Emergency Fund : आज के समय में कई लोग वित्तीय समस्याओ का सामना करते है। जिसके कारण उन्हे कई तरह की परिस्तिथियों का सामना करना पड़ता है। इसका सबसे बड़ा कारण आय का कम होना या उसका वित्तीय योजना नहीं बनाना है। वित्तीय योजना को बनाना यानि अपने भविष्य और करियर को सुरक्षित करना। अगर आप समय रहते सही योजना बना लेते हैं, तो भविष्य में आपको कभी भी पैसों की कमी का सामना नहीं करना पड़ेगा। आइये जानते है कुछ वित्तीय योजनाओं या तरीके का बारे में जो आपके लिए फायदेमंद होगी।
वेतन – बचत = खर्च
यह नियम कहता है कि जब भी आपको वेतन मिले, तो सबसे पहले उसका एक निश्चित हिस्सा बचाएँ और फिर बचे हुए पैसे खर्च करें। ऐसा करने का तरीका यह है कि सबसे पहले अपने कुछ महत्वपूर्ण लक्ष्य तय करें – जैसे रिटायरमेंट, बच्चों की शिक्षा या शादी, घर खरीदना आदि। फिर उन लक्ष्यों के हिसाब से हर महीने बचत करना शुरू करें।
लेकिन सिर्फ़ पैसे बचाना ही काफ़ी नहीं है, उस पैसे को सही जगह निवेश करना भी उतना ही ज़रूरी है. उदाहरण के लिए, आप रिटायरमेंट के लिए PPF या NPS में निवेश कर सकते हैं, और अपनी बेटी के भविष्य के लिए सुकन्या समृद्धि योजना में निवेश कर सकते हैं. निवेश करते समय इस बात का ध्यान रखें कि भविष्य में आपके निवेश का मूल्य क्या होगा और क्या यह आपकी ज़रूरतों को पूरा कर पाएगा.
50-30-20 नियम
यह नियम बताता है कि आपकी सैलरी को तीन हिस्सों में कैसे बांटा जाना चाहिए: 50% ज़रूरी खर्चों (Needs) के लिए:- आपकी सैलरी का 50 प्रतिशत हिस्सा आपकी ज़रूरी ज़रूरतों (Essential Expenses) जैसे घर का किराया (House Rent), राशन, बिजली-पानी, EMI आदि पर खर्च होना चाहिए. 30% बचत और निवेश (Savings & Investments) के लिए:- इसके बाद आपको अपने हिस्से का 30 प्रतिशत हिस्सा बचत और निवेश में निवेश करना चाहिए, ताकि आप अपने छोटे-बड़े वित्तीय लक्ष्यों को समय पर पूरा कर सकें.
यह हिस्सा आपके भविष्य को सुरक्षित करेगा. 20% अपनी इच्छा के अनुसार (चाहत/विवेकाधीन खर्च):- बाकी 20 प्रतिशत पैसे आप अपनी इच्छा के अनुसार इस्तेमाल कर सकते हैं, जैसे घूमना, रेस्टोरेंट में खाना, शॉपिंग करना या अन्य शौक पूरे करना। अगर आपकी ज़रूरतें थोड़ी अलग हैं, तो आप अपनी ज़रूरतों के हिसाब से इस नियम को थोड़ा एडजस्ट कर सकते हैं। इससे आपको लचीलापन मिलता है।
20-4-10 नियम
अगर आप कार खरीदने की सोच रहे हैं, तो यह नियम आपके लिए बहुत काम का साबित हो सकता है:
20%:- डाउन पेमेंट: कार की कुल कीमत का कम से कम 20 प्रतिशत डाउन पेमेंट के तौर पर दें, ताकि लोन की रकम और मासिक किस्त (ईएमआई) दोनों कम रहें।
4%:- लोन अवधि: आपका कार लोन 4 साल से ज़्यादा नहीं होना चाहिए। लंबे समय के लिए लोन लेने से ब्याज का बोझ बहुत बढ़ जाता है।
10%:- ईएमआई हिस्सा: आपकी सैलरी का सिर्फ़ 10 प्रतिशत ही कार लोन की ईएमआई में जाना चाहिए। इससे आपके दूसरे खर्चों और बचत पर कोई दबाव नहीं पड़ेगा। यह नियम आपको समझदारी से खरीदारी करने में मदद करता है।
बीमा सुरक्षा
हर किसी को अपनी सालाना आय से कम से कम 10 गुना ज़्यादा का जीवन बीमा लेना चाहिए. यह इसलिए ज़रूरी है ताकि अगर किसी कारणवश आपको कुछ हो जाए तो आपका परिवार आर्थिक संकट में न फंसे. यह आपके प्रियजनों के लिए एक मज़बूत सुरक्षा कवच है. साथ ही, आज के समय में मेडिकल इंश्योरेंस भी बहुत ज़रूरी हो गया है. आजकल अस्पताल में भर्ती होना या इलाज करवाना बहुत महंगा है। ऐसे में हेल्थ इंश्योरेंस आपकी जेब बचाने के साथ-साथ आपको मानसिक शांति भी दे सकता है।
होम लोन EMI का सावधानीपूर्वक प्रबंधन
हर कोई अपना घर होने का सपना देखता है। लेकिन जब आप होम लोन लेते हैं तो इसकी EMI की योजना बहुत सावधानी से बनानी चाहिए। आपकी EMI. यह आपकी इन-हैंड सैलरी के 30 प्रतिशत से ज़्यादा नहीं होनी चाहिए. अगर पति-पत्नी दोनों कमाते हैं तो आप इस सीमा को 50-60 प्रतिशत तक ले जा सकते हैं।
होम लोन की अवधि जितनी कम होगी, आपको उतना ही कम ब्याज देना होगा। लेकिन इससे मासिक EMI बढ़ जाती है, जिससे बजट पर दबाव पड़ सकता है। जोखिम भरे निवेश में विविधता लाएं
अगर आप म्यूचुअल फंड या शेयर बाजार जैसे जोखिम भरे विकल्पों में पैसा लगा रहे हैं, तो आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होगा। सबसे पहले, अपनी कुल बचत का 20-30 प्रतिशत ही इन जगहों पर निवेश करें।\
उसमें भी सारा पैसा एक ही स्कीम या कंपनी में निवेश करने के बजाय अलग-अलग जगहों पर निवेश करें (विविधता लाएं)। ऐसा करने से अगर एक जगह घाटा भी होता है, तो बाकी निवेश सुरक्षित रहेंगे और कुल घाटा कम होगा। इसे ‘सारे अंडे एक टोकरी में न रखें’ का सिद्धांत कहते हैं।
इमरजेंसी फंड बनाएं
जीवन में कभी भी आपात स्थिति आ सकती है, जैसे बीमारी, नौकरी छूट जाना या परिवार के किसी सदस्य को मदद की जरूरत पड़ना। ऐसे समय में इमरजेंसी फंड बहुत काम आता है।
इसके लिए जरूरी है कि आप हर महीने अपनी सैलरी का 3-5 प्रतिशत इस फंड में निवेश करें और इसे कहीं सुरक्षित जगह (जैसे लिक्विड फंड या बचत खाता) में रखें। कोशिश करें कि इस पैसे का इस्तेमाल तभी करें जब वाकई जरूरत हो। यह फंड आपको किसी भी अचानक आने वाली समस्या से निपटने की ताकत देता है।
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