कल सर्वपितृ अमावस्या पर लगेगा सूर्यग्रहण
Soorygrahan, (आज समाज), नई दिल्ली: साल का दूसरा सूर्य ग्रहण 21 सितंबर, सर्वपितृ अमावस्या के दिन लगने जा रहा है। हालांकि यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा। फिर भी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कुछ सावधानियां और उपाय इस दिन करने से विशेष लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
नग्न आंखों से सूर्य को न देखें
सूर्य ग्रहण को बिना सुरक्षा के देखने से आंखों की रोशनी पर बुरा असर पड़ सकता है। हमेशा सोलर ग्लासेस या विशेष फिल्टर का उपयोग करें।
भोजन न पकाएं और न खाएं
ग्रहण के दौरान भोजन दूषित माना जाता है क्योंकि नकारात्मक ऊर्जा उसमें समाहित हो सकती है। इस समय तुलसी के पत्ते खाने-पीने की चीजों में डालकर रखें।
सोना नहीं चाहिए
ग्रहण काल में सोना शारीरिक और मानसिक ऊर्जा को प्रभावित कर सकता है। विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं को इस समय सोने से बचना चाहिए।
बाल और नाखून न काटें
इस समय शरीर से जुड़ी चीजों को काटना अशुभ माना जाता है। इससे नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है और ऊर्जा का ह्रास होता है।
यात्रा से परहेज करें
ग्रहण के समय यात्रा करना जोखिम भरा माना जाता है। विशेष रूप से लंबी या महत्वपूर्ण यात्राओं से बचना चाहिए।
नुकीली चीजों का प्रयोग न करें
चाकू, कैंची, सुई-धागे जैसी चीजों का प्रयोग इस समय गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष रूप से वर्जित है। इससे गर्भस्थ शिशु पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
मंदिर में पूजा-पाठ न करें
ग्रहण काल में मंदिर में पूजा करना वर्जित होता है। हालांकि, आप मंत्र जाप जैसे गायत्री मंत्र या महामृत्युंजय मंत्र का जाप कर सकते हैं।
ग्रहण के बाद क्या करें
- स्नान करें और घर की सफाई करें।
- जरूरतमंदों को दान दें।
- भगवान की मूर्तियों को फिर से स्नान कराकर पूजा करें।
तुलसी का विशेष उपयोग
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ग्रहण के समय वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ जाता है। इसे दूर करने के लिए तुलसी के पत्तों का प्रयोग किया जा सकता है। भोजन को अपवित्र होने से बचाने के लिए उसमें तुलसी पत्र डालना लाभकारी माना गया है। ग्रहण समाप्त होने के बाद तुलसी पत्र का सेवन करने से भी शुभ फल प्राप्त होते हैं।
मंत्र-जप और ध्यान का महत्व
ग्रहण काल में पूजा-पाठ करने की परंपरा नहीं है, लेकिन भगवान विष्णु का ध्यान और उनके मंत्रों का जप करना विशेष फलदायी होता है। इस दौरान गायत्री मंत्र और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त होती है और मानसिक शांति मिलती है।
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