Editorial Aaj Samaaj | निर्मल रानी | हमारे देश में अनेकानेक स्वयंभू संत, प्रवचनकर्ता,ज्योतिषी व धर्मगुरु टी वी स्क्रीन की ‘शोभा’ बढ़ा रहे हैं। ऐसे कई स्वयंभू संत व प्रवचनकर्ता जब कैमरे के सामने प्रकट होते हैं तो उनका साज श्रृंगार,मेकअप उनकी निराली अदाएं सब कुछ देखने लायक होती हैं। ऐसे ही एक ‘कथावाचक’ व आध्यात्मिक गुरु कहे जाने वाले अनिरुद्धाचार्य (Aniruddhacharya) का नाम अक्सर किसी न किसी विवाद को लेकर चर्चा में रहता है।
रुपहले पर्दे पर नजर आने का शौक रखने वाले अनिरुद्धाचार्य
रुपहले पर्दे पर नजर आने का शौक रखने वाले अनिरुद्धाचार्य लाफ़्टर शेफ़्स में एक अतिथि के रूप में देखे जा चुके हैं। वे अपनी कई टिप्पणियों व अंधविश्वास पूर्ण बातों के लिए विवादों में भी रह चुके हैं। कभी-कभी शब्दों को तोड़-मरोड़कर पेश करने के लिए भी वे हास्य का पर्याय बन चुके हैं। जैसे उन्होंने बिस्किट को “विष -की-किट” यानी जहर का पैकेट परिभाषित कर दिया। एक बार उन्होंने यह भी कहा था कि महिलाओं को पीछे की ओर नहीं सोना चाहिए क्योंकि इससे उनके स्तन अशुद्ध हो जाएंगे।
टी वी शो के दौरान शिक्षित लोगों का सामना करना पड़ा
एक बार एक टी वी शो के दौरान उन्हें कुछ तार्किक व वैज्ञानिक सोच रखने वाले कुछ शिक्षित लोगों का सामना करना पड़ा। उस समय टी वी एंकर द्वारा उन्हें उनके प्रवचन का वह अंश याद दिलाया गया जिसमें उन्होंने यह कहा था कि गाय के गोबर में से गेंहू चुनचुन कर निकालकर उस गेंहू का पिसा आटा खाने से पुत्र रत्न प्राप्त होता है?
महिलाओं का अपमान करने की सभी सीमाएं पार कीं
पिछले दिनों अपने एक तथाकथित प्रवचन में तो अनिरुद्धाचार्य ने महिलाओं का अपमान करने की सभी सीमाएं पार कर दीं। यही महिलाएं जो ऐसे स्वयंभू संतों व प्रवचन कर्ताओं का प्रवचन शुरू होने से पहले सज संवरकर, अपने सिरों पर भारी क्लश रखकर शहर में संतों व प्रवचन कर्ताओं की शोभा यात्रा निकालकर नगर में इनके प्रवचन में भीड़ जुटाने के लिए माहौल तैयार करती हैं। यही महिलाएं जो इनके प्रवचन में कभी तालियां बजाकर तो कभी नृत्य कर कभी अपने दोनों हाथ ऊपर उठाकर झूम-झूम कर इनके समागम में समां बांधती हैं।
रोज सुबह मंदिरों में सबसे पहले पहुंचती हैं महिलायें
यहीं महिलायें जो इनके प्रवचन सुनाने अपने पति व अन्य पड़ोसियों को भी साथ लाती हैं। जो इन्हें दान देती हैं,जो रोज सुबह मंदिरों में सबसे पहले पहुंचती हैं। जो महिलाएं श्रद्धा पूर्वक मंदिरों व आश्रमों में सेवा करती हैं। इन्हें महिलाओं व उनकी पुत्रियों को लेकर जिस तरह के विकार पिछले दिनों अनिरुद्धाचार्य के मुख से निकले उसने न केवल आम लोगों को बल्कि स्वयं इनके भक्तों को भी आश्चर्य चकित कर दिया। जो शब्द उन्होंने महिलाओं के लिए इस्तेमाल किए, शायद इससे अधिक घटिया शब्दों का चयन हो भी नहीं सकता है।
अनिरुद्धाचार्य का अत्यंत विवादित व आपत्तिजनक बयान
अनिरुद्धाचार्य ने अपने एक प्रवचन के दौरान कुंवारी लड़कियों की शादी की उम्र को लेकर अत्यंत विवादित व आपत्तिजनक बयान दे डाला। उन्होंने कहा कि लोग विवाह के लिए लड़की लाते हैं पच्चीस साल की। अब 25 साल की लड़की चार जगह मुंह मार चुकी होती है। सब नहीं पर बहुत और वह पच्चीस साल की जब आती है तो पूरी जवान होकर आती है। जब जवान होकर आएगी तो स्वाभाविक है कि उसकी जवानी कहीं न कहीं फिसल जाएगी।
14 साल की उम्र में लड़की की शादी को जायज ठहराया
साथ ही उन्होंने 14 साल की उम्र में लड़की की शादी को जायज ठहराया। गौरतलब है कि भारत में बाल विवाह निषेध अधिनियम के तहत इस उम्र में शादी अवैध है। इस बयान के बाद तो गोया पूरे देश में भूचाल सा आ गया। मथुरा में भी महिलाएं व अन्य संगठनों ने इनके विरुद्ध प्रदर्शन किया । जगह जगह उनके पुतले फूंके गये। कई जगह से उनके विरुद्ध महिला संगठनों द्वारा एफ आई आर करने की खबरें सुनीं गयीं।
टी आर पी की दौड़ में मीडिया समूह
एक बार फिर इस विवादित बयान को लेकर भी टी आर पी की दौड़ में जुटे मीडिया समूहों को मसाला खबरें बेचने की सामग्री हासिल हो गयी। अनिरुद्धाचार्य ने अपने बयान को लेकर उपजे विवाद व हंगामे के बाद एक वीडियो जारी कर यह कहा है कि ‘मेरी कुछ बहनें प्रसारित हो रहे वीडियो से आहत हैं।
कहना चाहता हूं कि कुछ लड़कियां ऐसी होती हैं कि लिव इन में रहकर चार जगह मुंह मार के किसी के घर जाएंगी, तो क्या वे किसी रिश्ते को निभा पाएंगी। इसलिए लड़की हो या फिर लड़का दोनों को चरित्रवान होना चाहिए।’ यह कहकर माफी मांगनी तो क्या उन्होंने अपनी ‘चार जगह मुंह मारने ‘ जैसी सड़क छाप ‘भाषा शैली ‘ का फिर से इस्तेमाल किया। शायद वे सोच रहे हों कि बदनाम अगर होंगे तो क्या नाम न होगा ?
किरण बेदी व कल्पना चावला के देश में ऐसे लोग
जरा सोचिए कि किरण बेदी व कल्पना चावला के देश में जहां लड़कियां चांद पर पहुंचने की होड़ में लगी हुई हैं। जिस देश में प्रतिभावान युवतियां सिविल सेवाओं में व डॉक्टर इंजीनियर व उद्यमी बनने की दिशा में आगे बढ़ रही हैं। जहां सेनाओं में उच्च पदों पर अपनी सेवाएं देकर देश का गौरव बढ़ा रही हों, उस देश की महिलाओं को यह अशिक्षित रहकर शिक्षा ग्रहण करने की उम्र में शादी रचाने की सलाह देते हैं।
कुछ ‘मुंह मारने ‘ वाले संत जेल की सजा भी भुगत रहे
गोया एक अनपढ़ मां की परिकल्पना को साकार करने की कोशिश करते हैं ? रहा सवाल चार जगह मुंह मारने का तो यह देश का दुर्भाग्य है कि इसी भारतीय समाज में कुछ कुसंस्कारी लोग सभी क्षेत्रों व समाज के सभी वर्गों में हैं जो मुंह मारते रहते हैं। चाहे वह संत समाज ही क्यों हो। जहां आज अनेक चरित्रवान त्यागी परोपकारी व धर्मात्मा संत धर्म की रक्षा में लगे हैं वहीं कुछ ‘मुंह मारने ‘ वाले जेल की सजा भी भुगत रहे हैं।
औरतों को देते हैं 5-10 बच्चे पैदा करने की सलाह
कभी कोई संत औरतों को 5-10 बच्चे पैदा करने की सलाह देता है। गोया आसमान की बुलंदी को छूने वाली महिलायें इन जैसों की नजरों में केवल बाल विवाह सामग्री व बच्चे पैदा करने की मशीन मात्र रह गयी हैं? कहना गलत नहीं होगा कि महिलाओं के प्रति ऐसी विकृत मानसिकता रखने वाले स्वयंभू संतों की भक्ति में डूबी महिलायें स्वयं ही अपने अपमान की जिम्मेदार हैं। (लेखिका स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। यह इनके निजी विचार हैं।)
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