Editorial Aaj Samaaj | राजीव रंजन तिवारी | खुद को दुनिया का दादा समझने की भूल करने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के घोर अवरोध और विरोध के बावजूद जोहरान ममदानी न्यूयॉर्क सिटी के मेयर का चुनाव जीत गए। यह मुद्दा कितना विरोधाभासी है। दुनिया के विभिन्न मंचों से अपनी ताकत की खुद ही बखान करते रहने वाले डोनाल्ड ट्रंप के लिए यह कितना बड़ा झटका है, इसका अंदाजा शायद उन्हें भी नहीं होगा। मूल विषय यह है कि आखिर न्यूयॉर्क के लोगों ने इस हिंदी भाषी जोहरान ममदानी को अपना मेयर क्यों चुना। लोगों ने जोहरान ममदानी को क्यों जिता दिया। जोहरान ममदानी वर्ष 1892 के बाद बने न्यूयॉर्क शहर के सबसे युवा मेयर हैं। वे न्यूयॉर्क सिटी के पहले मुस्लिम मेयर भी होंगे।
न्यूयॉर्क शहर ने एक राजनीतिक भूकंप का अनुभव किया है। 34 वर्षीय डेमोक्रेटिक सोशलिस्ट जोहरान ममदानी ने शहर के शक्तिशाली अभिजात्य वर्ग को पछाड़ते हुए मेयर का चुनाव जीत लिया। यह एक ऐसी जीत है जो न केवल ऐतिहासिक है, बल्कि शहर और देश की राजनीति के लिए गहरे मायने रखती है। ममदानी न्यूयॉर्क के पहले मुस्लिम और पहले दक्षिण एशियाई मेयर होंगे और एक सदी से भी अधिक समय में शहर के सबसे युवा नेता बनेंगे। उनकी जीत एक शानदार अभियान का परिणाम है जिसने जमीनी स्तर पर ऊर्जा और राजनीतिक प्रतिष्ठान के साथ चतुराई भरी बातचीत का एक अनूठा मिश्रण पेश किया। लेकिन अब, उन्हें एक विभाजित शहर, एक शत्रुतापूर्ण व्हाइट हाउस और अपनी महत्वाकांक्षी योजनाओं के लिए भारी वित्तीय दबावों का सामना करना पड़ेगा।
साल की शुरुआत में जोहरान ममदानी (Zohran Mamdani) को कोई बड़ी राजनीतिक हस्ती नहीं माना जाता था। वह सर्वेक्षणों में सिर्फ एक प्रतिशत पर थे और उनकी अपनी टीम ने उनके जीतने की संभावना तीन प्रतिशत से भी कम आंकी थी। फिर इस युवा असेंबली सदस्य ने एक ऐसा अभियान चलाया जिसने शहर की राजनीति के नियमों को फिर से लिखा। उन्होंने पारंपरिक मीडिया और राजनीतिक संरक्षकों को दरकिनार करते हुए सीधे मतदाताओं से संपर्क साधा। उनका अभियान शहर के बढ़ते सामर्थ्य संकट पर केंद्रित था, जिसने ब्रुकलिन के नए निवासियों से लेकर क्वींस के टैक्सी ड्राइवरों तक, एक विविध गठबंधन को आकर्षित किया। उनकी टीम ने पैसे जुटाने के पारंपरिक तरीकों को छोड़कर, समर्थकों को समय देने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने सीमित संस्करण में नीली टोपी और बंदाना जैसे उत्पाद बनाए जो केवल स्वयं सेवा करने पर ही मिलते थे।
यह रणनीति पूर्व गवर्नर एंड्रयू कुओमो के ठीक विपरीत थी, जो एक राजनीतिक राजवंश के वंशज थे और अपने बड़े धन वाले अभियान पर निर्भर थे। ममदानी की ऊर्जा और ज़मीनी जुड़ाव ने उन्हें जून में डेमोक्रेटिक प्राइमरी में एक आश्चर्यजनक जीत दिलाई। प्राइमरी जीत के बाद ममदानी को न्यूयॉर्क के शक्तिशाली व्यापारिक और राजनीतिक अभिजात्य वर्ग के तत्काल और तीव्र विरोध का सामना करना पड़ा। शहर के सत्ता के दलाल उनके उदय को एक शत्रुतापूर्ण अधिग्रहण के रूप में देख रहे थे। अरबपति निवेशक बिल एकमैन ने उन्हें नवंबर में हराने के लिए सैकड़ों मिलियन डॉलर देने की धमकी दी। इस चुनौती का सामना करते हुए ममदानी ने एक दूसरा और भी मुश्किल अभियान शुरू किया। रियल एस्टेट और वित्त जगत के दिग्गजों के साथ बैठकें कीं। उनका लक्ष्य अपनी नीतियों को समझाना और यह संकेत देना था कि वह सहयोग के लिए तैयार हैं।
खैर, ममदानी का रास्ता कांटों से भरा है। वह एक ऐसे शहर का नेतृत्व करेंगे जो सेवाओं से असंतुष्ट है और बढ़ती महंगाई से त्रस्त है। ममदानी ने मुफ्त बस सेवा, सार्वभौमिक बाल देखभाल और 2030 तक न्यूनतम मज़दूरी 30 डॉलर प्रति घंटा करने जैसे महत्वाकांक्षी वादे किए हैं। इन योजनाओं पर अरबों डॉलर का खर्च आएगा। इसके लिए उन्होंने अमीरों पर टैक्स बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है, जिसे अल्बानी में राज्य सरकार से मंजूरी की आवश्यकता होगी और गवर्नर होचुल पहले ही इसका विरोध कर चुकी हैं। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ममदानी को बार-बार कम्युनिस्ट कहा है और शहर की संघीय फंडिंग में कटौती करने तथा नेशनल गार्ड भेजने की धमकी दी है। न्यूयॉर्क का बजट संघीय सहायता पर बहुत अधिक निर्भर करता है और इसमें कोई भी कटौती ममदानी की योजनाओं को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है। राष्ट्रीय स्तर पर डेमोक्रेटिक पार्टी ममदानी को लेकर विभाजित है।
जानकार मानते हैं कि न्यूयॉर्क शहर अपने आप में एक अनोखा कैरेक्टर है। न्यूयॉर्क सिटी की अपनी अलग राजनीतिक महत्ता है। इसने अमेरिका को दो राष्ट्रपति दिए हैं। पहला थियोडोर रूजवेल्ट और दूसरा डोनाल्ड जे ट्रंप। इसके अलावा यहां की आबादी की विविधता ही इसकी विशेषता है। यहां अलग-अलग नस्ल, जाति, संस्कृति के लोग रहते हैं। न्यूयॉर्क की 48 प्रतिशत आबादी इंग्लिश के अलावा दूसरी भाषा बोलती है। 37 प्रतिशत आबादी विदेश में जन्मी है। वर्ष 2023 में न्यूयॉर्क की आबादी 85 लाख से ज्यादा बताई गई। इनमें 35.85 प्रतिशत गोरे, 22.7 प्रतिशत काले या अफ्रीकी अमेरिकी, 5.52 प्रतिशत अन्य नस्ल के लोग हैं। बाकी आबादी में स्थानीय अमेरिकी, स्थानीय हवाई या पैसिफिक आईलैंडर और बहुजातीय हैं। 85 लाख से ज्यादा की आबादी में करीब 12.5 लाख से ज्यादा एशियाई आबादी है। इसमें पूर्वी एशिया के 55.9 प्रतिशत, दक्षिण पूर्वी एशिया के 9.2 प्रतिशत, दक्षिणी एशिया के 30.7 प्रतिशत और मध्य एशिया के 1.3 प्रतिशत लोग हैं।
तकरीबन 400 साल पहले 1625 में ट्रेड के मकसद से डच लोगों ने न्यूयॉर्क की नींव रखी थी। ये शहर आज फ़ाइनेंस, आर्ट, कल्चर, फैशन, एंटरटेनमेंट की दुनिया का ग्लोबल हब बन चुका है। यहां के लोगों ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के विरोध के बावजूद जोहरान ममदानी को अपना वोट दिया और उन्हें मेयर बना दिया। चर्चा सिर्फ इसीलिए हो रही है कि ट्रंप के विरोध के बावजूद यह परिणाम आया। दुनिया के अन्य देशों के सत्ताधीश, जो खुद को भगवान से कम नहीं समझते, उन्हें ममदानी वाले परिणाम पर गौर फरमाना चाहिए। ट्रंप जैसे शक्तिशाली व्यक्ति के विरोध के बावजूद मामदानी यदि चुनाव जीत सकते हैं तो लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत कुछ भी संभव है। इसलिए खुद को खुदा समझने की भूल बिल्कुल नहीं करनी चाहिए। मेरा मकसद सिर्फ इसी तथ्य को समझाना है। लोकतांत्रिक प्रक्रिया जनता के द्वारा बनाई गई व्यवस्था है। उस व्यवस्था को अक्षुण्ण रखना चाहिए।
आपको बता दें कि हिंदी भाषी 34 साल के जोहरान ममदानी न्यूयॉर्क का मेयर बनने के दावेदारों में से एक थे। मीरा नायर का यह बेटा उम्मीदवारी पाते ही सुर्खियों में आ गया। प्रतिद्वंद्वी ममदानी को अनुभवहीन बताने लगे, जिसे ममदानी ने फख्र की बात कही। बीते साल अक्टूबर में ममदानी ने जब न्यूयॉर्क के मेयर के लिए अपनी दावेदारी पेश की तो राज्य एसेंबली का यह सदस्य ज्यादातर शहरवासियों के लिए अनजाना था। अब न्यूयॉर्क के पहले भारतीय अमेरिकी मेयर बनने वाले ममदानी पहले रैपर भी रह चुके हैं। यूगांडा के कंपाला में जन्मे ममदानी की मां मशहूर फिल्ममेकर मीरा नायर हैं। भारतीय मां-बाप की संतान ममदानी ने कॉलेज से ग्रेजुएट होने के तुरंत बाद 2018 में अमेरिका की नागरिकता ली थी। सात साल की उम्र में परिवार के साथ न्यूयॉर्क आने से पहले वह कुछ समय के लिए दक्षिण अफ्रीका के केपटाउन में भी रहे।
ममदानी ने ब्रॉन्क्स हाई स्कूल ऑफ साइंस से पढ़ाई की है, जहां उन्होंने स्कूल की पहली क्रिकेट टीम बनाई थी। 2014 में वो माइने के बोडोइन कॉलेज से अफ्रीकाना स्टडीज में ग्रेजुएट हुए। वह कॉलेज छात्रों के जस्टिस इन पलेस्टाइन चैप्टर के सहसंस्थापक भी रहे हैं। कॉलेज के बाद उन्होंने क्वींस में उन लोगों के लिए सलाहकार के रूप में काम किया जिन पर शहर से निकाले जाने का खतरा था। ममदानी का कहना है कि इस काम ने उन्हें सार्वजनिक जीवन में उतरने की प्रेरणा दी। पहली बार स्टेट एसेंबली के चुनाव में उतरने के दौरान वह पहले यंग कार्डमॉम और बाद में मिस्टर कॉर्डमॉम के नाम से जाने गए। ममदानी संगीत की दुनिया में अपने गुजरे समय के बारे में बताते हुए खुद को बी-लिस्ट रैपर कहते हैं। 2019 में अपनी नानी के सम्मान में उन्होंने एक गाना बनाया था नानी।
बहरहाल, जोहरान ममदानी की जीत दुनिया भर में चर्चा का विषय है। इसकी वजह सिर्फ इतनी ही है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के विरोध के बावजूद उनके शहर यानी न्यूयॉर्क से ही ममदानी ने मेयर पद के लिए जीत हासिल की। इस सियासी परिस्थितियों ने लोगों को यह सोचने पर विवश किया है कि क्या शक्ति से टकराकर भी जीत हासिल की जा सकती है? जवाब है, हां। लक्ष्य स्पष्ट हो, नीति पारदर्शी हो और सोच सकारात्मक हो। इस प्रकार सफलता में संदेह की गुंजाइश कम रहती है। (लेखक आज समाज के संपादक हैं।)
यह भी पढ़ें : Editorial Aaj Samaaj: राहुल गांधी की टेढ़ी-मेढ़ी सियासी इमरतियां