खेत की मेड़ों पर उगी घास से फसलों पर बढ़ेगा कीटों का प्रकोप
Pigeon Pea Farming, (आज समाज), नई दिल्ली: मानसून की बौछारें जहां खरीफ की फसलों के लिए वरदान बनकर आती हैं और रबी फसल की खेती को लेकर एक अच्छी उम्मीद जगाती हैं। वहीं यही, बारिश किसानों के लिए एक चुनौती भी खड़ी करती है। फसल लगी खेतों की मेड़ों और परती जमीन के किनारे घनी दूब और जंगली घास उग आती है, जो कीटों के लिए उनके अड्डा सुरक्षित रखने का बेहतर स्थान होता है। वहीं, जब यह अंडे पिल्लू में तब्दील होते हैं तो फसलों को भारी नुकसान पहुंचाते हैं।

फसलों के उत्पादन पर सीधा असर डालते हैं किट

डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने इसके निवारण को लेकर किसानों को अपनी साप्ताहिक रिपोर्ट में जानकारी दी है। वे कहते हैं कि किसानों को इस समय काफी सावधान रहने की जरूरत होती है क्योंकि यहीं कीट आने वाले समय में फसलों के उत्पादन पर सीधा असर डालते हैं।

घास और कीट नियंत्रण जरूरी

केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा, समस्तीपुर के वैज्ञानिकों के अनुसार, बरसात के समय खेतों की मेड़ों पर लगे घास नए कीटों के प्रजनन का सबसे सुरक्षित स्थान होते हैं, जो आगे चलकर फसलों को कई तरह से नुकसान पहुंचाते हैं।

वहीं, कीड़े फसलों में घुसकर उनकी शाखाओं को सुखाकर अत्यधिक नुकसान पहुंचाते हैं। इन झाड़ियों को नष्ट करने के लिए खरपतवारनाशी दवा ग्लाइफोसेट 41% एस.एल का 10 से 15 मिली प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर कड़ी धूप के समय छिड़काव करना चाहिए।

वहीं, अच्छे परिणाम के लिए किसान साफ पानी का प्रयोग करें। छिड़काव के बाद छिड़काव वाले यंत्र की सफाई अवश्य कर लें। इस दवा का किसी भी खड़ी फसल पर छिड़काव नहीं करना चाहिए।

अरहर की खेती के लिए बीज चयन

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, अरहर की खेती करने वाले किसानों को बीजों के चयन में विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। अरहर की बुआई के लिए ऊंचे स्थान का चयन करना उपयुक्त होता है।

बीज के रूप में किसान पूसा-9 और शरद प्रभेद का चयन कर सकते हैं। बुवाई से पहले बीज का उपचार राइजोबियम कल्चर से अवश्य करना चाहिए। इसके साथ ही, जूनझ्रजुलाई के दौरान बोई गई अरहर की फसल में कीट व्याधि का नियमित निरीक्षण करना करते रहें।

अरहर बोते समय उर्वरक का प्रयोग

कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि अरहर की बुआई के समय किसानों को प्रति हेक्टेयर उर्वरक अवश्य प्रयोग करना चाहिए। 20 किलोग्राम नाइट्रोजन, 45 किलोग्राम स्फुर, 20 किलोग्राम पोटाश, 20 किलोग्राम सल्फर डालना चाहिए। इसके अलावा, बुवाई से 24 घंटे पहले प्रति किलोग्राम बीज पर 25 ग्राम थायरम दवा से उपचार करना चाहिए।

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