Health Insurance Update(आज समाज) : भारत में हर साल कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं। इस बीमारी का इलाज भी काफी महंगा है। ऐसे में सरकार कैंसर रोगियों को राहत देने के लिए बड़ी तैयारी कर रही है। एक संसदीय पैनल ने विनियमित स्वास्थ्य बीमा योजनाओं के मानकों के अनुसार मूल्य निर्धारण के साथ मानकीकृत कैंसर निदान पैकेज बनाने की सिफारिश की है। समिति का मानना ​​है कि इससे अधिक से अधिक लोगों को इसमें शामिल किया जा सकेगा। नारायण दास गुप्ता की अध्यक्षता वाली राज्यसभा याचिका समिति ने अपनी 163वीं रिपोर्ट पेश की।

रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) द्वारा लगाई गई मूल्य सीमा, जैसे कि 42 आवश्यक कैंसर रोधी दवाओं पर मौजूदा 30 प्रतिशत व्यापार मार्जिन सीमा, कैंसर के टीकों, इम्यूनोथेरेपी और ओरल कीमोथेरेपी पर भी लागू होनी चाहिए।

समिति द्वारा दिए गए सुझाव

इकोनॉमिक टाइम्स में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, समिति ने कहा, “बीमा कंपनियों की लागत को नियंत्रित करने और कैंसर बीमा उत्पादों को व्यापक आबादी के लिए अधिक किफायती और सुलभ बनाने के लिए नियामक निगरानी का यह विस्तार आवश्यक है।” इसने यह भी सुझाव दिया कि सरकारी वित्त पोषण, निजी क्षेत्र की भागीदारी और सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल के माध्यम से उन्नत चिकित्सा तकनीक से लैस और अधिक कैंसर अस्पताल बनाए जाने चाहिए।

समिति ने कहा, “मरीजों को कैशलेस सेवाएँ प्रदान करने के लिए इन सुविधाओं को बीमा कंपनियों के नेटवर्क के साथ एकीकृत किया जाना चाहिए। स्पष्ट रूप से डिज़ाइन किए गए पैकेज बीमा कंपनियों को लागत को मानकों के भीतर लाने और पॉलिसीधारकों को वित्तीय लाभ पहुँचाने में मदद करेंगे।”

कैंसर जाँच केंद्र स्थापित करने की सिफारिश

इसके अलावा, कैंसर का शीघ्र पता लगाने के लिए कैंसर जाँच केंद्र स्थापित किए जाने चाहिए। समिति ने प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) जैसी प्रमुख स्वास्थ्य योजनाओं में कैंसर जाँच को एकीकृत करने और सीजीएचएस और ईसीएचएस के अंतर्गत कैंसर निदान परीक्षणों को शामिल करने के लिए नीतिगत हस्तक्षेप की भी सिफारिश की। समिति ने कहा कि इससे सार्वजनिक स्वास्थ्य उद्देश्यों के लिए निजी क्षेत्र के नैदानिक ​​बुनियादी ढाँचे का इष्टतम उपयोग संभव होगा।