Editorial Aaj Samaaj: तकनीक, संवेदना और स्मृतियों का अनूठा संगम है फोटोग्राफी
Editorial Aaj Samaaj: तकनीक, संवेदना और स्मृतियों का अनूठा संगम है फोटोग्राफी
Editorial Aaj Samaaj | योगेश कुमार गोयल | फोटोग्राफी की दुनिया आज बिल्कुल बदल चुकी है। दरअसल एक जमाना था, जब लोगों को फोटो खिंचवाने के लिए फोटो स्टूडियो तक जाना पड़ता था लेकिन अब छोटे से छोटे तबके के व्यक्तियों के पास भी कैमरे वाले फोन हैं, जिनसे बड़ी आसानी से कहीं भी और कभी भी तस्वीरें खींची जा सकती हैं और उन्हें सहेजकर रखा जा सकता है।
यह अलग बात है हर जेब में मोबाइल होने और हर व्यक्ति के फोटोग्राफर बन जाने के बाद भी दुनियाभर में अच्छे फोटोग्राफर कम ही हैं। दरअसल एक अच्छा फोटो प्राप्त करने की पहली शर्त है आंखों से दिखाई देने वाले दृश्य को कैमरे की मदद से एक फ्रेम में बांधना, प्रकाश, छाया, कैमरे की स्थिति, उचित एक्सपोजर तथा उचित विषय का चुनाव करना इत्यादि।
योगेश कुमार गोयल
अच्छे फोटो के बारे में पेशेवर फोटोग्राफरों का कहना है कि कैमरे के फ्रेम में क्या लेना है, इससे ज्यादा किसी भी अच्छे फोटोग्राफर को इस बात का ज्ञान होना बेहद जरूरी है कि उसे फ्रेम के बाहर क्या-क्या छोड़ना है। कोई भी फोटो अच्छा क्यों होता है, इस तथ्य का सही ज्ञान ही किसी फोटोग्राफर को सामान्य से विशिष्ट बनाने के लिए पर्याप्त होता है। जब तक किसी फोटो में मानवीय संवेदनाएं नजर नहीं आएंगी, तब तक उसे बेहतर तस्वीर नहीं माना जा सकता।
किसी भी फोटो में स्पष्ट दिखने वाली ऐसी ही मानवीय संवेदनाओं के कारण ही प्रायः कहा भी जाता है कि एक फोटो हजार शब्दों के बराबर होता है। इसलिए कोई भी फोटो तकनीकी रूप में कितना ही अच्छा क्यों न हो, वह तब तक सर्वमान्य नहीं हो सकता, जब तक कि वह मानवीय संवेदना को झकझोर न दे। किसी भी उत्पाद के प्रचार के लिए बनाए जाने वाले विज्ञापन को आकर्षक बनाने में भी एक अच्छे फोटोग्राफर का योगदान बहुत बड़ा होता है।
फोटोग्राफी के क्षेत्र में लोगों के बीच जागरूकता पैदा करने, फोटोग्राफी को लेकर विचारों को एक-दूसरे के बीच साझा करने, फोटोग्राफी के क्षेत्र में आने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने तथा विश्वभर के फोटोग्राफरों को एकजुट करने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 19 अगस्त को विश्व फोटोग्राफी दिवस मनाया जाता है, जो इस वर्ष ‘मेरी पसंदीदा तस्वीर’ थीम के साथ मनाया जा रहा है। दरअसल दुनियाभर में फोटोग्राफी के शौकीन ऐसे लोगों की कमी नहीं है, जिन्होंने फोटोग्राफी को ही अपना कैरियर बना लिया है। वास्तव में फोटोग्राफी दिवस उन लोगों को समर्पित है, जिन्होंने विशेष पलों को अपने कैमरे से तस्वीरों में कैद कर उन्हें सदा के लिए यादगार बना दिया।
यह दिवस इस क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाले ऐसे व्यक्तियों के कार्यों को स्मरण करने के अलावा भावी पीढ़ी को भी फोटोग्राफी में अपना कौशल दिखाने के लिए प्रेरित करता है। विश्व फोटोग्राफी दिवस की योजना की शुरुआत आस्ट्रेलियाई फोटोग्राफर कोर्स्के आरा द्वारा वर्ष 2009 में की गई थी
और उसके बाद विश्व फोटोग्राफी दिवस पर 19 अगस्त 2010 को पहली वैश्विक ऑनलाइन फोटो गैलरी का आयोजन किया गया था। उस दिन दुनियाभर के 250 से भी ज्यादा फोटोग्राफरों ने अपनी खींची तस्वीरों के माध्यम से अपने विचारों को साझा किया था और 100 से भी ज्यादा देशों के लोगों ने उस ऑनलाइन फोटो गैलरी को देखा था। इसीलिए वह दिन फोटोग्राफी के शौकीनों और पेशेवर फोटोग्राफरों के लिए एक ऐतिहासिक दिन बन गया था।
‘विश्व फोटोग्राफी दिवस’ आज से करीब 186 वर्ष पहले फोटोग्राफी को लेकर घटी एक घटना की याद में मनाया जाने लगा। दरअसल जनवरी 1839 में फ्रांस में जोसेफ नीसपोर और लुई डागुएरे ने डॉगोरोटाइप प्रक्रिया के आविष्कार की घोषणा की थी, जिसे दुनिया की पहली ‘फोटोग्राफी प्रक्रिया’ माना जाता है। फोटोग्राफी शब्द की उत्पत्ति ग्रीक शब्द ‘फोटोज’ (प्रकाश) और ‘ग्राफीन’ (खींचने) से मिलकर हुई है।
वर्ष 1839 में वैज्ञानिक सर जॉन एफ डब्ल्यू हश्रेल ने पहली बार ‘फोटोग्राफी’ शब्द का उपयोग किया था। फ्रांसीसी वैज्ञानिक आर्गो ने 7 जनवरी 1839 को फ्रैंच अकादमी ऑफ साइंस के लिए इस पर एक प्रोसेस रिपोर्ट तैयार की और फ्रांस सरकार ने यह रिपोर्ट खरीदकर 19 अगस्त 1839 को इस आविष्कार की घोषणा करते हुए इसका पेटेंट प्राप्त कर आम लोगों के लिए इस प्रक्रिया को मुफ्त घोषित किया था। इसीलिए ‘विश्व फोटोग्राफी दिवस’ मनाने के लिए 19 अगस्त का दिन ही निर्धारित किया गया। अपने आविष्कार के 186 वर्षों लंबे इस सफर में फोटोग्राफी ने अनेक आयाम देखे हैं।
सही मायनों में दुनियाभर की खूबसूरती को कैमरे में समेटकर उसे जब चाहें मन भरकर देखने का बेहतरीन जरिया है फोटोग्राफी। वास्तव में हमारे जीवन में फोटो ही ऐसी वस्तु हैं, जो पुरानी यादों को अपने भीतर समेटकर उन्हें बरसों तक जिंदा रखती हैं। मोबाइल कैमरे से ली जाने वाली सेल्फी का तो आज की युवा पीढ़ी पर जुनून सा छाया है
लेकिन विश्व की पहली सेल्फी 186 वर्ष पूर्व अर्थात् वर्ष 1839 में ही ली गई थी और यह सेल्फी ली थी अमेरिकन फोटोग्राफर रॉबर्ट कॉर्नेलियस ने। उन्होंने अपने कैमरे को सैट करने के बाद लेंस कैंप को हटाकर फ्रेम में चलकर फोटो ली थी, जिसे अब सेल्फी कहा जाता है। हालांकि उस समय स्वयं कॉर्नेलियस को भी नहीं पता था कि उनके द्वारा उस अंदाज में खींचा गया वह फोटा भविष्य में सेल्फी के रूप में जाना जाएगा। कॉर्नेलियस द्वारा ली गई सेल्फी वाली वह तस्वीर आज भी यूनाइटेड स्टेट लाइब्रेरी ऑफ कांग्रेस प्रिंट में उपलब्ध है।
तकनीकी और वैज्ञानिक सफलता के इस दौर में फोटोग्राफी के क्षेत्र में भी क्रांतिकारी परिवर्तन हुए हैं, जिनकी बदौलत अब कैमरे का एक बटन दबाने के बाद चंद पलों या मिनटों में बेहतरीन तस्वीर हमारे हाथ में होती है लेकिन तमाम तकनीकी प्रगति के बावजूद बेहतरीन क्वालिटी के प्रिंटर होने पर भी अच्छा फोटो प्राप्त करने के लिए फोटोग्राफी की कुछ बारीकियों का ज्ञान होना भी बहुत जरूरी है।
वैसे फोटोग्राफी के आविष्कार ने मानव जीवन में बहुत क्रांतिकारी भूमिका निभाई है और यह इसी से समझा जा सकता है कि दुनिया के किसी भी कोने में खींचे गए चित्रों के माध्यम से अब पलभर में ही वहां के जनजीवन तथा घटनाओं की जानकारी आसानी से प्राप्त हो जाती है। फोटोग्राफी का अनोखा आविष्कार न केवल दुनियाभर में लोगों को एक-दूसरे के बेहद करीब लेकर आया बल्कि इसी आविष्कार की ही बदौलत एक-दूसरे को जानने और उनकी संस्कृति को समझकर इतिहास को समृद्ध बनाने में भी बड़ी मदद मिली है। (लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं। यह इनके निजी विचार हैं।)
Sub Editor at Indianews.in | Indianewsharyana.com | Aajsamaj.com | Complete knowledge of all Indian political issues, crime and accident story. Along with this, I also have some knowledge of business.