Editorial Aaj Samaaj | राकेश सिंह | बिहार की राजनीति में परिवारवाद का एक अलग ही रंग देखने को मिलता है। राजद प्रमुख लालू प्रसाद की बेटी रोहिणी अचार्य और बेटे तेज प्रताप यादव की बगावत ने सबको चौंका दिया है। रोहिणी ने सोशल मीडिया पर क्रिप्टिक पोस्ट्स किए और परिवार के कई सदस्यों को अनफॉलो कर दिया, जबकि तेज प्रताप ने उनकी हिमायत में सुदर्शन चक्र चलाने की धमकी तक दे डाली। ये सब बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से ठीक पहले हो रहा है, जब राजद को मजबूत रहने की सबसे ज्यादा जरूरत है। क्या लालू अपने परिवार को बचा पाएंगे? क्या इस फूट का खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ेगा या राजग इसका फायदा उठाएगी? और आखिर लालू तेजस्वी यादव पर इतना भरोसा क्यों करते हैं? आइए इन सवालों पर गौर करते हैं।

राकेश सिंह, प्रबंध संपादक, आईटीवी नेटवर्क।

सबसे पहले बात करते हैं हाल की घटनाओं की। सितंबर 2025 में रोहिणी अचार्य ने सोशल मीडिया पर ऐसे पोस्ट किए जो सीधे-सीधे परिवार में असंतोष की ओर इशारा करते हैं। उन्होंने राजद और परिवार के सदस्यों को अनफॉलो कर दिया, जिससे अफवाहों का बाजार गर्म हो गया। रोहिणी ने तेजस्वी यादव के करीबी संजय यादव पर निशाना साधा, जो राज्यसभा सांसद हैं। रोहिणी का कहना है कि कुछ लोग परिवार में फूट डाल रहे हैं और ट्रोल्स उनके खिलाफ अफवाहें फैला रहे हैं।

वो कहती हैं कि उनके पास कोई राजनीतिक महत्वाकांक्षा नहीं है, लेकिन उनके पोस्ट्स से लगता है कि वो तेजस्वी के करीबियों से नाराज हैं। इसके जवाब में तेज प्रताप ने रोहिणी का साथ दिया और कहा कि जो उनकी बहन का अपमान करेगा, वो भगवान कृष्ण के सुदर्शन चक्र से नहीं बच पाएगा। तेज प्रताप पहले भी परिवार में विवादों के केंद्र में रहे हैं। मई 2025 में लालू ने उन्हें पार्टी से 6 साल के लिए निकाल दिया था और परिवार से अलग कर दिया था। वजह थी तेज प्रताप का एक फेसबुक पोस्ट, जिसमें उन्होंने अपनी 12 साल पुरानी प्रेमिका अनुष्का यादव के साथ रिश्ते का खुलासा किया। उस वक्त तेज प्रताप की पूर्व पत्नी ऐश्वर्या राय ने भी परिवार पर आरोप लगाए कि उन्हें पीटा गया और उनकी जिंदगी बर्बाद की गई।  लेकिन अब सितंबर में फिर से फूट उभरी है, जो तेजस्वी के नेतृत्व पर सवाल उठा रही है।

ये फूट सिर्फ परिवार की नहीं, बल्कि राजद की भी है। लालू प्रसाद यादव स्वास्थ्य कारणों से ज्यादा सक्रिय नहीं हैं, इसलिए पार्टी की कमान तेजस्वी के हाथों में है। रोहिणी और तेज प्रताप की नाराजगी सीधे तेजस्वी के करीबी संजय यादव पर है, जो पार्टी में प्रभावशाली हैं। सोशल मीडिया पर ये बातें सार्वजनिक हो गईं, जिससे पार्टी कार्यकर्ताओं में भ्रम फैल रहा है। यहां भी राजग, जिसमें बीजेपी और नीतीश कुमार की जदयू शामिल है, इस फूट का फायदा उठा सकती है। बिहार चुनाव 2025 में राजद को मजबूत विपक्ष के रूप में देखा जा रहा था, लेकिन परिवार की कलह से वोटरों का भरोसा डगमगा सकता है। यादव वोट बैंक, जो राजद की ताकत है, अगर बंट गया तो राजग को आसानी से बहुमत मिल सकता है। तेजस्वी ने इन अफवाहों को खारिज किया है, लेकिन सोशल मीडिया पर चल रही चर्चाएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं।

अब सवाल ये है कि क्या लालू अपने परिवार को बचा पाएंगे? लालू हमेशा से परिवार को राजनीति का आधार मानते रहे हैं। उनके नौ बच्चे हैं, और सभी किसी न किसी रूप में राजनीति में सक्रिय हैं। मीसा भारती सांसद हैं, रोहिणी ने 2024 में लोकसभा चुनाव लड़ा था, हालांकि हार गईं। तेज प्रताप और तेजस्वी भी विधायक रह चुके हैं। लेकिन परिवार जितना बड़ा, उतनी ही ज्यादा कलह। लालू ने तेज प्रताप को निकालकर सख्ती दिखाई थी, लेकिन अब रोहिणी की बगावत से लगता है कि समस्या गहरी है। लालू शायद मध्यस्थता करके मामले को सुलझा लें, क्योंकि चुनाव नजदीक हैं। लेकिन अगर फूट बढ़ी तो पार्टी को नुकसान होना तय है। यहां भी राजद को ऐसा ही झटका लग सकता है।

फूट का खामियाजा भुगतना पड़ेगा या राजग फायदा उठाएगी? बिल्कुल, राजग को मौका मिल रहा है। नीतीश कुमार पहले से ही राजद पर हमलावर हैं और ये परिवार की कलह उनके लिए हथियार बन सकती है। बिहार में यादव, मुस्लिम और पिछड़े वर्ग राजद के साथ हैं, लेकिन अगर परिवार बिखरा तो वोटर कन्फ्यूज हो सकते हैं। तेज प्रताप और रोहिणी अगर अलग राह चुनें तो नया गुट बन सकता है, जो राजद के वोट काटेगा।

वहीं, राजग अपनी एकजुटता दिखाकर फायदा उठा सकती है। आखिर लालू तेजस्वी पर इतना भरोसा क्यों करते हैं? तेजस्वी लालू के सबसे छोटे बेटे हैं, लेकिन राजनीतिक समझ में सबसे आगे। 2015 से वो पार्टी के चेहरे बने हुए हैं। लालू जेल में थे, तब तेजस्वी ने सरकार चलाई। तेजस्वी युवा हैं, आक्रामक हैं और विपक्षी भूमिका में अच्छा प्रदर्शन करते हैं। लालू उन्हें अपना उत्तराधिकारी मानते हैं, क्योंकि वो पार्टी को एकजुट रख सकते हैं। तेज प्रताप थोड़े अस्थिर माने जाते हैं, जबकि रोहिणी अभी नई हैं। लालू का भरोसा तेजस्वी पर इसलिए है क्योंकि वो परिवार और पार्टी दोनों को संभालने की काबिलियत रखते हैं। लेकिन अब ये फूट तेजस्वी की लीडरशिप पर भी सवाल उठा रही है।

कुल मिलाकर, लालू परिवार की ये कलह बिहार की राजनीति को नया मोड़ दे सकती है। अगर समय रहते सुलझ गई तो राजद मजबूत होकर उभरेगी, वरना राजग को आसान जीत मिल सकती है। राजनीति में परिवार महत्वपूर्ण है, लेकिन जब वो ही टूट जाए तो सब कुछ बिखर जाता है। (लेखक आईटीवी नेटवर्क के प्रबंध संपादक हैं।) 

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