Editorial Aaj Samaaj | राकेश सिंह | भारत की अर्थव्यवस्था में बड़ा बदलाव आ रहा है। सितंबर 2025 में नरेंद्र मोदी सरकार ने जीएसटी यानी गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स में बड़ी कटौती की घोषणा की है। यह फैसला दिवाली से पहले आम आदमी के लिए एक तरह का तोहफा है, लेकिन इसके पीछे बड़ा मकसद है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा लगाए गए भारी भरकम टैरिफ से निपटना। डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत पर 50 प्रतिशत तक के टैरिफ लगा दिए हैं, जिससे हमारे निर्यात को बड़ा नुकसान हो सकता है। ऐसे में जीएसटी कटौती से घरेलू बाजार को मजबूत बनाने की कोशिश की जा रही है। आइए, इस मुद्दे को आसान शब्दों में समझते हैं कि जीएसटी कटौती से क्या असर पड़ेगा, यह दिवाली का गिफ्ट कैसे है और ट्रम्प के टैरिफ से कैसे निपटा जाएगा।
सबसे पहले बात जीएसटी कटौती की। जीएसटी काउंसिल की बैठक में फैसला लिया गया कि अब जीएसटी के चार स्लैब 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत को घटाकर मुख्य रूप से दो स्लैब कर दिए जाएंगे। ये स्लैब है 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत। 12 प्रतिशत और 28 प्रतिशत वाले स्लैब को खत्म कर दिया गया है। कुछ लग्जरी सामान जैसे तंबाकू, महंगी कारें या मोटरसाइकिल पर 40 प्रतिशत का स्पेशल डेमेरिट रेट लगेगा। यह बदलाव 22 सितंबर 2025 से लागू हो जाएगा, जो दिवाली से काफी पहले है। इससे रोजमर्रा की चीजें सस्ती हो जाएंगी। जैसे, साबुन, टूथपेस्ट, शैंपू, तेल, चाय, स्कूल की चीजें, दवाएं और मेडिकल डिवाइस पर टैक्स 18 प्रतिशत या 12 प्रतिशत से घटा दिया गया है। एयर कंडीशनर, टीवी, वाशिंग मशीन जैसी घरेलू चीजें जो 28 प्रतिशत टैक्स में आती थीं, अब 18 प्रतिशत के स्लैब में आएंगी। छोटी कारों पर भी टैक्स कम होगा, जिससे आॅटो सेक्टर को फायदा मिलेगा। इंश्योरेंस प्रीमियम पर भी टैक्स घटाकर 5 प्रतिशत या जीरो कर दिया गया है। कुल मिलाकर, 400 से ज्यादा आइटम्स पर टैक्स कम होगा।
अब सवाल है, इस कटौती से क्या असर पड़ेगा? सबसे बड़ा फायदा आम आदमी को होगा। महंगाई पहले से ही कम है। जुलाई 2025 में मुद्रास्फीति सिर्फ 1.55 प्रतिशत थी। जीएसटी कम होने से चीजें और सस्ती होंगी, जिससे लोगों की जेब में ज्यादा पैसे बचेंगे। इससे खर्च बढ़ेगा, खासकर दिवाली के त्योहार पर। लोग ज्यादा खरीदारी करेंगे, जैसे नए कपड़े, इलेक्ट्रॉनिक्स, मिठाई या घरेलू सामान। अर्थव्यवस्था का 60 प्रतिशत हिस्सा उपभोग पर टिका है, तो यह कटौती जीडीपी को 0.1 से 0.16 प्रतिशत तक बढ़ा सकती है। मुद्रास्फीति भी 40-60 बेसिस पॉइंट्स कम हो सकती है। छोटे कारोबारियों और एमएसएमई को राहत मिलेगी, क्योंकि टैक्स सिस्टम सरल होगा और कम्प्लायंस आसान। रोजगार बढ़ेगा, खासकर टेक्सटाइल, एफएमसीजी और रिटेल सेक्टर में। उदाहरण के लिए, सीमेंट पर टैक्स 28 प्रतिशत से 18 प्रतिशत होने से कंस्ट्रक्शन तेज होगा, जिससे मजदूरों को काम मिलेगा। कुल मिलाकर, यह अर्थव्यवस्था को बूस्ट देगा और लोगों का कॉन्फिडेंस बढ़ाएगा।
नरेंद्र मोदी सरकार इसे दिवाली से पहले का गिफ्ट कह रही है। क्योंकि दिवाली 20 अक्टूबर 2025 को है और बदलाव 22 सितंबर से लागू हो रहे हैं। फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण ने कहा कि यह नेक्स्ट जेन जीएसटी रिफॉर्म्स हैं, जो अर्थव्यवस्था को नई रफ्तार देंगे। मिडिल क्लास और गरीबों के लिए यह बड़ा राहत पैकेज है। जैसे, घरेलू सामान सस्ता होने से परिवारों का बजट आसान होगा। त्योहार पर खरीदारी बढ़ेगी, जो बाजार को चमकाएगी। लेकिन कुछ लोग कहते हैं कि यह सिर्फ इलेक्शन से पहले का स्टंट है, क्योंकि चुनाव नजदीक हैं और अर्थव्यवस्था सुस्त है। फिर भी, आम आदमी के लिए यह वाकई तोहफा जैसा है। कंपनियां भी कह रही हैं कि इससे डिमांड बढ़ेगी, जैसे बड़ी टीवी पर जीएसटी कम होने से बिक्री बढ़ेगी।
अब ट्रम्प के टैरिफ की बात। ट्रम्प ने अगस्त 2025 में भारत पर 50 प्रतिशत तक के टैरिफ लगा दिए, क्योंकि भारत रूस से तेल खरीद रहा है। इससे भारत के 87 बिलियन डॉलर के निर्यात प्रभावित होंगे। सेक्टर जैसे टेक्सटाइल, जेम्स एंड ज्वेलरी, आॅटो पार्ट्स, केमिकल्स, फर्नीचर और झींगा फार्मिंग पर बड़ा असर पड़ेगा। अनुमान है कि इससे जीडीपी पर 0.4 से 0.7 प्रतिशत का नुकसान होगा, और लाखों नौकरियां जा सकती हैं। जैसे टेक्सटाइल में 5 लाख, जेम्स में 2 लाख। डोनाल्ड ट्रम्प का कहना है कि यह अमेरिका फर्स्ट पॉलिसी है, लेकिन भारत के लिए यह झटका है। मोदी सरकार ने इसका जवाब नहीं दिया, बल्कि घरेलू अर्थव्यवस्था को मजबूत करने पर फोकस किया।
जीएसटी कटौती इसी रणनीति का हिस्सा है। निर्यात कम होने से जो नुकसान होगा, उसे घरेलू खपत बढ़ाकर पूरा किया जाएगा। जैसे, एक्सपोर्टर्स को घरेलू बाजार में ज्यादा बेचने का मौका मिलेगा। सरकार आत्मनिर्भर भारत पर जोर दे रही है, सप्लाई चेन डाइवर्सिफाई कर रही है। एक्सपर्ट्स कहते हैं कि जीएसटी कट्स से 50 बिलियन डॉलर का स्टिमुलस मिलेगा, जो ट्रम्प टैरिफ के 0.5% जीडीपी हिट को कवर कर सकता है। आरबीआई रेट कट्स और पीएलआई स्कीम्स भी मदद करेंगी। लेकिन चुनौतियां हैं। राज्यों को टैक्स रेवेन्यू कम हो सकता है, और अगर कंपनियां कीमतें नहीं घटातीं, तो फायदा नहीं पहुंचेगा।
कुल मिलाकर, यह कटौती अर्थव्यवस्था को नई दिशा देगी। ट्रम्प के टैरिफ से निपटने में यह सफल होगा या नहीं, यह समय बताएगा, लेकिन शुरूआती संकेत अच्छे हैं। आम आदमी के लिए यह राहत है, कारोबारियों के लिए मौका। सरकार का फोकस घरेलू मजबूती पर है, जो लंबे समय में फायदेमंद साबित हो सकता है। दिवाली इस बार सस्ती और खुशहाल हो सकती है। (लेखक आईटीवी नेटवर्क के प्रबंध संपादक हैं।)
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