FD Earnings : RBI ने मौद्रिक नीति समिति की बैठक में रेपो रेट में 50 बेसिस प्वाइंट यानी आधा फीसदी की कटौती की है। जसके बाद रेपो रेट 5.5 फीसदी हो गई है। इसका सीधा असर आम आदमी की जेब पर पड़ता है। इस कटौती से लोन लेने वालों को राहत मिली है, क्योंकि अब उन्हें कम ब्याज पर लोन मिलेग।

इसके विपरीत फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) में निवेश करने वालों के लिए यह चिंता का विषय हो सकता है। रेपो रेट में कमी से ब्याज की दरों में कमी आती है जिससे FD और बचत खाते पर ब्याज दरें भी खटना शुरू हो गयी है। इसका सीधा मतलब है कि FD से आपकी कमाई भी पहले से कम हो सकती है।

RBI के फैसले से क्या बदला है? रेपो रेट में इस कटौती के साथ ही RBI ने कैश रिजर्व रेशियो (CRR) में भी 1% की कटौती की है। मौद्रिक नीति का रुख जो पहले ‘समायोजनकारी’ था, अब ‘तटस्थ’ कर दिया गया है। इसका मतलब यह है कि अब RBI के लिए महंगाई को नियंत्रित करना उतना ही ज़रूरी हो गया है जितना कि अर्थव्यवस्था को सहारा देना। इस वजह से बैंक अब तेज़ी से अपनी ब्याज दरें कम कर रहे हैं ताकि उन्हें कम ब्याज दरों पर पैसे मिल सकें। इसलिए आपको यह ध्यान रखना होगा कि FD पर अब उतना रिटर्न नहीं मिलेगा जितना पहले मिलता था।

ब्याज दरों में करीब आधे से भी ज़्यादा की कटौती

SBI की रिसर्च रिपोर्ट ने इस बात की पुष्टि की है कि इस साल फरवरी से अब तक FD की ब्याज दरों में करीब 30 से 70 बेसिस पॉइंट यानी आधे से भी ज़्यादा की कटौती की गई है। सेविंग अकाउंट की दरें भी अब करीब 2.70% पर पहुंच गई हैं, जो पहले से कम है।

इसका मतलब यह है कि आपका पैसा FD में होने के बावजूद आपको उतना फ़ायदा नहीं दे रहा है जितना कि उम्मीद थी। अलग-अलग बैंक लगातार अपने बचत खाते और एफडी की ब्याज दरों में कटौती कर रहे हैं, जो निवेशकों के लिए एक चुनौती है।

क्या इसमें और कटौती हो सकती है?

एसबीआई का मानना ​​है कि आने वाले वित्तीय वर्ष यानी FY26 में RBI रेपो रेट में 1 प्रतिशत यानी 100 आधार अंकों की और कटौती कर सकता है। अगर महंगाई यानी CPI 4% से नीचे रहती है और क्रेडिट ग्रोथ भी कमजोर रहती है तो RBI के अगले फैसले में ब्याज दरों में कटौती की संभावना भी बढ़ जाती है। ऐसे में FD निवेशकों को अपने निवेश के बारे में सोच-समझकर सोचना होगा।

FD में निवेश करने वाले लोगों को क्या करना चाहिए?

अब सवाल यह है कि इस स्थिति में FD में निवेश करने वाले लोगों को क्या करना चाहिए? सबसे पहले तो यह ध्यान रखें कि कई छोटे और लघु वित्त बैंक अभी भी 7% से 8.25% तक की अच्छी ब्याज दरें दे रहे हैं। हालांकि, इन बैंकों में जोखिम थोड़ा अधिक है, इसलिए बेहतर होगा कि आप ₹5 लाख तक ही निवेश करें, क्योंकि डिपॉजिट इंश्योरेंस की सीमा इतनी ही है।

दूसरा, चूंकि अब ब्याज दरें धीरे-धीरे कम हो रही हैं, इसलिए बेहतर होगा कि आप लॉन्ग टर्म FD में निवेश करें, यानी 2 से 5 साल के लिए। इससे आपको लंबी अवधि में थोड़ा बेहतर रिटर्न मिल सकता है और आप रेपो रेट में कटौती से बच सकते हैं।

तीसरा, पूरी रकम एक बार में निवेश न करें। इसे अलग-अलग अवधि की FD में बांट लें, ताकि आपको ज़्यादा लचीलापन मिले और ज़रूरत पड़ने पर आप किसी भी FD को जल्दी से जल्दी सेटल कर सकें।

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