विधिपूर्वक कन्या पूजन करने से साधक को मां दुर्गा के 9 रूपों की कृपा प्राप्त होती है
Durga Ashtami, (आज समाज), नई दिल्ली: वैदिक पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी और नवमी तिथि पर कन्या पूजन करने का विधान है। शारदीय नवरात्र में कन्या पूजन करने का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, विधिपूर्वक कन्या पूजन करने से साधक को मां दुर्गा के 9 रूपों की कृपा प्राप्त होती है। इस साल अश्विन शुक्ल अष्टमी तिथि 29 सितंबर, सोमवार को शाम 4:31 बजे शुरू होगी और 30 सितंबर, मंगलवार को शाम 6:06 बजे समाप्त होगी।

उदयातिथि के हिसाब से दुर्गा अष्टमी पूजा 30 सितंबर को की जाएगी। इसी दिन कन्या पूजन भी संपन्न होगा, क्योंकि अष्टमी के दिन श्रद्धालु कम से कम 9 कन्याओं को आमंत्रित करके उन्हें खीर, हलवा, पूरी खिलाते हैं, पैर छूकर आशीर्वाद लेते हैं और भेंट देते हैं। इस बार कन्या पूजन 30 सितंबर को अष्टमी और 1 अक्टूबर को महानवमी पर किया जाएगा।

दुर्गा अष्टमी पूजा और कन्या पूजन के शुभ मुहूर्त

  • ब्रह्म मुहूर्त: प्रात: 4:37 से 5:25 बजे (स्नान और ध्यान के लिए उत्तम)
  • अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:47 से 12:35 बजे
  • कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त: प्रात: 10:40 से 12:10 बजे

महाअष्टमी पूजा विधि

  • प्रात:काल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • पूजा स्थल की सफाई करें और गंगाजल का छिड़काव करें।
  • मां महागौरी का गंगाजल से अभिषेक करें और उन्हें पूजा स्थल पर स्थापित करें।
  • माता को लाल चंदन, अक्षत, लाल फूल और लाल चुनरी अर्पित करें।
  • भोग स्वरूप फल, खीर और मिठाइयां चढ़ाएं।
  • दीपक और धूपबत्ती जलाकर दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ करें।
  • हवन करें और पान के पत्ते पर कपूर रखकर आरती करें।
  • पूजा के अंत में यदि कोई कमी रह गई हो तो माता से क्षमा याचना करें।

नवरात्रि व्रत पारण

जो परिवार अष्टमी पर कुल देवी या कुल देवता की पूजा करते हैं, वे पूजा के बाद व्रत खोल सकते हैं। वहीं जो लोग नवरात्रि व्रत का पारण अष्टमी को करते हैं, वे हवन और कन्या पूजन के बाद शाम को मां दुर्गा की आरती करके उपवास समाप्त कर सकते हैं। आमतौर पर नवमी और विजयदशमी के दिन व्रत का पारण करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है।

मां दुर्गा के मंत्र

  • ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
    दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।
  • रोगानशेषानपहंसि तुष्टा रुष्टा तु कामान् सकलानभिष्टान।
    त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता ह्माश्रयतां प्रयान्ति॥
  • देवकीसुत गोविंद वासुदेव जगत्पते।
    देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गत:॥
  • जयन्ती मड्गला काली भद्रकाली कपालिनी।
    दुर्गा क्षमा शिवाधात्री स्वाहा स्वधा नमो स्तुते॥

क्यों आवश्यक है कन्या पूजन

नवरात्रि के नौ दिनों तक देवी उपासना और साधना का विशेष महत्व होता है और अष्टमी-नवमी तिथि पर कन्या पूजन को बहुत ही शुभ और पुण्यदायी माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार विशेष रूप से अष्टमी और नवमी तिथि पर कन्या पूजन और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।

नवरात्रि के दिनों में मां दुर्गा की कृपा प्राप्त करने के लिए भक्त उपवास, पूजा और अनुष्ठान करते हैं, जिससे जीवन के भय, विघ्न और शत्रुओं का नाश होकर सुख-समृद्धि की प्राप्त होती है। अष्टमी तिथि पर हवन, जप और दान और कन्या पूजन से देवी दुर्गा प्रसन्न होती हैं।

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