ED Arrested CFO Of Reliance Power, (आज समाज), नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) से जुड़े एक मामले में अनिल अंबानी (Anil Ambani) के सहयोगी और उनकी रिलायंस पावर के मुख्य वित्तीय अधिकारी (सीएफओ) अशोक कुमार पाल (Ashok Kumar Pal) को गिरफ्तार कर लिया है। सूत्रों के अनुसार धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धाराओं के तहत शुक्रवार को अशोक पाल को हिरासत में लिया गया।
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संदिग्ध फर्जी बैंक गारंटी रैकेट से संबंधित है गिरफ्तारी
अशोक पाल रिलायंस पावर में कार्यकारी निदेशक भी हैं। उनकी गिरफ्तारी 68.2 करोड़ रुपए के एक संदिग्ध फर्जी बैंक गारंटी रैकेट से संबंधित है। यह घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है जब ईडी अनिल अंबानी के रिलायंस समूह से जुड़ी कथित वित्तीय अनियमितताओं की अपनी जांच का दायरा बढ़ा रहा है। बता दें कि अंबानी समूह की कई कंपनियों पर हजारों करोड़ रुपए के बैंक धोखाधड़ी के आरोप हैं और ईडी इसकी जांच कर रहा है।
2023 में कंपनी सीएफओ नियुक्त किए गए अशोक पाल
चार्टर्ड अकाउंटेंट अशोक पाल 7 वर्षों से अधिक समय से रिलायंस पावर से जुड़े हुए हैं। उन्हें 29 जनवरी, 2023 को कंपनी का सीएफओ नियुक्त किया गया था। ईडी का यह मामला 2024 में आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) द्वारा दर्ज की गई एक प्राथमिकी पर आधारित है, जो नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी, सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एसईसीआई) को सौंपी गई एक फर्जी गारंटी से संबंधित है।
ईडी का दावा, फर्जी बैंक गारंटी जारी की गई
प्रवर्तन निदेशालय ने दावा किया है कि अनिल अंबानी समूह से जुड़ी रिलायंस एनयू बीईएसएस लिमिटेड और महाराष्ट्र एनर्जी जेनरेशन लिमिटेड के नाम पर फर्जी बैंक गारंटी जारी की गई थी। ईडी के अनुसार, इस कथित धोखाधड़ी में ओडिशा स्थित कंपनी बिस्वाल ट्रेडलिंक एक प्रमुख खिलाड़ी है। अगस्त में, ईडी ने बिस्वाल ट्रेडलिंक के प्रबंध निदेशक पार्थ सारथी बिस्वाल को कथित तौर पर फर्जी बैंक गारंटी की व्यवस्था करने के आरोप में गिरफ्तार किया था।
नकली ईमेल डोमेन का इस्तेमाल किया
ईडी ने दावा किया कि नकली बैंक गारंटी को असली दिखाने के लिए, धोखेबाजों ने एसबीआई का रूप धारण करने के लिए एक नकली ईमेल डोमेन का इस्तेमाल किया। समूह ने एसईसीआई से संपर्क करने के लिए आधिकारिक ‘sbi.co.in’ के बजाय ‘s-bi.co.in’ का इस्तेमाल किया। नकली बैंक गारंटी के लिए, बिस्वाल ट्रेडलिंक ने कथित तौर पर 8 फीसदी कमीशन लिया। ईडी की जांच में पाया गया कि बिस्वाल ट्रेडलिंक केवल कागज़ों पर ही मौजूद था और पंजीकृत पते पर कोई वैधानिक कंपनी रिकॉर्ड नहीं मिला।
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