साइकोट्रोपिक ड्रग्स को बद्दी, गुजरात और देहरादून से नेटवर्क पंजाब तक आपरेट किया जा रहा
Punjab Breaking News (रोहित रोहिला), चंडीगढ़। पंजाब में नशे के जाल को तोड़ने के लिए पंजाब पुलिस दिन रात एक कर रही है। लगातार नशा तस्करों को पकड़ने और उनकी प्रापर्टी को जब्त करने के मामले भी सामने आ रहे है। लेकिन यह नेटवर्क केवल पंजाब में ही नहीं है। जिसकी वजह से पंजाब में साइकोट्रोपिक ड्रग्स का जाल फैलता जा रहा है।
हिमाचल प्रदेश के बद्दी, गुजरात और देहरादून से ये नेटवर्क पंजाब तक आपरेट किया जा रहा है। पंजाब में सिर्फ बार्डर पार पाकिस्तान से ड्रोन के जरिए आने वाली ड्रग्स ही बड़ी चुनौती नहीं है, बल्कि अंतरराज्यीय सीमाओं से बड़े पैमाने पर आने वाली साइकोट्रोपिक ड्रग्स युवाओं को चंगुल में दबोच रही है।
बिना लाइसेंस की फैक्टरियां में बन रहा नशा
हिमाचल के बद्दी, गुजरात और देहरादून में बिना लाइसेंस के कई दवाई बनाने वाली फैक्टरी इन ड्रग्स के नेटवर्क में शामिल हैं। कुछ दवाई बनाने वाली पंजीकृत फार्मा कंपनियां भी इस नेटवर्क का हिस्सा हैं। पुलिस का कहना है कि 44 के करीब ऐसी कंपनियां उनके रडार पर हैं। कई फैक्टरियों को संबंधित राज्य सरकारों को लिखकर बंद भी कराया गया है। पुलिस एक मार्च से अब तक 25.70 लाख नशे की गोलियां व कैप्सूल बरामद कर चुकी है।
दवाइयों को ड्रग्स के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा
साइकोट्रोपिक ड्रग्स के आसानी से उपलब्ध हो जाने और सस्ती होने के कारण युवाओं में इसका चलन बढ़ रहा है। आमतौर पर इस ड्रग्स को बिना डाक्टर की पर्ची के कैमिस्ट वाले नहीं देते लेकिन अब राज्य में चोरी छिपे इन दवाइयों को ड्रग्स के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है। मेडिकल एक्सपर्ट के अनुसार जो व्यक्ति इन ड्रग्स का इस्तेमाल करते हैं, इससे उनकी मानसिक अवस्था काफी प्रभावित होती है। अक्सर हेरोइन व अन्य किस्म के ड्रग्स का सेवन करने वाला व्यक्ति ही इन ड्रग्स का उपयोग करते हैं। जेलों में भी इन गोलियों व कैप्सूल की पहुंच होने लगी है।
ड्रग्स इंस्पेक्टरों और केमिस्ट संचालकों को पुलिस दबोच भी चुकी
एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स (एएनटीएफ) के एडीजीपी नीलाभ किशोर ने बताया कि इन दवाओं की खेप के पीछे का नेटवर्क ज्यादातर मामलों में बद्दी, गुजरात और देहरादून से जुड़ता पाया गया है। एडीजीपी ने बताया कि पंजाब में नशीली दवाईयों व कैप्सूल के चलन को रोकने के लिए एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स तकनीकी और ज्वाइंट आपरेशन के जरिए इस नेटवर्क को तोड़ने का काम कर रही है। ड्रग्स के इस नेटवर्क में शामिल कई मेडिकल आफिसरों, ड्रग्स इंस्पेक्टरों और केमिस्ट संचालकों को पुलिस दबोच भी चुकी है।
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