Editorial Aaj Samaaj | राकेश सिंह | अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत से आने वाले सामानों पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने का ऐलान किया। साथ ही, भारत के रूस से तेल और हथियार खरीदने पर अतिरिक्त पेनल्टी भी जोड़ी गई। यह खबर भारत के लिए एक बड़ा झटका जरूर है, क्योंकि अमेरिका हमारा सबसे बड़ा निर्यात बाजार है। हर साल भारत अमेरिका को करीब 80 अरब डॉलर का सामान बेचता है। लेकिन अब इस टैरिफ से क्या असर पड़ेगा? इसे आर्थिक आपदा कहें या अवसर? यह बड़ा सवाल है।

राकेश शर्मा, प्रबंध संपादक, आईटीवी नेटवर्क।

अमेरिका ने यह कदम क्यों उठाया? अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां भारत के बारे में क्या सोचती हैं? भारत सरकार अब क्या कदम उठाएगी? और क्या अमेरिका पाकिस्तान के करीब जा रहा है? आइए इन सब बातों को आसान भाषा में समझते हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प का कहना है कि भारत अमेरिकी सामानों पर बहुत ज्यादा टैरिफ लगाता है, जैसे हार्ले डेविडसन मोटरसाइकिल पर 100 प्रतिशत तक। इससे अमेरिका को नुकसान होता है, क्योंकि दोनों देशों के बीच ट्रेड डेफिसिट है। यानी भारत अमेरिका से कम सामान खरीदता है और ज्यादा बेचता है। ट्रम्प ने इसे अनुचित बताया।

इसके अलावा, भारत का रूस से गहरा रिश्ता ट्रम्प को पसंद नहीं आ रहा। भारत रूस से 45 प्रतिशत तेल खरीदता है और हथियार भी। ट्रम्प चाहते हैं कि भारत रूस से दूरी बनाए, ताकि यूक्रेन युद्ध जल्दी खत्म हो सके। वे कहते हैं कि भारत ब्रिक्स ग्रुप में है, जो डॉलर से दूर होने की कोशिश कर रहा है, जो अमेरिका के लिए खतरा है। ट्रम्प का अमेरिका फर्स्ट नीति इसी पर आधारित है। वे चाहते हैं कि अमेरिकी कंपनियां मजबूत हों और दूसरे देशों से ज्यादा फायदा न लें। एक रिपोर्ट में कहा गया कि यह टैरिफ भारत को रूस से अलग करने की रणनीति का हिस्सा है।

अब भारत पर इसका क्या असर पड़ेगा? विशेषज्ञों का कहना है कि यह भारत की आर्थिक वृद्धि को थोड़ा कम कर सकता है। आइएमएफ के मुताबिक, भारत की जीडीपी ग्रोथ 2026 में 6.2 प्रतिशत तक गिर सकती है, अगर टैरिफ ज्यादा बढ़ा। लेकिन कुछ का मानना है कि असर सिर्फ 0.3-0.4 प्रतिशत का होगा। सबसे ज्यादा प्रभाव उन क्षेत्रों पर पड़ेगा जो अमेरिका को निर्यात करते हैं। जैसे, टेक्सटाइल्स और गारमेंट्स झ्र भारत का 15 प्रतिशत निर्यात इसी से है। अब अमेरिकी खरीदार भारतीय कपड़ों को महंगा मानेंगे, तो वे वियतनाम या बांग्लादेश से खरीद सकते हैं।

इसी तरह, जेम्स और ज्वेलरी, इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मास्यूटिकल्स, आॅटो पार्ट्स और स्टील पर असर पड़ेगा। फार्मा को अभी छूट है, लेकिन अगर पेनल्टी लगी तो दवाओं की कीमत बढ़ सकती है। पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स पर भी दबाव आएगा, क्योंकि भारत रूस से सस्ता तेल खरीदकर रिफाइन करता है और अमेरिका बेचता है। स्टॉक मार्केट में गिरावट आई झ्र निफ्टी और सेंसेक्स 0.6 प्रतिशत गिरे कुल मिलाकर, निर्यातकों को नुकसान होगा, नौकरियां जा सकती हैं, और सप्लाई चेन बिगड़ सकती है। लेकिन कुछ अच्छी बातें भी हैं। भारत अब यूरोप या अन्य बाजारों की तरफ देख सकता है और घरेलू उत्पादन बढ़ा सकता है।

आइएमएफ और वर्ल्ड बैंक भारत को दुनिया की सबसे तेज बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था मानते हैं। आइएमएफ के लेटेस्ट वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक में कहा गया कि 2025 और 2026 में भारत की ग्रोथ 6.4 प्रतिशत रहेगी। ट्रम्प ने भारत को डेड इकोनॉमी कहा, लेकिन विशेषज्ञ इसे गलत बताते हैं। वे कहते हैं कि भारत की ग्रोथ मजबूत है, बेरोजगारी कम हो रही है, और मैन्युफैक्चरिंग बढ़ रही है। वर्ल्ड बैंक का ग्लोबल इकोनॉमिक प्रोस्पेक्ट्स भी कहता है कि भारत वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद अच्छा प्रदर्शन कर रहा है। लेकिन वे चेतावनी देते हैं कि ट्रेड वॉर से सभी देश प्रभावित होंगे, और भारत को अपनी नीतियां मजबूत करनी होंगी।

आइएमएफ का कहना है कि ग्लोबल ग्रोथ 3 प्रतिशत के आसपास रहेगी, लेकिन भारत इससे ऊपर है। कुल मिलाकर, ये एजेंसियां भारत को सकारात्मक देखती हैं, लेकिन टैरिफ जैसे झटकों से सतर्क रहने की सलाह देती हैं। वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि सरकार राष्ट्रीय हित की रक्षा करेगी। वे तुरंत जवाबी टैरिफ नहीं लगाएंगे, बल्कि बातचीत जारी रखेंगे। अप्रैल से अब तक 4दौर की मीटिंग्स हो चुकी हैं। सरकार विशेषज्ञों से बात कर रही है, असर की जांच कर रही है। कुछ विकल्प हैं, इससे ट्रेड बैलेंस सुधरेगा।

भारत यूके के साथ एफटीए पर काम कर रहा है, जो अक्टूबर तक हो सकता है, और इससे नुकसान की भरपाई हो सकती है। मोदी सरकार का कहना है कि हम दबाव में नहीं आएंगे, बल्कि अपनी शर्तों पर डील करेंगे। साथ ही, घरेलू इंडस्ट्री को बूस्ट देंगे, जैसे मेक इन इंडिया को मजबूत करना। विपक्ष ने सरकार पर हमला किया है, लेकिन गोयल ने कहा कि भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा।

ट्रम्प ने पाकिस्तान से ट्रेड डील की, जिसमें अमेरिका पाकिस्तान के आॅयल रिजर्व्स डेवलप करने में मदद करेगा, और पाकिस्तान को कम टैरिफ मिलेगा। ट्रम्प ने कहा कि पाकिस्तान इंडिया को आॅयल बेच सकता है। 2024 में अमेरिका-पाकिस्तान ट्रेड 7.3 अरब डॉलर था, और अब यह बढ़ेगा। भारत के साथ टेंशन के बीच यह डील पाकिस्तान को मजबूत बनाती है। कुछ विशेषज्ञ कहते हैं कि ट्रम्प भारत को दबाने के लिए पाकिस्तान का इस्तेमाल कर रहे हैं, खासकर अफगानिस्तान और टेररिज्म के मुद्दे पर।

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था कमजोर है, और अमेरिका का फोकस चीन पर है। फिर भी, यह भारत के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि पाकिस्तान से रिश्ते पहले से तनावपूर्ण हैं। अंत में, यह टैरिफ भारत के लिए चुनौती है, लेकिन मौका भी। अगर बातचीत सफल हुई, तो टैरिफ 15 प्रतिशत तक गिर सकता है। भारत को अपनी स्ट्रैटेजिक आॅटोनॉमी बनाए रखनी होगी। रूस से दोस्ती जारी रखते हुए अमेरिका से बैलेंस बनाना। आने वाले महीनों में मोदी और ट्रम्प की बात हो सकती है।

भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत है, और हम इससे उबर जाएंगे। लेकिन ग्लोबल ट्रेड वॉर से सभी को नुकसान होता है, इसलिए डिप्लोमेसी जरूरी है। उम्मीद है कि दोनों देश मिलकर समाधान निकालेंगे, ताकि दोनों की अर्थव्यवस्थाएं मजबूत हों। -(लेखक आईटीवी नेटवर्क के प्रबंध संपादक हैं।) 

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