कहा, भारत ही नहीं दुनिया की हर करेंसी के मुकाबले डॉलर मजबूत
Rupee Depreciates (आज समाज), नई दिल्ली : पिछले कुछ दिन से डॉलर के मुकाबले रुपए में लगातार कमजोरी बनी हुई है। यही कारण है कि रुपया वर्तमान ने अपने अब तक के रिकॉर्ड निचले स्तर पर है। शुक्रवार को रुपया अब तक के रिकॉर्ड निचले स्तर पर बंद होकर 88.27 प्रति डॉलर पर आ गया था। दिन में कारोबार के दौरान यह 88.38 तक फिसला था। आने वाले दिनों में इसमें और भी ज्यादा गिरावट आने की संभावना है।
इसी बीच जब देश की वित्त मंत्री से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि सरकार रुपये की स्थिति पर लगातार और पैनी निगाह जमाए हुए है। वित्त मंत्री ने कहा कि डॉलर के मुकाबले न सिर्फ रुपया, बल्कि दुनिया की कई मुद्राएं कमजोर हुई हैं। इस दौरान उन्होंने हाल में किए गए जीएसटी सुधारों का भी जिक्र किया। वित्त मंत्री ने कहा कि इन सुधारों से आम आदमी को बड़ी राहत मिली है।
वित्त मंत्री ने टैरिफ को बताया जिम्मेदार
रुपये में लगातार हो रही गिरावट का बड़ा कारण अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों को बताया जा रहा है। इनमें भारत पर लगाए गए भारी टैरिफ प्रमुख हैं। ज्ञात रहे कि 27 अगस्त से अमेरिका ने भारतीय उत्पादों पर 50% तक टैरिफ लगा दिया है। इसमें 25% अतिरिक्त जुर्माना रूस से कच्चा तेल खरीदने के कारण लगाया गया है। ट्रंप के इस फैसले से भारत के कपड़ा, हीरे-जवाहरात, झींगा, चमड़ा, रसायन, और मशीनरी आदि सेक्टर गंभीर रूप से प्रभावित हुए हैं। हालांकि, दवाओं, ऊर्जा उत्पादों और इलेक्ट्रॉनिक्स को छूट दी गई है।
भारत है सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार
अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। 2024-25 में भारत-अमेरिका के बीच 131.8 अरब डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार हुआ। इसमें भारत का निर्यात 86.5 अरब डॉलर और आयात 45.3 अरब डॉलर रहा। भारत-अमेरिका के व्यापारिक रिश्तों को वित्त मंत्री ने जरूरी बताया। उन्होंने कहा कि यह रिश्ता भारत की अर्थव्यवस्था के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, लेकिन अनुचित शुल्कों का भारत जवाब देगा।
जीएसटी दरें घटाने से केंद्र को होगा राजस्व नुकसान
देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक एसबीआई के मुताबिक जीएसटी दरों में हाल में की गई कटौती से कम से कम 3,700 करोड़ रुपये का नुकसान होगा। एसबीआई ने अपनी नवीनतम शोध रिपोर्ट में कहा कि दरों में कमी के जरिये जीएसटी में सुधार से 3,700 करोड़ रुपये का न्यूनतम राजस्व नुकसान होगा। सरकार का अनुमान है कि जीएसटी दरों को युक्तिसंगत बनाने का शुद्ध राजकोषीय प्रभाव वार्षिक आधार पर 48,000 करोड़ रुपये होगा।
राजकोषीय घाटे पर नहीं पड़ेगा कोई प्रभाव
रिपोर्ट के अनुसार विकास और उपभोग में वृद्धि को देखते हुए न्यूनतम राजस्व हानि 3,700 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है। इसका राजकोषीय घाटे पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। कुछ दिन पहले हुई जीएसटी परिषद की 56वीं बैठक में मौजूदा चार-स्तरीय ढांचे को दो-स्तरीय ढांचे से बदल दिया गया है। इसमें 18 प्रतिशत एवं पांच प्रतिशत की मानक दर और कुछ चुनिंदा वस्तुओं तथा सेवाओं पर 40 प्रतिशत का सिन टैक्स शामिल है।
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