Haryana Election Analysis | अपने बलबूते पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पहली बार 2014 हरियाणा में सत्ता में आई थी और अब 10 साल बाद इसने लगातार तीसरी बार विधानसभा चुनाव जीत कर एक नया इतिहास रच दियाहै। चुनाव से पहले एंटी-इनकंबेंसी की बात की जा रही थी और कयास लगाए जा रहे थे कि कांग्रेस सत्ता में आएगी।

डॉ. विनय कुमार मल्होत्रा,वरिष्ठ राजनीति शास्त्रीडॉ. विनय कुमार मल्होत्रा,वरिष्ठ राजनीति शास्त्री
डॉ. विनय कुमार मल्होत्रा, (वरिष्ठ राजनीति शास्त्री)

लेकिन आश्चर्य की बात है कि ऐसा नहीं हुआ। लगभग सभी एग्ज़िट पोल ग़लत साबित हुए और भाजपा ने बिना किसी के साथ गठबंधन किये अपने बलबूते पर तीसरी बार केवल जीत ही हासिल नहीं की अपितु पहले से अधिक सीटें और वोट शेयर दोनों प्राप्त किये।

2014 में कुल 90 विधानसभा सीटों में से भाजपा को 47 सीटें तथा 33.20 प्रतिशत वोट शेयर प्राप्त हुआ था। 2019 में बेशक वोट शेयर बढ़कर 36.49 प्रतिशत हो गया लेकिन सीटें 40 तक सिमट कर रह गई।

2024 में सीटें बढ़कर 48 हो गई और वोट शेयर 40.5 प्रतिशत हो गया।कहने से अभिप्राय है कि इस बार भाजपा की सीटें भी बढ़ी और वोट शेयर भी जो अपने आप में वाकई एक है-ट्रिक है। हरियाणा में पहले कोई भी राजनीतिक दल लगातार तीन बार चुनाव नहीं जीता और लगातार तीन बार सरकार नहीं बना पाया।

हैट्रिक के कारण और तत्व

विभिन्न समाचार पत्र, तथा चुनाव विश्लेषक अपने अपने ढंग से इस प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास कर रहे हैं।इसलेख का उद्देश्य भी उन कारणोंको बताना है जिनकी वजह से भाजपा तीसरी बार स्पष्ट बहुमत हासिल कर पाई।

राष्ट्रवाद : हरियाणा के नागरिकों ने बीजेपी के राष्ट्रवाद को जातिवाद, जाटवाद, सांप्रदायिकतावाद और क्षेत्रवादसे ऊपर मानते हुए उसे प्राथमिकता दी।वोटर को राष्ट्र प्रथम (नेशन फर्स्ट) का नारा उचित लगा।

विकास तथा सुशासन : वोटर्स ने बीजेपी केविकास और सुशासनपर मोहर लगाई। “सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास तथा सब का प्रयास,” “काम किया है’ काम करेंगे,” “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” जैसे नारों पर विश्वास किया।जनता ने पाया किये मात्रा नारे नहीं है अपितु इन पर काम भी हुआ है।

हिंदुत्व : चुनाव प्रचार के दौरान स्टार प्रचारक गृहमंत्री अमित शाह तथा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी जी ने हिंदुओं को ना बंटने का संदेश दिया। बीजेपी के हिंदुत्व से प्रभावितहोते हुएमतदाताओं ने कांग्रेस की तुष्टिकरण की नीति को नाकार दिया।

ना खर्ची, ना पर्ची : ग्रामीण तथा शहरी दोनों प्रकार के मतदाताओंने यह महसूस किया कि पिछले दस सालों में सरकारी नौकरियांबिना पर्ची, बिना खर्ची के मेरिट के आधार पर मिली हैं।

बेदाग़ सरकार : पिछले दो कार्यकालों में बीजेपी की सरकार पर भ्रष्टाचार का कोई दाग़ नहीं लगा, ना ही कोई घोटाला हुआ।अधिकांश सरकारी सेवाओं को कंप्यूटर/मोबाइल के माध्यम से ऑनलाइन कर दिया गया जिससे भ्रष्टाचार की संभावनाएं बहुत कम हो गई।लोगों ने भाजपा सरकार की नेक नियत और नीतिकोसराहा।

डबल इंजन की सरकार : भाजपा नेताओं के डबल इंजन की सरकार के तर्क से भी मतदाता प्रभावित हुए।हरियाणा के समझदार वोटर यह समझ गए थे कि यदि कांग्रेस की सरकार बन भी गई तो वह खास कुछ नहीं कर पाएगी क्योंकि केंद्र में भाजपा की सरकार है। इसीलिए हरियाणा में भी भाजपा की सरकार आने से राज्य तथा इसके निवासियों का अधिक फायदा तथा विकास होगा, यह सभी मानने लगे थे।

किसान, जवान, पहलवान, संविधान आदि का मुद्दा ना बना : कांग्रेस नेकिसानों के आंदोलनऔर मांगों को भड़काकर, नौजवानों को बेरोज़गारी का डर दिखाकर, पहलवानों के साथ हुए अनाचार को उजागर करके तथा संविधान को खतरा बात कर मतदाताओं को भाजपा सरकार के विरुद्ध करने का प्रयास किया।

सरकारी कर्मचारियों की मांगों, पुरानी पेंशन स्कीम, बहाली, महंगाई आदि को भी मुद्दे बनाने की कोशिश की लेकिन जनता ने उन सभी को नाकार दिया।मतदाताओं ने कांग्रेस को दो टूक संदेश दिया कि देश में तोड़ने की राजनीति नहीं चलेगी।

कांग्रेस की गुटबंदी : हरियाणा में मुख्य विरोधी दल कांग्रेस विभिन्न गुटों में बंटी रही, उनमें खुल्लम-खुल्ला खिंचा तानी चलती रही जैसे कि हुड्डा गुट और सेलजा गुट में।इससे भाजपा को लाभ हुआ।

कांग्रेस का जातीय समीकरण फेल : एक तरफ कांग्रेस ने हुड्डा के अंतर्गत जहां जाटों और गांवों पर ज्यादा ध्यान दिया तो बीजेपी ने शहरों में अपनी पैठ बढ़ाई। कांग्रेस ने जो जाटों पर जोर लगाया वह बैकफायर कर गया जबकि भाजपा दलितों तथा ओबीसी को आकर्षित करने में सफल रही।

सत्ता-विरोधी लहर को तोड़ना : बीजेपी को सत्ता विरोधी लहर (एंटी-इनकंबेंसी) के चलने की पूरी आशंका थी जिसे उसने समय रहते तीन तरीकों सेतोड़ दिया: प्रथम, विधानसभा चुनाव से 7 महीने पहले ही मुख्य मंत्री मनोहर लाल खट्टर को बदल दिया और उसके स्थान पर ओबीसी के तथा युवा नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बना दिया।

द्वितीय,40 सिटिंग विधायकों में से 25 को टिकट नहीं दी और उनके स्थान पर नए चेहरों को लाया गया।तृतीय,भाजपा ने 40 नए तथा ताजा चेहरों जिनके पीछे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का समर्थन प्राप्त था को भी उतारा और उनमें से आधे जीत गए।

वोटों का बटना : क्षेत्रीय दलों तथा आज़ाद उम्मीदवारों ने एंटी-इनकंबेंसी वोटो को बांट दिया जिससे भाजपा को फायदा हुआ।इसी प्रकार कई हल्कों में कांग्रेस बाग़ियों/रेबेल्स ने आज़ाद उम्मीदवार के रूप में खड़े होकर वोट काट दिये और बीजेपी को लाभ पहुंचा दिया।

संगठन एवं अनुशासन : भाजपा एक संगठित, अनुशासित एवं काडरआधारित दल हैजिसमेंबूथ तथा पन्ना स्तर पर पन्ना प्रमुख भी पाए जाते हैं। जबकि कांग्रेस पार्टी खंडित, आपसी वेमनस्य एवं कलह से भरपूर दल है।

मुख्यमंत्री सैनी का योगदान : भाजपा सरकार के दूसरे कार्यकाल के अंतिम 6 महीनों में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कुछ ऐसे कार्य किये जिससे वोटर बहुत खुश हुए। पूर्व मुख्यमंत्री खट्टर अफसर शाही से प्रभावित रहते थे, अफसरों पर उनका कोई विशेष नियंत्रण नहीं था इसीलिए नौकरशाह आमजन की परवाह नहीं करते थे।

नए मुख्यमंत्री सैनी ने आते ही अफसरों को निर्देश जारी किया कि वे सुबह 9:00 बजे से 11:00 बजे तक हर रोज़ अपने दफ्तर में लोगों की शिकायतें सुनने के लिए उपलब्ध होंगे। इस निर्णय पर पूरी सावधानी से अमल किया गया जिससे ग्रामीण तथा शहरी सभी लोग प्रसन्न हो गए और उनके अधिकारियों से मिलना सरल हो गया।

सैनी ने अग्नि वीरों को पक्की सरकारी नौकरी देने तथा किसानों की अधिकांश फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य देने का आश्वासन भी दे दिया इससे भी युवाओं और किसानोंमें सरकार की साख बढ़ी।

इस प्रकार हरियाणा में भाजपा को हैट्रिक बनाने में कई तत्वों तथा कारणों ने योगदान दिया और वह तीसरी बार स्पष्ट बहुमत से सरकार बना पाने में सफल हुई। अब इस सरकार को नए जोश और उत्साह के साथ अपनी घोषणा पत्र में किए गए सभी वायदों को पूरा करना चाहिए और सबको साथ लेकर विकास की ओर अग्रसर होना चाहिए।

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