गलती हो जाए तो प्रायश्चित जरूर करें : श्री प्रेम अगाधा शरण जी महाराज

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If you make a mistake you must atone for it: Shri Prem Agadha Sharan Ji Maharaj

तोशाम, भिवानी : 

सिवानी मार्ग पर स्थित वार्ड 15 में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन रविवार को कथावाचक श्री प्रेम अगाधा शरण जी महाराज ने कहा कि मनुष्य से गलती हो जाना बड़ी बात नहीं। लेकिन ऐसा होने पर समय रहते सुधार और प्रायश्चित जरूरी है। ऐसा नहीं हुआ तो गलती पाप की श्रेणी में आ जाती है। कथा के दूसरे दिन जसवंत जांगड़ा तोशाम यजमान के तौर पर उपस्थित रहे।

कथा वाचक श्री प्रेम अगाधा शरण जी महाराज ने पांडवों के जीवन में होने वाली श्रीकृष्ण की कृपा को बड़े ही सुंदर ढंग से दर्शाया। उन्होंने कहा कि परीक्षित कलियुग के प्रभाव के कारण ऋषि से श्रापित हो जाते हैं। उसी के पश्चाताप में वह शुकदेव जी के पास जाते हैं। भक्ति एक ऐसा उत्तम निवेश है, जो जीवन में परेशानियों का उत्तम समाधान देती है। साथ ही जीवन के बाद मोक्ष भी सुनिश्चित करती है।

कथावाचक ने कहा कि द्वापर युग में धर्मराज युधिष्ठिर ने सूर्यदेव की उपासना कर अक्षयपात्र की प्राप्ति की। हमारे पूर्वजों ने सदैव पृथ्वी का पूजन व रक्षण किया। इसके बदले प्रकृति ने मानव का रक्षण किया। भागवत के श्रोता के अंदर जिज्ञासा और श्रद्धा होनी चाहिए। परमात्मा दिखाई नहीं देता है वह हर किसी में बसता है।

कथा वाचक श्री प्रेम अगाधा शरण जी महाराज ने यजमान प्रदीप भुक्कल संडवा, जसवंत जांगड़ा, सज्जन संडवा व शत्रुघ्न पायल को फ़टका पहनाकर व भगवान कृष्ण की प्रतिमा देकर सम्मानित किया। जसवंत जांगड़ा ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा जीवन के सत्य का ज्ञान कराने के साथ ही धर्म और अधर्म के बीच के फर्क को बताती है। कथा श्रवण से सूना जीवन धन्य हो जाता है।

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