IRDAI Rule : आज के समय में हर कोई अपने भविष्य को सुरक्षित रखना चाहता है। जिसके लिए वह कई तरह की बिमा पालिसी लेता है। इन जीवन बिमा पालिसी के साथ ही व्यक्ति को नॉमिनी के चयन की प्रकिर्या को भी पूरा करना पड़ता है। हमें नॉमिनी से जुड़े नियमो के बारे में भी पूर्ण जानकारी होनी चाहिए।
कई दुर्लभ मामलों में जब पॉलिसीधारक और नॉमिनी दोनों की एक साथ मृत्यु हो जाती है, IRDAI नियम और हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम कानूनी उत्तराधिकारियों के अधिकारों को स्पष्ट करते हैं।
जीवन बीमा पॉलिसी खरीदते समय नॉमिनी का नाम बताना अनिवार्य
बीमा कंपनी से जीवन बीमा पॉलिसी खरीदते समय नॉमिनी का नाम बताना अनिवार्य है। आमतौर पर व्यक्ति अपनी पत्नी को नॉमिनी बनाता है, जिससे पॉलिसीधारक की मृत्यु होने पर बीमा राशि पत्नी को ही मिले। इसका उल्टा भी हो सकता है; अगर पत्नी जीवन बीमा पॉलिसी खरीदती है तो वह पति को नॉमिनी बना सकती है।
यह स्थिति सालों से चली आ रही है। ज्यादातर मामलों में पॉलिसीधारक की मृत्यु होने पर बीमा कंपनी नॉमिनी यानी पति या पत्नी को बीमा राशि दे देती है। लेकिन, समस्या तब पैदा होती है जब पॉलिसीधारक और नॉमिनी दोनों की ही दुर्घटना में एक साथ मृत्यु हो जाती है। ऐसे में सवाल उठता है कि बीमा राशि किसे मिलेगी।
क्या कहता है IRDAI का नियम
हाल ही में 12 जून 2025 को अहमदाबाद से लंदन जा रहा एक विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसमें कई परिवारों की एक साथ मौत हो गई। कुछ ऐसे मामले भी सामने आए, जिसमें पॉलिसीधारक और नॉमिनी दोनों की ही मौत हो गई। ऐसे मामलों में सवाल यह है कि बीमा राशि किसे मिलेगी।
भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (IRDAI) के नियमों के अनुसार, अगर पॉलिसीधारक और नॉमिनी दोनों की ही दुर्घटना में मौत हो जाती है, तो बीमा कंपनी यह मान सकती है कि पॉलिसीधारक की मौत के बाद नॉमिनी की भी मौत हो गई। यह नियम ऐसी मुश्किल परिस्थितियों में बीमा राशि के बारे में स्पष्टता प्रदान करता है।
नॉमिनी का कानूनी उत्तराधिकारी ही बीमा राशि का हकदार
विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे मामलों में नॉमिनी का कानूनी उत्तराधिकारी ही दावे का हकदार माना जाता है। हालांकि, बीमा कंपनी ऐसे मामलों में पॉलिसी की शर्तों के आधार पर फैसला लेती है। लेकिन, आम तौर पर नॉमिनी का कानूनी उत्तराधिकारी ही बीमा राशि का हकदार माना जाता है।
कानूनी उत्तराधिकारी ही बीमा कंपनी से बीमा राशि का दावा कर सकता है। बीमा कंपनी दावेदार और नामित व्यक्ति के बीच संबंधों के प्रमाण और दस्तावेजों की जांच करने के बाद ही भुगतान करती है। यह प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि बीमा राशि सही व्यक्ति तक पहुंचे।
क्लास वन और क्लास टू के कानूनी उत्तराधिकारी दावा कर सकते हैं
हिंदू उत्तराधिकार कानून में कानूनी उत्तराधिकारियों को दो श्रेणियों में बांटा गया है:
क्लास वन के कानूनी उत्तराधिकारी
ये पहली श्रेणी में आते हैं और इनमें निकटतम रिश्तेदार शामिल हैं:
- पत्नी
- बेटा या बेटी
- माँ
- यदि पॉलिसीधारक के बेटे या बेटी की मृत्यु हो जाती है, तो पॉलिसीधारक के पोते और पोती बीमा राशि का दावा कर सकते हैं।
क्लास टू के कानूनी उत्तराधिकारी
यदि क्लास वन के कानूनी उत्तराधिकारियों में कोई नहीं है, तो क्लास टू के कानूनी उत्तराधिकारियों पर विचार किया जाता है। इनमें अपेक्षाकृत दूर के रिश्तेदार शामिल हैं, जिनमें पिता, भाई, बहन, भतीजा और भतीजी शामिल हैं।
यह भी पढ़े : Railways Free Ticket : कैसे करे ट्रैन टिकट को फ्री में अपग्रेड, आइये जाने पूरी जानकरी