Editorial Aaj Samaaj | राजीव रंजन तिवारी | भारतीय संसद लोकतंत्र का केंद्र है, जो कानून बनाने, सरकार पर नियंत्रण रखने, जनता की आवाज उठाने और राष्ट्रीय मुद्दों पर बहस करने का सर्वोच्च मंच है। यह देश की संप्रभुता और शासन की नींव रखती है, जहां जनप्रतिनिधि जनता के हित में नीतियां और बजट तय करते हैं। अब धीरे-धीरे इसकी पहचान बदलती जा रही है। अब यहां भांति-भांति की चर्चाएं होने लगी हैं। मजेदार तो यह रहा कि यहां पिछले दिनों कुत्ते का भों-भों भी सुनाई पड़ा। संसद में खानपान की चर्चाएं भी खूब हो रही हैं।

जब खानपान पर चर्चा होती है तो लोग चटखारे लेने लगते हैं। भारतीय संसद में चाय की बात होती ही रहती है। वजह सभी को पता है। चाय के बाद भाजपा सांसद रवि किशन ने समोसे की बात करके चाय-समोसे की जोड़ी लगा दी। इसी क्रम में भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर ने गुरुवार को ई-सिगरेट की बात कर दी। इस प्रकार संसद में चाय, समोसा और अब ई-सिगरेट। यानी मुकम्मल जायका। गजब है हमारी व्यवस्था, अद्भुत है हमारी सोच और अनूठी है शैली। देखते सुनते रहिए। पता नहीं क्या-क्या होने वाला है।

राजीव रंजन तिवारी, संपादक, आज समाज।

बात दो जुलाई 2024 की है। अट्टारहवीं लोकसभा के गठन के बाद भारतीय जनता पार्टी एवं राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के संसदीय दल की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वागत किया गया। उस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने नए सांसदों को मर्यादित व्यवहार एवं आचरण की नसीहतें दीं। मोदी ने संसद के पुस्तकालय भवन में जीएमसी बालयोगी सभागार में हुई राजग संसदीय दल की बैठक की अध्यक्षता करते हुए कांग्रेस पर निशाना साधा। उन्होंने राजग की जीत पर खुशी जाहिर की और कहा लगातार तीन बार जीतना बड़ी बात है। पंडित जवाहरलाल नेहरू के सामने आज के जैसी विकराल चुनौतियां नहीं थीं, फिर वो जीते थे। हमारे सामने तमाम चुनौतियों के बाद भी इतनी बड़ी जीत राजग को मिली। उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि एक परिवार से कई प्रधानमंत्री बने और कुछ सुपर प्रधानमंत्री बने।

इसी क्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कांग्रेस वालों को एक चाय वाले का प्रधानमंत्री बनना हजम नहीं होता इसलिए वो बार-बार हम पर हमला करते हैं। बस, इसी की तलाश थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद भवन के पुस्ताकालय में राजग संसदीय दल की बैठक में चाय की चर्चा कर दी। प्रधानमंत्री की वाणी से चाय की चर्चा सुनते ही जहां विपक्ष को मिर्ची लग जाती है, वहीं उनके समर्थक भावुक हो जाते हैं। जबकि तटस्थ लोग यह कहते हुए चुटकी लेने लगते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शायद झूठ बोल रहे हैं। उन्होंने कभी चाय बेची ही नहीं। खैर, बात चाय की हो रही है। इसलिए इसके स्वाद को कायम रखना हम सबकी जिम्मेदारी है। साथ में विमर्श यह है कि संसद से बाहर इस तरह की बातें हों तो वह ज्यादा अच्छा है। संसद में तो सिर्फ राष्ट्र के उत्थान की चर्चा ही होनी चाहिए। अब चाय की चर्चा हो गई।

अब बात समोसे की। इसी वर्ष 31 जुलाई को गोरखपुर (यूपी) के सांसद रवि किशन ने संसद में देशभर के खाद्य पदार्थों की कीमत और गुणवत्ता में भेदभाव पर सवाल उठाए। उन्होंने समोसे के उदाहरण के माध्यम से खाद्य पदार्थों की मात्रा और कीमत में अंतर को उजागर किया। सांसद रवि किशन ने छोटे ढाबों से लेकर होटलों तक खाद्य पदार्थों के मूल्य, गुणवत्ता और मात्रा के मानकीकरण की जरूरत बताई। रवि किशन का यह बयान सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ। सांसद ने सदन में देश भर में मिलने वाले खाद्य पदार्थों की अलग-अलग कीमत और गुणवत्ता को लेकर सवाल किए। इसमें उन्होंने समोसे का उदाहरण देते हुए उसकी अलग-अलग कीमत का जिक्र किया। सांसद के बयान का एक छोटा का हिस्सा जिसमें वो समोसे की कीमत से जुड़े सवाल उठा रहे हैं, वो वायरल हो गया।

वायरल बयान में सांसद और फेमस एक्टर रवि किशन यह कहते हुए नजर आए कि समोसा कहीं बड़ा मिलता है, कहीं छोटा मिलता है। इतना बड़ा बाजार है। करोड़ों ग्राहक है। 11 साल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई युंगातकारी परिवर्तन किए, लेकिन यह क्षेत्र अछूता है। ऐसे में छोटे ढाबे से लेकर बड़े होटलों तक मिलने वाले खाद्य पदार्थों की कीमत और गुणवत्ता को लेकर एक कानून बनाया जाना चाहिए। रवि किशन ने लोकसभा में कहा कि शून्य काल में मुझे लोक महत्व के इस मामले को उठाने की अनुमति देने के लिए आपका हृदय से आभार। हमारा भारतवर्ष दुनिया का सबसे बड़ा आबादी वाला देश है। यहां पर छोटे-छोटे कस्बों से लेकर बड़े-बड़े महानगरों में लाखों ढाबे और होटल हैं, जिनमें प्रतिदिन करोड़ों लोग भोजन करते हैं। तो देख लिया आपने। संसद में चाय के बाद समोसा पहुंच गया। इस समोसे ने पूरे देश में खूब चर्चा बटोरी।

चाय और समोसा हो गया तो अब सिगरेट भी चाहिए। लीजिए, गुरुवार को संसद में ई-सिगरेट भी पहुंच गया। लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने गुरुवार को तृणमूल कांग्रेस के सांसद पर गंभीर आरोप लगाए। अनुराग ठाकुर ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच कराने की मांग की। इस पर स्पीकर ने उन्हें आश्वस्त किया कि किसी भी तरह के नियमों के उल्लंघन को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सदन के नियमों के मुताबिक समुचित जांच कराई जाएगी। अनुराग ठाकुर ने प्रश्नकाल के दौरान कहा कि पूरे देश में ई-सिगरेट पर प्रतिबंध है, लेकिन संसद में तृणमूल कांग्रेस सांसद ई-सिगरेट पी रहे हैं। उनकी इस बात को गंभीरता से लेते हुए स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि संसदीय नियमावली के तहत इस घटना की जांच कराई जाएगी। उन्होंने आश्वस्त किया कि संसद की मर्यादा से किसी भी तरह का खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

ठाकुर ने कहा कि देशभर में ई-सिगरेट बैन हो चुकी है। क्या सदन में इसकी अनुमति है? टीएमसी सांसद कई दिनों से लगातार बैठकर यहां ई-सिगरेट पी रहे हैं। इसकी जांच करानी चाहिए। भाजपा सांसद की गंभीर आपत्ति पर स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि मैं सभी सदस्यों से पुन: आग्रह करता हूं कि हमें संसदीय परंपराओं और नियमों का अनुपालन करना चाहिए। कोई भी सदस्य ऐसा कोई भी विषय लेकर आएगा को निश्चित रूप से कार्रवाई होगी। संसद परिसर में ई-सिगरेट पीने की बिल्कुल अनुमति नहीं दी जा सकती। इसे नियम के विरुद्ध माना जाएगा। खैर, बात ई-सिगरेट की हो रही है। मेरा मानना है कि संसद में चाय, समोसा और ई-सिगरेट की चर्चा थोड़ी अटपटी लग रही है। इस तरह की चर्चाओं के लिए अन्य फोरम भी हैं। यूं कहें कि इस तरह की बातें मजाक का विषय बनती हैं।

बहरहाल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा यह कहना कि एक चाय वाले का प्रधानमंत्री बनना कांग्रेस को पसंद नहीं आ रहा है। इस तरह की बातें तो वे सार्वजनिक मंचों से भी करते रहते हैं। कम से कम संसद परिसर से इस तरह की बात को अलग रखना चाहिए। वहीं, भाजपा सांसद और भोजपुरी के अभिनेता रवि किशन ने तो मजा ही बांध दिया। उन्होंने समोसे की चर्चा करके चाय और समोसे की जोड़ी लगा दी। एक बची थी सिगरेट, जिसकी बात करके भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर ने उसे भी पूरा कर दिया। अब देश के लोग यह सोचने को विवश हैं कि क्या संसद चाय, समोसा और सिगरेट पर चर्चा के लिए ही बनी है? इस तरह की हल्की बातों के लिए किसी अन्य मंच का सहारा लेना चाहिए। क्योंकि चाय, समोसा और सिगरेट की चर्चा से देश नहीं चलने वाला। देश चलाने के लिए अन्य गंभीर मुद्दे सदन के पटल पर रखे जाने चाहिए।

मौजूदा शीतकालीन सत्र में कई तरह के मुद्दे उठे। वंदे मातरम पर बहस हुई। उसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हिस्सा लिया। एसआईआर और चुनाव सुधार के मुद्दों पर भी गर्मी देखी गई। इसी क्रम में सबसे अधिक चर्चा गृह मंत्री अमित शाह और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के बीच की बहस की हुई। इस बहस ने देश के सियासी पारा को चढ़ा दिया। अभी आगे भी बहुत कुछ होने वाला है। 19 दिसंबर तक संसद का शीतकालीन सत्र है। समझा जा रहा है कि इस दरम्यान और कई तरह के मजेदार और रोचक किस्से देखने-सुनने को मिलेंगे। देखते हैं कि आगे क्या-क्या होता है।

यदि संसद में चाय, समोसे और ई-सिगरेट की बात करें तो उसके लिए सरकार की गाईडलाइन को समझना होगा। ई-सिगरेट पर 2019 में पूर्ण प्रतिबंध लगा, वहीं समोसे और चाय पर हाल ही में (2025 में) स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोई चेतावनी नहीं लगाने की बात कही, बल्कि केंद्र संस्थानों की कैंटीन में जागरूकता बोर्ड लगाने की सलाह दी, क्योंकि यह विषय चुनाव खर्च में भी आता है (10 रुपये समोसा, 8 रुपये चाय की दरें तय) और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने के लिए है, जबकि तंबाकू मुक्त भारत के लक्ष्य के तहत ई-सिगरेट पर कानून बना, ताकि युवा पीढ़ी को इसके नुकसान से बचाया जा सके। (लेखक आज समाज के संपादक हैं।) 

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