सितंबर में औसतन 1.6 लाख बैरल कम तेल खरीदा

Business News Update (आज समाज), बिजनेस डेस्क : अमेरिका द्वारा बार-बार दबाव बनाने का असर शायद भारत के आयात पर पड़ने लगा है। यही कारण है कि भारत ने अब रूस से कच्चा तेल खरीदना पहले से कम कर दिया है। हालांकि भारत सरकार की तरफ से ऐसा कोई बयान नहीं आया है कि वह अमेरिका के किसी तरह के दबाव में है लेकिन आंकड़े यह दर्शा रहे हैं कि अमेरिका के दबाव का असर पड़ना शुरू हो चुका है।

सितंबर में भारत ने रूस से इतना तेल खरीदा

भारत ने सितंबर में रूस से कच्चे तेल का आयात कम किया है, लेकिन इसके बावजूद भी देश की कुल जरूरत का एक-तिहाई से ज्यादा हिस्सा रूसी तेल से ही पूरा हो रहा है। अमेरिका लगातार भारत पर दबाव बना रहा है कि वह रूस से तेल खरीद कम करे, क्योंकि यह यूक्रेन युद्ध को मदद करता है। सितंबर में भारत का कुल कच्चे तेल का आयात करीब 47 लाख बैरल प्रतिदिन रहा। इसमें से 16 लाख बैरल तेल प्रतिदिन रूस से आया, जो कुल आयात का 34 प्रतिशत हिस्सा है। हालांकि, यह जनवरी से अगस्त की औसत खरीद से करीब 1.6 लाख बैरल कम रहा।

भारत इसलिए रूस से खरीद रहा है कच्चा तेल

ग्लोबल ट्रेड एनालिटिक्स कंपनी केपलर के मुताबिक, रूसी तेल भारतीय रिफाइनरियों के लिए सबसे सस्ता और फायदे का सौदा है। इसलिए कीमत थोड़ी कम-ज्यादा होने के बावजूद आयात जारी है। रूस के बाद सितंबर में इराक (8.8 लाख बैरल प्रतिदिन), सऊदी अरब (6 लाख बैरल प्रतिदिन), यूएई (5.9 लाख बैरल प्रतिदिन) और अमेरिका (2 लाख बैरल प्रतिदिन) भारत के सबसे बड़े आपूर्तिकर्ता रहे।

सरकारी कंपनियों ने घटाया रूस से तेल आयात

एक डेटा रिसर्च एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार अगस्त के मुकाबले सितंबर में भारत की सरकारी कंपनियों ने रूस के काफी कम मात्रा में तेल आयात किया है। इसमें दोनों सरकारी कंपनियां भारत पेट्रोलियम और इंडियन आॅयल शामिल हैं। इन दोनों कंपनियों के रूस से तेल आयात में अगस्त के मुकाबले 32% की कटौती हुई है। वहीं इन कंपनियों ने जून के मुकाबले 45% तक कम तेल खरीदा। कम खरीद के कारण सितंबर में रूस से कच्चे तेल का कुल आयात 6% तक घट गया है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक यह कटौती अमेरिकी दबाव और सप्लाई में डायवर्सिफिकेशन लाने के लिए की गई है।

प्राइवेट कंपनियों ने तेल खरीद बढ़ाई

सितंबर में प्राइवेट रिफाइनर कंपनियों का आयात बढ़कर 9.7 लाख बैरल प्रति दिन हो गया। यह अप्रैल से अगस्त के उनके औसत से 4% और अगस्त से 8% अधिक है। ये आंकड़े बताते हैं कि निजी कंपनियों ने अपना 60% से ज्यादा तेल रूस से खरीदा। इसका बड़ा कारण सस्ते रूसी तेल से हो रहा मुनाफा है। निजी कंपनियां कच्चे तेल से पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स बनाकर अन्य देशों को निर्यात कर मुनाफा कमाती हैं। जबकि सरकारी कंपनियां रूसी तेल का ज्यादातर इस्तेमाल घरेलू आपूर्ति में करती हैं।

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