अमेरिका और रूस के बीच मतभेद का भुगतना पड़ रहा नुकसान

Business News Hindi (आज समाज), बिजनेस डेस्क : भारत पिछले कई दशक से रूस से कच्चा तेल नियमित रूप से आयात करता रहा है। जब रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध छिड़ा तो रूस की अपील के बाद भारत ने कच्चे तेल का आयात ज्यादा बढ़ा दिया। रूस ने भी इस आयात पर भारत को विशेष रियायतें दी। लेकिन समीकरण तब बदलने शुरू हुए जब अमेरिका का दूसरी बार राष्ट्रपति बनने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने रूस के प्रति सख्त रुख अख्तियार किया। अमेरिका ने न केवल रूस को सीधे तौर पर धमकी दी बल्कि उन देशों को भी गंभीर परिणाम देने की चेतावनी दे डाली जो रूस के साथ किसी भी तरह का व्यापार कर रहे थे। भारत भी उनमें से एक है।

ट्रंप ने भारत पर जुर्माना लगाने के दिए आदेश

अमेरिका ने रूस से तेल खरीदना जारी रखने पर भारत को जुर्माना भुगतने की धमकी दी है। हालांकि यह जुर्माना कितना होगा इस बारे में स्थिति स्पष्ट नहीं है। यह माना जा रहा है कि सात अगस्त को नई टैरिफ दरें लागू होने के साथ ही अमेरिका भारत के खिलाफ जुर्माने की राशि की भी घोषणा करेगा।

इसलिए मुश्किल में फंसा भारत

जुर्माने की धमकी के चलते अगर भारत रूसी तेल को खरीदना बंद करता है तो उसे भारी नुकसान झेलना पड़ सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि रूस से तेल आयात बंद करने के बाद भारत का वार्षिक तेल आयात बिल 9-11 अरब डॉलर तक बढ़ सकता है। हालांकि भारत अमेरिका के दबाव के आगे झुकता नहीं दिख रहा है। ज्ञात रहे कि रूस, कच्चे तेल का दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है, जिसका रोजाना का तेल उत्पादन करीब 9.5 मिलियन बैरल/प्रतिदिन है। यह वैश्विक मांग का करीब 10 प्रतिशत है। रूस, दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक देश भी है, जो लगभग 4.5 मिलियन बैरल प्रति दिन कच्चा तेल और 2.3 मिलियन बैरल प्रति दिन परिष्कृत उत्पादों का निर्यात करता है।