पहली बार देश का स्वर्ण भंडार 100 अरब डॉलर के पार

Business News Hindi (आज समाज), बिजनेस डेस्क : जब से डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका के राष्टÑपति का दूसरी बार पद ग्रहण किया है तभी से पूरे विश्व में नई व्यापार प्रतिस्पर्धा शुरू हो गई है। सभी प्रमुख देश अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और व्यापार को सुदृढ़ करने में लगे हुए हैं। भारत भी पिछले कुछ समय से इसी प्रयास में जुटा हुआ है। जब से अमेरिका ने भारत पर उच्च टैरिफ दरें लागू की हैं तभी से भारत सरकार भी अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और व्यापार के लिए नए बाजार तलाशते हुए तेजी से मुक्त व्यापार समझौते करने में लगी हुई है।

इसी कड़ी में भारत ने आर्थिक सुरक्षा रणनीति में नया अध्याय लिखते हुए स्वर्ण भंडार को पहली बार 100 अरब डॉलर के पार 105.53 अरब डॉलर पर पहुंचा दिया है। आरबीआई के अनुसार, हालिया खरीद के बाद इसका अनुमानित मूल्य 108.5 अरब डॉलर हो गया है।

आरबीआई ने 25.45 टन सोना खरीदा

आरबीआई ने हाल में 25.45 टन सोना खरीदा, जिससे कुल भंडार बढ़कर 880.18 टन हो गया। विदेशी मुद्रा भंडार में सोने का हिस्सा बढ़कर 14.7 फीसदी पहुंच गया है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (डब्ल्यूजीसी) के अनुसार, यह उपलब्धि न केवल आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच भारत की वित्तीय संप्रभुता और दीर्घकालिक स्थिरता के प्रति प्रतिबद्धता को भी दर्शाती है।

इसलिए महत्वपूर्ण है भारत का यह कदम

आर्थिक जानकारों का कहना है कि भारत का यह कदम डॉलर-निर्भर वैश्विक व्यवस्था में आत्मनिर्भर मुद्रा सुरक्षा तंत्र विकसित करने की दिशा में महत्वपूर्ण है। बढ़ते जोखिम के बीच यह एक फाइनेंशियल शील्ड है। डब्ल्यूजीसी के अनुसार, भारत कुछ वर्षों से वैश्विक केंद्रीय बैंकों के बीच अग्रणी स्वर्ण खरीदार रहा है। आरबीआई ने विदेशी मुद्रा भंडार को विविधता देने, डॉलर पर निर्भरता कम करने के लिए सोने पर भरोसा बढ़ाया है। यह रणनीति स्पष्ट संकेत है कि भारत की प्राथमिकता महज अल्पकालिक बाजार उतार-चढ़ाव से बचाव नहीं, बल्कि दीर्घकालिक आर्थिक सुरक्षा और टिकाऊ मौद्रिक ढांचे का निर्माण है।

वैश्विक प्रतिस्पर्धा बढ़ने से सोने पर हुआ सभी का फोकस

वैश्विक वित्तीय व्यवस्था इस समय संक्रमण के दौर में है। रूस-यूक्रेन युद्ध, चीन-अमेरिका प्रतिस्पर्धा, पश्चिम एशिया संकट और बदलते ऊर्जा-व्यापार समीकरणों ने अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अस्थिरता बढ़ाई है। ऐसे में सोना एक सार्वभौमिक सुरक्षित संपत्ति के रूप में फिर केंद्र में आया है। भारत की रणनीति अब पारंपरिक डॉलर-सेंट्रिक रिजर्व मॉडल के बजाय मल्टी एसेट रिजर्व फ्रेमवर्क की ओर बढ़ रही है।