बाजारों में हमेशा बनी रहती है मेथी की मांग
Fenugreek Farming, (आज समाज), नई दिल्ली: किसान अब पारंपरिक फसलों के साथ-साथ वे कम समय में बढ़िया मुनाफा देने वाली फसलों की भी खेती करने लगे हैं। इस दौरान किसान अब सीजनल सब्जियों की खेती की तरफ तेजी से रुख कर रहे है। मेथी भी कुछ इसी तरह की फसल है। इसकी खेती से भी किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। मेथी से दो तरीके से लाभ कमाया जा सकता है। मेथी को हरी अवस्था में इसके पत्तों को बेचकर और सूखी अवस्था में इसके दानो को बेचकर किसान काफी अच्छा लाभ कमा सकते हैं।
मेथी की सब्जी बनाई जाती है जो शरीर के लिए गुणकारी होती है। बाजारों में इसकी मांग हमेशा बनी रहती है। ऐसे में किसानों के लिए मेथी की खेती फायदे का सौदा साबित हो सकती हैं। मेथी की खेती के लिए सितंबर से अक्टूबर का महीना सबसे उपयुक्त होता है। खरीफ सीजन शुरू हो चुका है, ऐसे में किसान सही तरीके के इसकी खेती कर अच्छा उत्पादन और मुनाफा दोनों ले सकते हैं।
कैसे करें मेथी की बुवाई?
मेथी के बीजों को बुवाई से पहले आठ से 12 घंटे के लिए पानी में भिगो दें और चार ग्राम थीरम, 50% कार्बेंडाजिम से रासायनिक उपचार या फिर गौ मूत्र का इस्तेमाल करके जैविक बीज उपचार सकते हैं। बता दें कि बीजोपचार के आठ घंटे बाद ही मेथी के बीजों को खेतों में लगाना चाहिए. खेतों में इसकी बुवाई छिड़काव या ड्रिल विधि से की जाती है।
इसके लिए मिट्टी का पीएच मान छह से सात के बीच होना चाहिए। मेथी की बुवाई के लिए सितंबर माह सबसे उपयुक्त होता है। मैदानी इलाकों में इसकी बुवाई के लिए सितंबर से लेकर मार्च का समय, जबकि पहाड़ी इलाकों में जुलाई से लेकर अगस्त तक का समय सबसे बढ़िया माना जाता है।
अच्छी किस्मों का चयन
मेथी का बेहतर उत्पादन प्राप्त करने के लिए उन्नत किस्मों का चयन करना चाहिए। मेथी के अधिक उत्पादन देने वाली किस्में पूसा कसूरी, आरएमटी 305, राजेंद्र क्रांति, एएफजी 2, हिसार सोनाली आदि हैं। इसके अलावा हिसार सुवर्णा, हिसार माध्वी, हिसार मुक्ता, एएएफजी 1, आरएमटी 1, आरएमटी 143, आरएमटी 303, पूसा अर्ली बंचिंग, लाम सेलेक्शन 1, को 1, एचएम 103, आदि किस्में को भी मेथी की अच्छी किस्मों में गिना जाता है।
इन बातों का भी करें ध्यान
मेथी की खेती के लिए खेत की जुताई अच्छी तरह से करनी चाहिए। खेत को अच्छी तरह समतल और खरपतवार मुक्त रखें। पहले गहरी जुताई करके मिट्टी को भुरभुरा बनाएं और इसके बाद हल्की जुताई करके मिट्टी को बुवाई के लिए तैयार करें। जैविक खाद या कम्पोस्ट का इस्तेमाल मिट्टी की उर्वरकता बढ़ाने के लिए किया जा सकता है। फसल को कीटों और रोगों से बचाने के लिए समय-समय पर उपाय करें।
30-35 दिन में तैयार हो जाती है फसल
बुवाई के बाद, खेत में हल्की सिंचाई करें। आवश्यकतानुसार, 10-15 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करते रहें। खरपतवारों को समय-समय पर निकालते रहें। 30-35 दिनों में फसल कटाई के लिए तैयार हो जाती है।