- वंदे मातरम संपूर्ण भारत की आत्मा, चेतना और वीरता का प्रतीक : कृष्ण बेदी
- कैबिनेट मंत्री कृष्ण कुमार बेदी ने की मुख्यअतिथि के रूप में शिरकत
Jind News(आज समाज) जींद। सामाजिक, न्याय एवं अधिकारिता मंत्री कृष्ण कुमार बेदी ने कहा कि वंदे मातरम केवल दो शब्द नही बल्कि संपूर्ण भारत की आत्मा, चेतना और वीरता का प्रतीक है। जब-जब विदेशी शासन की बेडिय़ां भारी हुईं, तब-तब वंदे मातरम के उद्घोष ने स्वतंत्रता सेनानियों के मन में नई ऊर्जा और साहस का संचार किया। कैबिनेट मंत्री शुक्रवार को वंदे मातरम के 150 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष में शुक्रवार को चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय में आयोजित जिला स्तरीय कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि महान साहित्यकार बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने वर्ष 1875 में अपनी रचना आनंद मठ में वंदे मातरम की अमर पंक्तियां लिखी। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्तरीय कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिल्ली से तथा राज्य स्तरीय कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी अंबाला में चल रहे कार्यक्रम के संबोधन का लाइव प्रसारण किया गया। इस अवसर पर डीसी मोहम्मद इमरान रजा, पुलिस अधीक्षक कुलदीप सिंह, एडीसी विवेक आर्य, सीआरएसयू की रजिस्ट्रार लवलीन मोहन, जींद के एसडीएम सत्यवान मान तथा बीजेपी के जिला प्रधान तजेंद्र ढुल के अलावा विभिन्न विभागों के अधिकारी तथा विभिन्न स्कूलों से आए विद्यार्थी व अध्यापक मौजूद रहे।
प्रदर्शनी का किया अवलोकन
कार्यक्रम में पहुंचने पर कैबिनेट मंत्री कृष्ण कुमार बेदी ने वंदे मातरम के उपलक्ष में लगी प्रदर्शनी का अवलोकन किया। स्कूली विद्यार्थियों द्वारा देशभक्ति से ओतप्रोत रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात 24 जनवरी 1950 को संविधान सभा में डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने घोषणा की कि वंदे मातरम को जन-गण-मन के समान सम्मान प्राप्त होगा। यह निर्णय उस भावना का प्रतीक था, जिसने भारत को स्वतंत्रता के शिखर तक पहुंचाया। कैबिनेट मंत्री ने उपस्थित लोगों को बधाई देते हुए कहा कि वंदे मातरम गीत के 150 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष में देश भर में विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।
यह कार्यक्रम सात नवंबर 2025 से आरंभ होकर सात नवंबर 2026 तक चार चरणों में आयोजित किए जाएंगे। वर्षभर चलने वाले कार्यक्रमों का उद्देश्य वंदे मातरम गीत की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रीय महत्व को जन-जन तक पहुंचाना है ताकि नई पीढ़ी वंदे मातरम की मौलिक एवं क्रांतिकारी भावना को आत्मसात कर सकें। वंदे मातरम गीत ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान देशवासियों में राष्ट्रीय चेतना और एकता की भावना जगाई थी। इसी भावना को देशवासियों में पुन: प्रबल करने के लिए वर्षभर विभिन्न शैक्षणिक, सांस्कृतिक और देशभक्ति आधारित गतिविधियां आयोजित की जाएंगी।
वंदे मातरम के शब्दों से देश भक्ति की होती है भावना जागृत
इन कार्यक्रमों के माध्यम से वंदे मातरम गीत की रचना, बंकिम चंद्र चटर्जी के जीवन, स्वतंत्रता संग्राम में इस गीत की भूमिका तथा भारत के इतिहास पर इसके प्रभाव की जानकारी दी जाएगी। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए उपायुक्त मोहम्मद इमरान रजा ने कहा कि वंदे मातरम के शब्दों से ही देश भक्ति की भावना जागृत होती है। भारत मां जब जंजीरों में जकड़ी हुई थी तब गीत को आनंद मठ उपन्यास में पहली बार 1882 में प्रकाशित किया गया। उन्होंने कहा कि वर्ष 1896 में गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने कांग्रेस अधिवेशन में इसे पहली बार सार्वजनिक रूप से गाया। वर्ष 1905 के बंगाल विभाजन आंदोलन से लेकर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद सरकार की स्थापना तक, यह गीत आजादी का नारा बना रहा।
उन्होंने युवाओं को आह्वान किया कि स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा दिए गए बलिदान से ही हमें आजादी मिली थी। उन्होंने इसके लिए बहुत यातनाएं झेली हैं। उन्होंने बधाई देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में इसको पूरे भारतवर्ष में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। मुख्यअतिथि द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम में भाग लेने वाले प्रतिभागियों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का समापन राज्य गीत के साथ हुआ। उपस्थित जनसमूह ने एक स्वर में वंदे मातरम उद्घोष किया गया।
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