हनुमान जी के पुत्र का नाम है मकरध्वज
Hanuman Ji, (आज समाज), नई दिल्ली: हनुमान जी भगवान श्रीराम के परम भक्त हैं। बताया जाता है कि हनुमान जी को अमरता का वरदान प्राप्त है। हनुमान जी कलियुग में भी धरती पर वास कर रहे हैं। हनुमान जी को अखंड ब्रह्मचारी कहा जाता है। हनुमान जी ने आजीवन ब्रह्मचर्य का पालन किया। इसके बाद भी धर्म शास्त्रों और पौराणिक कथाओं में उनके पुत्र के बारे में बताया गया है।

हनुमान जी के पुत्र का नाम मकरध्वज है। मकरध्वज का जन्म बहुत ही अनोखे और चमत्कारी ढंग से हुआ, इसलिए ही कहा जाता है कि हनुमान जी का ब्रह्मचर्य कभी खंडित नहीं हुआ। इससे जुड़ी एक पौराणिक कथा भी है। आइए पढ़ते हैं ये कथा।

मकरध्वज के जन्म की कथा

मकरध्वज के जन्म की कथा वाल्मीकि रामायण और कुछ पौराणिक ग्रंथों में वर्णित है। मान्यता है कि जब हनुमान जी ने माता सीता से मुलाकात कर ली। उसके बाद उनको लंकापकति रावण के दरबार में पेश किया गया, जहां उनकी पूंछ में आग लगा दी गई। इसके बाद उन्होंने अपनी जलती हुई पूंछ से लंका को दहन कर दिया। लंका दहन के बाद हनुमान जी अपने पूंछ की आग को शांत करने के लिए समुद्र में कूद गए।

लंका की प्रंचड आग की वजह से हनुमान जी के शरीर का तापमान बहुत अधिक हो गया था। इसी कारण जब वो समुद्र के ठंडे जल में पहुंचे, तो उनके शरीर से निकले पसीने की एक बूंद उसमें गिर गई। उस समय समुद्र में एक विशाल मछली थी। उसने अनजाने में हनुमान जी के शरीर से निकली बूंद को निगल लिया। उस बूंद के प्रभाव से उस मकर ने गर्भ धारण कर लिया।

मकर और वानर के रूप में लिया था जन्म

कुछ समय बाद, पाताल लोक राजा अहिरावण ने उस मकर को पकड़ा। इसके बाज जब मछली का पेट काटा गया तो, उसमें से एक बालक निकला। ये बालक मकर और वानर दोनों का रूप लेकर जन्मा था। इसके बाद उस बालक को अहिरावण को अपनी सेवा में ले लिया और पातालपुरी का द्वारपाल बना दिया। रावण से युद्ध के दौरान अहिरावण भगवान राम और लक्ष्मण को पाताल लोक लाया।

इसके बाद हनुमान जी भगवान राम और लक्ष्मण को छुड़ाने पाताल लोक पहुंचे तो वो मकरध्वज से मिले। द्वार पर मकरध्वज और हनुमान जी के बीच युद्ध हुआ। फिर मकरध्वज ने अपने जन्म की कथा बताई, जिसके बाद हनुमान जी को मालूम हुआ कि वो उनके ही पुत्र हैं।