81 साल की उम्र में ली अंतिम सांस, पिछले कुछ दिन से खराब थी तबीयत, दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में हुआ निधन

Shibu Soren Passed Away (आज समाज), नई दिल्ली : झारखंड की राजनीति में अपनी अलग पहचान बनाने वाले वरिष्ठ राजनीतिज्ञ, राज्यसभा सांसद और झारखंड के पूर्व सीएम शिबू सोरेन का आज (सोमवार) को निधन हो गया। कुछ समय पहले उन्हें ब्रेन स्ट्रोक हुआ था और उनके शरीर का एक हिस्सा पैरालाइज हो गया था। जिसके बाद उन्हें दिल्ली में सर गंगाराम अस्पताल में दाखिल कराया गया था।

अस्पताल के वरिष्ठ न्यूरोलॉजी, कार्डियोलॉजी और नेफ्रोलॉजी चिकित्सकों की टीम उनका इलाज कर रही थी। उनकी स्थिति चिंताजनक बनी हुई थी। जिसके बाद आज सुबह उनका देहांत हो गया। उनके निधन की सूचना उनके बेटे हेमंत सोरेन ने सोशल मीडिया पर पोस्ट के माध्यम से साझा की। शिबू सोरेन लंबे समय से किडनी की बीमारी से जूझ रहे थे। एक साल से डायलिसिस पर थे। वे डायबिटीज से पीड़ित थे और हार्ट की बायपास सर्जरी भी हो चुकी थी।

2 मार्च 2005 में पहली बार बने सीएम

शिबू सोरेन 2 मार्च 2005 को पहली बार सीएम बने, लेकिन बहुमत साबित नहीं कर पाने के कारण दस दिन में ही उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। 27 अगस्त 2008 को शिबू सोरेन दूसरी बार झारखंड के सीएम बने। इस बार वे विधायक नहीं थे। इस कारण छह महीने में उन्हें चुनाव जीतकर विधानसभा का सदस्य बनना था। पांच महीने बाद 2009 में उपचुनाव हुआ। तमाड़ विधानसभा में उपचुनाव का ऐलान हुआ। शिबू सोरेन करीब 9 हजार वोट से उपचुनाव हार गए थे। आखिर में उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। शिबू सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक संरक्षक थे। वह यूपीए के पहले कार्यकाल के दौरान कोयला मंत्री रह चुके थे। हालांकि चिरूडीह हत्याकांड में नाम आने के बाद उन्होंने केंद्रीय मंत्रीमंडल से इस्तीफा दे दिया था।

बचपन से ही शुरू हुआ जीवन का संघर्ष

महज 13 साल की उम्र के थे, जब उनके पिता की हत्या महाजनों ने कर दी। इसके बाद शिबू सोरेन ने पढ़ाई छोड़ दी और महाजनों के खिलाफ संघर्ष का फैसला किया। 1970 में वे महाजनों के खिलाफ खुल कर सामने आए और धान कटनी आंदोलन की शुरूआत की। सूदखोरों के खिलाफ आंदोलन चलाकर शिबू सोरेन चर्चा में आए, लेकिन महाजनों को अपना दुश्मन बना लिया।