग ने सीएचसी में बजट का रोना रोकर महिला को खाने के मामले में एक बिस्किट का पैकट देकर चुप करवा दिया। गांव गोहियां निवासी पीडि़त महिला की सासु मां अजमेरो उर्फ जगीरों ने बताया कि उसके लड़के की पत्नी सपना ने सोमवार सुबह 6 बजे के करीब सीएचसी अलेवा में एक स्वस्थ लड़की को जन्म दिया था।

भोजन के मामले में कर्मचारी एक बिस्किट का पैकट देकर चलते बने

महिला के प्रसव के बाद स्वास्थ्य विभाग ने जच्चा को पीने के लिए दूध तो उपलब्ध करवा दिया लेकिन भोजन के मामले में कर्मचारी जच्चा के हाथों में एक बिस्किट का पैकट देकर चलते बने। जिसके कारण आखिर में उनको घर से खाना आदि मंगवा कर खाना पड़ा।

महिला ने बताया कि वैसे तो स्वास्थ्य विभाग तथा सरकार गर्भवती महिलाओं के उत्थान के लिए अनेक प्रकार की योजनाएं चला कर उत्थान करने की बात करती है, लेकिन धरातल पर प्रसव के बाद महिलाओं को खाना तक नसीब नहीं होता है। जिसके कारण गर्भवती महिलाओं तथा उनके स्वजनों में सरकार तथा स्वास्थ्य विभाग के आलाधिकारियों के प्रति रोष है।

सरकारी अस्पतालों में गर्भवती महिलाओं को प्रसव के बाद नाश्ता, दूध तथा भोजन देने का प्रावधान

गौरतलब है कि सरकारी अस्पतालों में गर्भवती महिलाओं को प्रसव के बाद नाश्ता, दूध तथा भोजन देने का प्रावधान है। नार्मल डिलीवरी में प्रसूता को कम से कम 48 घंटे तथा आपरेशन की स्थिति में सात दिन तक अस्पताल में रहना होता है। जिसमें महिला को डाइट के तौर पर प्रतिदिन 100 रुपये मिलते हैं। इसी प्रावधान के माध्यम से प्रसूता को भोजन मिलता है, लेकिन यही व्यवस्था सीएचसी अलेवा में कर्मचारियों की मनमानी की शिकार हो गई है।

सीएचसी अलेवा डाइट इंचार्ज पूनम ने बताया कि बजट के अभाव मेें चार-पांच दिन से प्रसव के बाद महिलाओं को खाना नहीं मिल रहा है। इसके लिए उसने पहले भी घर से 14 हजार रुपये लगा रखे हैं लेकिन अभी तक अक्तूबर महिने से एक भी रूपया नहीं मिला है। जिसके कारण प्रसव के बाद महिलाओ को खाना नहीं मिल रहा है।

प्रसव के बाद महिलाओं को खाना नहीं देना गलत : सीएमओ

नागरिक अस्पताल जींद की सिविल सर्जन डा. सुमन कोहाली ने बताया कि प्रसव के बाद महिलाओं को खाना देने का प्रावधान है। इसके लिए बजट आदि बहाना नहीं बनाया जा सकता है। दूसरे जगहों से पैसा लेकर प्रसव वाली महिलाओं को खाना आदि दिया जा सकता है। इसके लिए बैठक में एसएमओ से बात की जाएगी। प्रसव के बाद महिलाओं को खाना नहीं देना गलत है।

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