- खतरे के चलते पहले खाली करवा लिया था ब्लैटन गांव
- जलवायु परिवर्तन व बढ़ता तापमान बढ़ा रहा खतरा
Glacier Burst In Switzerland, (आज समाज), बर्न: स्विट्जरलैंड के एक गांव में भयंकर आपदा ने तबाही मचा दी है। देश की आल्प्स पर्वत श्रंखला (Alps Mountain Range) में स्थित ब्लैटन गांव (Blatn Village) पर विशाल ग्लेशियर टूटकर गिर गया जिससे लगभग पूरा का पूरा गांव मलबे में दफन हो गया है। दूसरी तरफ विशेषज्ञ हिमालय में भी ऐसी आपदा को लेकर कई बार चेता चुके हैं। उनका कहना है कि हिमालय भी ऐसे संकट से अछूता नहीं है।
गांव का 90 प्रतिशत हिस्सा मलबे में तब्दील
रिपोटों में बताया गया है कि लोकल एडमिनस्ट्रेशन ने पहले संभावित लैंडस्लाइड के खतरे के चलते गांव को खाली करवा लिया गया था। स्थानीय प्रशासन ने कहा है कि इससे बड़ी जनहानि का खतरा टल गया। अधिकारियों ने बताया है कि गांव का 90 प्रतिशत हिस्सा मलबे में तब्दील हो गया है। उन्होंने कहा, बेहद दुखद, हमने अपना एक पूरा गांव खो दिया।
गांव को फिर से बनाने का वादा
स्थानीय प्रशासन व नेताओं ने कहा है कि ब्लैटन गांव (Blatn Village) मलबे में तब्दील हो चुका है, पर हम इसे फिर से बनाएंगे। अधिकारियों का कहना है कि पूरे गांव के ज्यादातर हिस्से को भूस्खलन ने अपनी चपेट में ले लिया है। उनका कहना है कि यह कल्पना से कहीं परे है। इतनी बड़ी मात्रा में कीचड़ व चट्टानें घाटी में गिर गई हैं। गांव को दोबारा बसाने में टाइम लगेगा लेकिन प्रशासन इसकी पूरी कोशिश करेगा।
वैज्ञानिकों की चेतावनी के बाद निकाल लिए थे 300 लोग
पर्वत के पीछे दरारें दिख रही थीं और ग्लेशियर के फिसलने की आशंका को देखते हुए वैज्ञानिकों ने 19 मई को अलर्ट जारी कर दिया था। इसके बाद पूरे गांव को टाइम रहते खाली करा लिया गया था। गांव में रहने वाले लगभग 300 लोग सुरक्षित निकाल लिए गए थे। इसके बावजूद एक व्यक्ति घटना के बाद से लापता बताया जा रहा है। उसकी तलाश की जा रही है। वैज्ञानिकों के अनुसार जलवायु परिवर्तन और बढ़ते तापमान से ग्लेशियरों की स्थिति बेहद अस्थिर होती जा रही है। स्थायी रूप से जमी बर्फ पिघलने के कारण स्विट्जरलैंड (Switzerland) के ब्लैटन गांव में आपदा आई। इसने पहाड़ की स्थिरता को कमजोर कर दिया।
हिमालयी क्षेत्र : तापमान 1.5 डिग्री बढ़ा तो बनेगा संकट
वैज्ञानिकों के मुताबिक हिमालयी क्षेत्र पर भी खतरा है। गौरतलब है कि 2013 में उत्तराखंड की केदारनाथ घाटी ग्लेशियर झील फट गई थी और इसके कारण पहाड़ी से आए मलबे में करीब 6,000 लोगों की मौत हुई थी। 2023 में सिक्किम के साउथ लोनाक ग्लेशियर से भीषण बाढ़ आई और इसमें 100 से ज्यादा लोग काल का ग्रास बन गए। रिपोर्ट्स के अनुसार यदि तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस से बढ़ा तो हिमालयी ग्लेशियर तेजी से पिघलेंगे और ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड और भी विनाशकारी बन जाएंगे।
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