ठंड के असर से पैदावार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की आशंका
Maize Farming,(आज समाज), नई दिल्ली: बिहार सहित उत्तर भारत के कई राज्यों में ठंड का असर बढ़ने के साथ ही रबी मक्का फसल पर कम तापमान का तनाव दिखाई दे रहा है। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि तापमान 15°C से नीचे आने पर मक्का पौधों में पीलेपन और बैंगनी रंग की समस्या बढ़ जाती है।

हालांकि तापमान बढ़ने पर अधिकांश पौधे सामान्य हो जाते हैं, लेकिन लगातार ठंड के असर से पैदावार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की आशंका रहती है। विशेषज्ञों के अनुसार, कम तापमान में मक्का की वृद्धि धीमी हो जाती है और पौधा पोषक तत्वों का अवशोषण ठीक से नहीं कर पाता। इसे देखते हुए किसानों के लिए कृषि विभाग ने मासिक कृषि-सलाह जारी की है।

कृषि विभाग की मुख्य सलाह

  • हल्की सिंचाई से तापमान संतुलित रखें: रबी सीजन में 10–12 दिनों के अंतराल पर हल्की सिंचाई करने से मिट्टी का तापमान बढ़ता है और पौधे ठंड से सुरक्षित रहते हैं।
  • घुलनशील उर्वरकों का पत्तियों पर छिड़काव: कम तापमान के प्रभाव को कम करने के लिए मोनो पोटाशियम फॉस्फेट (MKP 00:52:34) या सल्फेट ऑफ पोटाश (SOP 00:00:50) का 10 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने की सलाह दी गई है। इसके साथ ही 2–3 ग्राम सल्फर मिलाकर छिड़काव करना भी लाभकारी बताया गया है।
  • मिट्टी में सल्फर का प्रयोग: निराई-गुड़ाई के दौरान प्रति एकड़ 10 किलोग्राम सल्फर मिलाने से पौधे ठंड का बेहतर सामना कर पाते हैं।
  • धुआं करके तापमान नियंत्रण: ठंडी रातों में खेत की ऊपरी और पश्चिमी दिशा में पौध अवशेष या टहनियां जलाकर धुआं करने से खेत का तापमान संतुलित रहता है और हवा की नमी बढ़ती है।
  • मल्चिंग से जड़ों की सुरक्षा: पंक्तियों के बीच भूसा या जैविक सामग्री बिछाने से मिट्टी का तापमान स्थिर रहता है और जड़ें तेजी से विकसित होती हैं।
  • ठंडी हवाओं से सुरक्षा के लिए विंडब्रेक: खेत की ऊपरी और पश्चिमी दिशा में पुरानी चादर, प्लास्टिक या तिरपाल लगाकर हवा का दबाव कम किया जा सकता है। विशेषज्ञों ने कहा कि ठंड के दौरान किसान इन उपायों को अपनाते हैं तो फसल की वृद्धि सामान्य रहेगी और उपज पर कम से कम प्रभाव पड़ेगा। रबी मक्का बिहार और पूर्वी भारत के किसानों की आय का बड़ा आधार है, इसलिए मौसम आधारित प्रबंधन अत्यंत महत्वपूर्ण है।

रबी मक्के की बंपर पैदावार

 

रबी सीजन में मक्के की सबसे बड़ी खासियत इसकी बंपर पैदावार है, जहां खरीफ (बरसात) के मौसम में मक्का की पैदावार प्रति हेक्टेयर केवल 2 से 2.25 टन होती है। वहीं रबी सीजन में यह बढ़कर 6 टन या उससे भी ज्यादा हो जाती है। सर्दियों में मौसम साफ रहता है, धूप अच्छी मिलती है और फसल को पकने के लिए लंबा समय मिलता है। इस दौरान प्रकाश संश्लेषण बेहतर होता है, जिससे पौधे मजबूत होते हैं और दाने मोटे और वजनदार बनते हैं।