अब सभी सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर होंगे प्रशासनिक कार्यों से मुक्त
Delhi News (आज समाज), नई दिल्ली। दिल्ली की भाजपा सरकार अपने 100 दिन का कार्यकाल पूरा होने का जश्न मना रही है। इसी के चलते एक तरफ जहां वह अपने 100 दिन का रिपोर्ट कार्ड लोगों के सामने प्रस्तुत कर रही है वहीं अनेक ऐसे फैसले भी ले रही है जिसका असर सीधा दिल्ली की जनता पर होगा। ऐसा ही एक अहम फैसला लेते हुए प्रदेश सरकार ने यह आदेश दिए हैं कि अब सरकारी अस्पताल के चिकित्सक केवल मरीजों का उपचार करेंगे। उनसे किसी भी तरह का कोई भी प्रशासनिक कार्य नहीं कराया जाएगा।
दिल्ली सरकार का यह ऐतिहासिक निर्णय
दिल्ली सरकार ने स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम उठाते हुए सभी सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों को प्रशासनिक कार्यों से मुक्त करने का निर्णय लिया है। इस फैसले के तहत अब डॉक्टरों को अस्पतालों की खरीद और सप्लाई चेन से जुड़े कार्यों में शामिल नहीं होना पड़ेगा। इससे वे मरीजों को अधिक समय और बेहतर ध्यान दे सकेंगे। यह ऐतिहासिक निर्णय दिल्ली सरकार द्वारा स्वास्थ्य सेवाओं को मरीज केंद्रित और प्रभावशाली बनाने के उद्देश्य से लिया गया है। सरकार का मानना है कि डॉक्टरों और चिकित्सा स्टाफ का मुख्य कार्य रोगियों की देखभाल है, और उन्हें गैर-चिकित्सकीय कार्यों में व्यस्त रखना संसाधनों की बबार्दी है।
सभी सरकारी असपतालों की खरीद प्रक्रिया सीपीए के हाथों
दिल्ली सरकार ने स्पष्ट किया कि अब सभी अस्पतालों की खरीद प्रक्रिया की जिम्मेदारी सेंट्रल प्रोकेयोरमेंट एजेंसी (सीपीए) को सौंप दी गई है। यह एजेंसी 1994 में तत्कालीन भाजपा सरकार द्वारा स्थापित की गई थी, जिसका उद्देश्य अस्पतालों के लिए एक समान, गुणवत्ता-आधारित और पारदर्शी खरीद प्रणाली सुनिश्चित करना था। सरकार के प्रवक्ता ने बताया, हमारा उद्देश्य डॉक्टरों को फाइलों और प्रशासनिक उलझनों से निकालकर सीधे मरीजों की सेवा में लगाना है। यह फैसला मरीजों के हित में है और इससे इलाज की गुणवत्ता में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा।
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