Editorial Aaj Samaaj: जन-जागरूकता से रुकेंगी महिलाओं में ‘स्तन कैंसर’ की रफ्तार?
Editorial Aaj Samaaj: जन-जागरूकता से रुकेंगी महिलाओं में ‘स्तन कैंसर’ की रफ्तार?
Editorial Aaj Samaaj | डॉ. रमेश ठाकुर | ‘ब्रेस्ट कैंसर’ विश्व भर की महिलाओं में सर्वाधिक खतरनाक बीमारियों के तौर पर प्रमाणित हो चुकी है। प्रत्येक 14 सेकंड में कोई न कोई महिला स्तन कैंसर की चपेट में आने लगी है। आज ‘विश्व स्तन कैंसर अनुसंधान दिवस’ है जो सालाना 18 अगस्त को समूचे संसार में मनाया जाता है। 4 साल पहले यानी मई 2021 में ‘डॉ. सुसान लव फाउंडेशन’ ने आधिकारिक तौर पर इस दिवस के रूप में चिह्नित किया था,
ताकि न केवल इस गंभीर बीमारी पर ध्यानाकर्षित किया जाए, बल्कि जानलेवा इस बीमारी को समझने, इलाज करने और जागरूकता के प्रयासों पर गंभीरता से प्रकाश डाला जा सके। स्तन कैंसर के खतरे को समझने और उसे बेअसर करने के लिए आज चिकित्सा तंत्र की ओर से विश्व भर में जागरूकता कार्यक्रम किए जा रहे हैं, जिनका उद्देश्य स्तन कैंसर के उपचार में शोध परक वैज्ञानिक प्रगतियों पर ध्यान केंद्रित है।
डॉ. रमेश ठाकुर
अमेरिका प्रत्येक वर्ष ‘कैंसर अनुसंधान पर 167 बिलियन डॉलर खर्च करता है। अमेरिकी महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर सर्वाधिक है। वहां के पुरुषों में स्तन कैंसर होने लगा है। खर्च की जहां तक बात है तो अन्य पीड़ित मुल्क भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे। स्तन कैंसर विकसित और विकासशील देशों की महिलाओं में होना अब आम हो गया है। कामकाजी महिलाएं ज्यादा ही पीड़ित हैं। कारण बिगड़ती दिनचर्याएं कहें, खानपीन या भागदौड़ भरी जिंदगी? बढ़ते ब्रेस्ट कैंसर के आंकड़े निश्चित रूप से डरावने हैं।
साल 2020 स्तन कैंसर के लिहाज से महिलाओं के लिए बहुत दुखद रहा, जब दुनिया भर की 2.3 मिलियन महिलाएं इस रोग से पीड़ित हुईं जिसमे रिकॉर्ड 685,000 महिलाओं की असमय मृत्यु हुई। भयभीत करने वाले इन आंकड़ों को देखते हुए ही ‘डॉ. सुसान लव फाउंडेशन’ ने विश्व स्तन कैंसर को मनाने का निर्णय लिया। फाउंडेशन के निर्णय को डब्ल्यूएचओ, यूनिसेफ, विश्व कैंसर संस्थान, के अलावा समूचे विश्व स्वास्थ्य तंत्र ने ना सिर्फ सराहा, बल्कि हर संभव मदद का आश्वासन भी दिया। 193 देश ऐसे हैं जो इस इस दिवस का समर्थन करते हैं।
गौरतलब है महिलाओं में स्तन कैंसर में भारत अभी चौथे पायदान पर है। कैंसर के निदान पर भारतीय चिकित्सा तंत्र काबिले तारीफ शोध कर रहा है। क्योंकि अनुसंधान के जरिए ही स्तन कैंसर पर अंकुश लगाया जा सकता है। शोध से इस बीमारी का पूर्वानुमान अब आसानी से लगाया जा सकता है। ब्रेस्ट कैंसर का पता जब शुरुआती चरण में चल जाता है, तो सर्जरी, कीमोथेरेपी, रेडिएशन थेरेपी और हार्मोन थेरेपी जैसे उपचारों से ठीक किया जा सकता है। लेकिन ये तभी संभव है जब बीमारी के प्रति जागरूक हों? भारत में सालाना करीब एक लाख 62 हजार महिलाओं को स्तन कैंसर होता है जिनसे 87,000 से अधिक महिलाओं की मृत्यु होती है।
चिकित्सीय रिपोर्ट पर गौर करें तो हिंदुस्तान में प्रत्येक एक घंटे के भीतर एक भारतीय महिला को स्तन कैंसर होता है। हालांकि, बीते 2022-23 में बढ़ी जागरूकता के चलते बढ़ते इन आंकड़ों पर थोड़ा बहुत सुधार जरूर हुआ है। स्तन कैंसर ग्रामीण और शहरी दोनों जगहों की महिलाओं को होने लगा है। जबकि, पहले स्तन कैंसर की चपेट में ज्यादातर ग्रामीण महिलाएं ही चपेट में आती थीं। क्योंकि वहां, उपचार, सुविधाओं और जागरूकता का अभाव होता था।
चिकित्सक कहते हैं अगर महिलाओं को अपने ब्रेस्ट में छोटी सी भी गांठ बनते दिखे, तो तुरंत जांच करवानी चाहिए। क्योंकि ये स्तन कैंसर अन्य बीमारियों के मुकाबले खतरनाक माना गया है। भारत में इस बीमारी से पीड़ित महिलाओं की जहां जीवित रहने की दर 60 फीसदी रहती है, वहीं अमेरिका में ये दर 80 फीसदी ही है। आंकड़ों में असमानता का मुख्य कारण जागरूकता की कमी और शुरुआती जांच में बिलंवता? ब्रेस्ट कैंसर का इलाज संभव है, खासकर शुरुआती चरणों में उसकी पहचान और सुगम उपचार से ब्रेस्ट कैंसर पर सफलता पाई जा सकती है।
हालांकि, उन्नत चरण में, इलाज का लक्ष्य, रोग को नियंत्रित करना और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना होता है। लेकिन पूर्ण रूप से ठीक होना फिलहाल हमेशा संभव नहीं? पूर्ण सफलता जागरूकता और सतर्कता से ही संभव है। कैंसर के संबंध में जागरूकता मिशन अब अभियानों में तब्दील हो चुके हैं। 4 फरवरी को संपूर्ण ‘विश्व कैंसर दिवस’ भी मनाया जाता है। क्योंकि कैंसर कोई एक नहीं, बल्कि विभिन्न प्रकार के होते हैं जिनमें स्तन कैंसर को सर्वाधिक खतरनाक माना गया है। (लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह इनके निजी विचार हैं।)
Sub Editor at Indianews.in | Indianewsharyana.com | Aajsamaj.com | Complete knowledge of all Indian political issues, crime and accident story. Along with this, I also have some knowledge of business.