कृषि अधिकारियों को सफेद सोने के तहत रकबा बढ़ाने के आदेश

Punjab News Update (आज समाज), चंडीगढ़ : पंजाब के कृषि और किसान कल्याण मंत्री गुरमीत सिंह खुड्डियां ने प्रदेश के किसानों को फसल चक्र से बाहर निकलने और कपास की उन्नत किस्मों को खेती में इस्तेमाल करने की अपील की है। कृषि मंत्री ने मालवा क्षेत्र के आठ जिलों के मुख्य कृषि अधिकारियों को किसानों को कपास की आधुनिक तकनीकों के बारे में प्रशिक्षण और मार्गदर्शन देने के आदेश दिए हैं।

इसके साथ ही उन्होंने कीटों की रोकथाम संबंधी उपायों की सख्ती से पालना और निगरानी सुनिश्चित करने को कहा है। कृषि मंत्री ने कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के प्रशासनिक सचिव डॉ. बसंत गर्ग के साथ मालवा क्षेत्र के आठ जिलों, फाजिल्का, श्री मुक्तसर साहिब, बठिंडा, मानसा, बरनाला, संगरूर, मोगा और फरीदकोट शामिल हैं, में कपास की खेती की ब्लॉक-वार प्रगति की समीक्षा की।

1.25 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में कपास की खेती का लक्ष्य

मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार की सफेद सोना यानी कपास के प्रमुख उत्पादक के रूप में पंजाब की स्थिति को मजबूत करने की प्रतिबद्धता दोहराते हुए कृषि मंत्री ने बताया कि राज्य ने इस सीजन में 1.25 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में कपास की खेती करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।

गुरमीत सिंह खुड्डियां ने कहा कि मुख्यमंत्री मान के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार ने कपास उत्पादकों के लिए लागत खर्चे को कम करने हेतु पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) लुधियाना द्वारा सिफारिश किये कपास के बीटी हाइब्रिड बीजों पर 33 प्रतिशत सब्सिडी की घोषणा की है। कपास उत्पादकों को गैर मानक हाइब्रिड बीजों की जगह उच्च उपज वाले और कीटरोधी हाइब्रिड बीजों के चयन हेतु उत्साहित किया जा सके। उल्लेखनीय है कि पीएयू ने राज्य के खेतीबाड़ी-मौसमी हालात में बेहतर पैदावार के मकसद से तैयार की गई अधिक उपज वाली और कीटरोधी 87 हाइब्रिड बीज किस्मों की सिफारिश की है।

गुलाबी सुंडी पर रोक जरूरी

गुलाबी सुंडी के हमले से बचाव के लिए खुड्डियां ने पिछले सीजन की कपास की कटाई के बाद खेतों में बची फसल के अवशेष, जो गुलाबी सुंडी के प्रजनन स्थल बनते हैं, के प्रबंधन और खेतों की सफाई की स्थिति का भी जायजा लिया। उन्होंने बताया कि सफेद मक्खी के प्रबंधन के लिए कपास पट्टी में नदीनों के खात्मे की मुहिम भी शुरू की गई है। यह मुहिम जिला प्रशासन, अन्य विभागों और मनरेगा के सहयोग से सड़कों, नहरों और खाली पड़ी जगहों पर उपजे नदीनों को नष्ट करने के लिए चलाया जा रहा है।

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