11 राज्यों के 26 क्षेत्रीय बैंकों का एकीकरण, बेहतर सेवाएं प्रदान करने के लिए किया गया एकीकरण

Business News (आज समाज), बिजनेस डेस्क : उपभोक्ताओं को बेहतर, पारदर्शी और बेहतर ऋण प्रवाह और वित्तीय समावेशन की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए डीएफएस ने एक मई से 11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 26 आरआरबी (ग्रामीण बैंकों) का एकीकरण प्रभावी कर दिया है।

इसके लिए वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) ने 8 अप्रैल को एक राज्य एक आरआरबी के सिद्धांत पर अमल करते हुए 26 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) के एकीकरण से जुड़ा नोटिफिकेशन जारी किया था। यह आरआरबी के पुनर्गठन का चौथा चरण था। वित्त मंत्रालय ने अतीत में हुए विलय के बाद आरआरबी की दक्षता में सुधार को ध्यान में रखते हुए हितधारकों के परामर्श के लिए नवंबर 2024 को इसकी योजना पेश की थी।

1975 में की गई थी स्थापना

वित्तीय सेवा विभाग की वेबसाइट के अनुसार, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) की स्थापना 1975 में ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि, व्यापार, वाणिज्य, उद्योग और अन्य उत्पादक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए की गई थी। इसका उद्देश्य विशेष रूप से छोटे और सीमांत किसानों, कृषि मजदूरों, कारीगरों और छोटे उद्यमियों को ऋण और अन्य सुविधाएं प्रदान करके ग्रामीण अर्थव्यवस्था को विकसित करना था। हितधारकों से परामर्श के बाद, 10 राज्यों और 1 केंद्र शासित प्रदेश में 26 आरआरबी का विलय किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य बैंकों की दक्षता में सुधार और लागत को तर्कसंगत बनाना है। नए विलय के बाद, 26 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों में 28 आरआरबी होंगे, जिनकी 700 जिलों में 22,000 से अधिक शाखाएं होंगी।

ग्रामीण या अर्ध शहरी क्षेत्रों में हैं ज्यादा शाखाएं

इन बैंकों का संचालन मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में होता है। इनकी लगभग 92 प्रतिशत शाखाएं ग्रामीण या अर्ध शहरी क्षेत्रों में हैं। पहले चरण (वित्त वर्ष 2006 से वित्त वर्ष 2010) में आरआरबी की संख्या 196 से घटाकर 82 कर दी गई थी। दूसरे चरण (वित्त वर्ष 2013 – वित्त वर्ष 2015) में आरआरबी की संख्या 82 से घटाकर 56 कर दी गई। वहीं, तीसरे चरण (वित्त वर्ष 2019 से वित्त वर्ष 2021) में आरआरबी की संख्या 56 से घटाकर 43 कर दी गई थी।