• अमृत चखना सिख धर्म एक महान संकल्प : गुरजीत सिंह

Jind News(आज समाज) जींद। पटियाला चौक स्थित गुरुद्वारा टिकाना बाबा बंदा सिंह बहादुर में साध संगत व प्रबंधक कमेटी के सहयोग से 31 लोगों को अमृत छकाया गया। लुधियाना से आए हुए ग्रंथी साहिबानों ने इस अवसर पर विशेष रूप से संगतों को प्रेरित किया व बड़े श्रद्धापूर्वक अमृत चखने की सेवा पूरी की।  इस अवसर पर गुरुद्वारा साहिब के प्रधान अशोक सचदेवा, कैशियर अमरजीत मक्कड़, महासचिव राजेश मक्कड़, गुरुद्वारा साहिब के हेड ग्रंथी भाई गुरजीत सिंह उपस्थित रहे।

गुरुद्वारा साहिब के हेड ग्रंथी भाई गुरजीत सिंह ने कहा कि केशगढ़ साहेब आनंदपुर से ही सिखों के महान गुरु श्री गुरु गोविंद सिंह जी ने अमृत पान किया था। जिसमें कड़ा, कंघा, कछा, केश व कृपाण धारण कराया जाता है और उसे सिख धर्म में शामिल किया जाता है।

अमृत चखना सिख धर्म एक महान संकल्प

कड़ा, कंघा, कछा, केश व कृपाण को धारण करने से व्यक्ति को सिख धर्म की मान्यता दी जाती है और उसके अनुसार ही जीवन यापन कराना होता है। इसमें अमृत पान करने वाले सिख समुदाय के लोगों को धर्म के अनुसार कार्य करने होते हैं। अमृत चखना सिख धर्म एक महान संकल्प है। सिखों के दसवें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह साहिब ने 1699 में बैसाखी के दिन भरी सभा मे पांच शीशों की मांग की और लाखों की भीड़ में से पांच लोग अपना शीश देने के लिए तैयार हुए। जिनको बाद में अमृत चखा कर पंच प्यारों का दर्जा दिया गया।

गुरु साहिब ने खुद भी पंच प्यारों से अमृत की दात मांगी और तभी से उनके नाम के आगे भी सिंह लगाया जाने लगा। उन्होंने संदेश दिया था कि हमें धर्म व देश की रक्षा के लिए सदैव एक रहना चाहिए। किसी भी मजहब के साथ ईष्र्या व द्वेष की भावना नहीं रखनी चाहिए।

गुरु साहिब ने अमृत चखा कर खालसा पंथ किया था तैयार

गुरुद्वारा साहिब के हेड ग्रंथी भाई गुरजीत सिंह ने कहा कि गुरु साहिब ने अमृत चखा कर खालसा पंथ तैयार किया था। तभी से पंथ का असूल है कि अमृत चख कर खालसा पंथ में प्रवेश लिया जाता है। गुरुद्वारा साहिब के प्रधान अशोक सचदेवा ने बताया कि गुरु साहिब ने कहा कि प्रथम रहत एह जान खंडे की पहुल छके।

जिसका भावार्थ: है कि सबसे पहले नियम यह है कि अमृत चख कर गुरु वाले बनों। इसीलिए हर बड़े गुरु पर्व या धार्मिक कार्यक्रम का मुख्य निचोड़ होता है अमृत संचार। जिसमें पंच प्यारे साहिबान प्राणियों यानी इंसानों को अमृत की दात देकर खालसा पंथ में जोड़ते हैं और प्राणी अमृत पान कर गुरु वाले बनते हैं। इस मौके पर सभी अमृत चखने वाले प्राणियों को गुरु वाला बनने पर बधाई दी।