जी20 की सफल मेजबानी करने के बाद दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति ने भारत का धन्यवाद किया
G20 Summit 2025 (आज समाज), जोहिन्सबर्ग : दक्षिण अफ्रीका में जी20 शिखर सम्मेलन 2025 समाप्त हो चुका है। पहली बार दक्षिण अफ्रीका ने इस बड़े समिट की मेजबानी की और अमेरिका के राष्ट्रपति की अनुपस्थिति के बावजूद भी यह शिखर सम्मेलन काफी ज्यादा महत्वपूर्ण रहा। वहीं पहली बार दक्षिण अफ्रीका इतने भव्य सम्मेलन की मेजबानी की है, जिसमें दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों के दिग्गज नेताओं ने हिस्सा लिया है।
इसी दौरान भारत-दक्षिण अफ्रीका की द्विपक्षीय वार्ता के दौरान दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति ने भारत का शुक्रिया अदा किया है। पीएम मोदी की तरफ देखते हुए सिरिल रामफोसा ने कहा कि भारत ने जी20 होस्ट करने में दक्षिण अफ्रीका का बहुत सहयोग किया है, इसके लिए आपका धन्यवाद। सिरिल रामफोसा ने आगे कहा आपके यहां जी20 की होस्टिंग से हमने बहुत कुछ सीखा था। हालांकि, आपकी मेजबानी शानदार थी, हमारी काफी छोटी है।
पीएम मोदी ने जी20 मंच से दुनिया को किया था आगाह
इससे पहले पीएम मोदी ने जहां जी20 शिखर सम्मेलन में शामिल हो रहे देशों के प्रतिनिधियों से आह्वान किया वहीं उन्होंने विश्व के अन्य राष्टÑ प्रमुखों से भी वर्तमान समय की चुनौतियों से निपटने में सक्रिय भूमिका निभाने की अपील की। इस संबंध में जानकारी देते हुए पीएम मोदी ने अपने सोशल मीडिया नेटवर्क एक्स पर विस्तृत जानकरी साझा की। पीएम मोदी ने एक्स पर कई पोस्ट में जी20 शिखर सम्मेलन के दूसरे सत्र को लेकर लिखा- जोहनिसबर्ग में हो रहे जी20 शिखर सम्मेलन के दूसरे सत्र का मुख्य विषय था- दुनिया को आपदाओं, जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा परिवर्तन की चुनौतियों के बीच अधिक मजबूत बनाना, और साथ-साथ भोजन सुरक्षा की मजबूत व्यवस्था तैयार करना। भारत इन सभी क्षेत्रों में पहले से ही सक्रिय है और ऐसा भविष्य गढ़ रहा है जो मानव-केन्द्रित और सबको साथ लेकर चलने वाला हो।
चुननी होगी मजबूत सहयोग की राह
भारत का मानना है कि वैश्विक चुनौतियों का समाधान तभी संभव है जब दुनिया मजबूत सहयोग की राह चुने। इसी सोच के कारण भारत ने अपनी जी20 अध्यक्षता के दौरान डिजास्टर रिस्क रिडक्शन वर्किंग ग्रुप की स्थापना की। आपदा प्रबंधन का रास्ता केवल प्रतिक्रिया तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि विकास की दृष्टि से आगे बढ़ना चाहिए। भारत ने ॠ20 ओपन सैटेलाइट डेटा पार्टनरशिप बनाने का प्रस्ताव रखा है, ताकि जी20 देशों की स्पेस एजेंसियों का उपयोगी सैटेलाइट डेटा और उसका विश्लेषण ग्लोबल साउथ के देशों के लिए और अधिक सुलभ हो सके।
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