• 3 साल में 300 बच्चे बने काल का ग्रास
  • उत्तर प्रदेश सरकार ने लगाया प्रतिबंध
  • अमेरिका समेत कई देशों में सिरप बैन
Poisonous Cough Syrup, (आज समाज), नई दिल्ली: बीते कुछ दिन से कोल्ड्रिफ कफ सिरप के कारण देश के कुछ राज्यों में हो रही बच्चों की मौतों को लेकर हाहाकार मचा है। मध्य प्रदेश और राजस्थान में कोल्ड्रिफ कंपनी के कफ सिरप से अब तक कई बच्चों की मौत हो चुकी है। पिछले कल बुधवार को बीते 24 घंटों में मध्य प्रदेश में तीन और मासूमों की जान चली गई जिससे राज्य में कोल्ड्रिफ सिरप (Coldrif Syrup) से मौतों का आंकड़ा 20 पहुंच गया है। अमेरिका समेत कई देशों में कफ सिरप बैन है। भारत, पनामा, अमेरिका, नाइजीरिया, और बांग्लादेश में पहले भी कफ सिरप से मौतों की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार तीन साल में कफ सिरप से भारत में 300 बच्चे मौत के मुंह में जा चुके हैं।

एमपी-राजस्थान में कई मौतों के बाद जागा केंद्र

राजस्थान और एमपी में कफ सिरप के कारण कई बच्चों की जान जाने के बाद हरियाणा, पंजाब व अन्य कई राज्यों में प्रदेश सरकारों ने सख्त रुख अख्तियार किया है, वहीं लगातार मासूमों की मौतों के बाद केंद्र सरकार भी जागी है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि सभी दवा निर्माता भारत में दवा उत्पादों के लिए संशोधित अनुसूची व मानदंडों का कड़ाई से अनुपालन करें। इस बीच उत्तर प्रदेश सरकार ने कोल्ड्रिफ कफ सिरप पर प्रतिबंध लगा दिया है।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने दी है चेतावनी

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने चेतावनी दी है कि निर्देशों का उल्लंघन करने पर सिरप बनाने वाली इकाइयों के लाइसेंस कैंसिल कर दिए जाएंगे। तमिलनाडु औषधि नियंत्रण विभाग की एक रिपोर्ट में कफ सिरप ब्रांड कोल्ड्रिफ के नमूनों में डाई एथिलीन ग्लाइकॉल (डीईजी) की मात्रा स्वीकार्य स्तर से ज्यादा पाई गई थी। इसके बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने रविवार को सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के साथ इमरजेंसी मीटिंग की थी।

जानें कैसे जहरीला हो जाता है कफ सिरप

विशेषज्ञों का कहना है कि कफ सिरप में सॉल्यूशन के रूप में डीईजी और एथलीन ग्लाइकॉल (ईजी) मिलाया जाता है। मीडिया रिपोर्ट्स में भी यह बात कही गई है। रिपोर्टों के मुताबिक डीईजी और ईजी जहरीले पदार्थ होते हैं। एक किलोग्राम  में 1-2 मिमी ईजी मिलाने पर कफ सिरप जानलेवा हो सकता है। अक्टूबर-2022 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भी खांसी की दवा के 4 नमूनों में डीईजी व ईजी की मौजूदगी को जहरीले पदार्थ के तौर पर चिह्नित किया था। अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने 2007 में इजी और डीईजी को जहर बताया था।

जहरीला होने पर मरीजों पर होता है यह असर

डीईजी और ईजी की मिलावट से बने कफ सिरप से रोगियों में हृदय संबंधी समस्याएं, किडनी फेल होने, ऐंठन, मितली आना, उल्टी आने, सांस लेने में तकलीफ, बेहोशी व यूरिन का कम होना जैसी बीमारी हो सकती है। अमेरिकी संस्था सीडीसी का कहना है कि डीईजी और डीजी जहरीले पदार्थ होते हैं और इससे सेंट्रल नर्वस सिस्टम प्रभावित हो सकता है। ज्यादा गंभीर होने पर रोगी कोमा में जा सकता है। याददाश्त जा सकती है, दौरे पड़ सकते हैं। मस्तिष्क क्षतिग्रस्त भी हो सकता है। डब्ल्यूएचओ ने 2022 में जब दवा के नमूनों में डीईजी व ईजी को जहरीले पदार्थ के रूप में चिह्नित किया था तब कफ सिरप को हरियाणा की मैडेन फार्मास्यूटिकल्स ने बनाया था। गैंबिया में 70 बच्चों की मौत हो गई थी और इसी कफ सिरप को इसका कारण बताया गया था।

दवाओं या खाने में मिलाने की नहीं इजाजत

डाई एथिलीन ग्लाइकॉल एक गंधहीन व रंगहीन अल्कोहलिक कंपाउंड है। जहरीला होने के कारण इसकी दवाओं अथवा खाने में मिलाने की परमिशन नहीं है। एक रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार, डीईजी को अधिकतर आटोमोटिव एंटीफ्रीज (कोई पदार्थ जमे नहीं) और पॉलिएस्टर फाइबर बनाने के लिए कच्चे माल के तौर पर यूज किया जाता है।

सरकारी रिपोर्ट में जहरीला करार दिया

एक रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन ने 2023 में पहली दफा अपनी रिपोर्ट में ईजी व डीईजी कंटामिनेशन को चिन्हित किया है। नॉरिस मेडिसिन कंपनी के कफ सिरप को सरकारी रिपोर्ट में जहरीला करार दिया गया था। उस समय इसके कारण गैंबिया, कैमरून समेत विश्वभर में 140 से ज्यादा बच्चों की जान चली गई थी। कफ सिरप को नशे के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। भारत में कफ सिरप का उद्योग 42 बिलियन डॉलर का है।

फार्मा कंपनियां इसलिए करती हैं इस्तेमाल

डीईजी और ईजी अडल्टरन्ट हैं जो कभी-कभी पीने वाली दवाओं में सॉल्वेंट्स के रूप में गैर कानूनी तरीके से मिलाया जाता है। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पैसा बचाने के चक्कर में फार्मा कंपनियां ग्लिसरीन या प्रोपलीन ग्लाइकॉल सॉल्वेंट्स की जगह डीईजी और ईजी का इस्तेमाल करती हैं। कफ सिरप को मीठा बनाने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। ग्लिसरीन या प्रोपलीन ग्लाइकॉल महंगा होता है, इसलिए दवा कंपनियां ईजी और डीईजी का इस्तेमाल करती हैं।

किडनी और मल्टीपल आर्गन फेलियर का खतरा

डीईजी की घुलनशीलता की वजह से कुछ दवा कंपनियां कफ सिरप व एसिटामिनोफेन में ग्लिसरीन की जगह गलत तरीके से इसे (डीईजी) यूज करती हैं। ऐसे में जिन दवाओं में डीईजी की मिलावट होती है, उनकी ज्यादा खुराक लेने से 8 से 24 घंटे के बीच किडनी फेल होने का खतरा होता है। अगर मरीज को टाइम पर इलाज न मिले तो 2 से 7 दिन में उसका मल्टीपल आर्गन फेलियर हो सकता है।

नागपुर में जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे 5 मासूम

कोल्ड्रिफ सिरप पीने के कारण पांच बच्चे नागपुर के अस्पताल में जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं। मध्य प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ल ने बताया कि मामले में सरकार बहुत सख्त है और आरोपी कंपनी कोल्ड्रिफ के मालिक को जल्द गिरफ्तार किया जाएगा। प्रदेश पुलिस की टीमें इसके लिए चेन्नई और काछीपुरम पहुंच चुकी हैं। तीन ताजा  मौतों के बाद छिंदवाड़ा जिले में मृतक संख्या 17 हो गई है।

मध्य प्रदेश : 48% तक मिलाई गई थी ग्लाइकॉल की मात्रा

जांच में सामने आया है कि कोल्ड्रिफ सिरप पीने के कुछ ही घंटे बाद बच्चों की किडनी प्रभावित होने लगी और हालत लगातार बिगड़ती चली गई। जांच में सिरप में जहरीले रासायनिक तत्वों की मौजूदगी की पुष्टि हुई है, जो शरीर में पहुंचकर किडनी को नुकसान पहुंचा रहे थे। इसी वजह से कई बच्चों की मौत किडनी फेल होने से हुई। मध्य प्रदेश की जांच रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि कफ सिरप में ग्लाइकॉल की मात्रा 48 प्रतिशत तक मिलाई गई थी।

उत्तराखंड, दिल्ली व हरियाणा में कंपनियां कमा रही मोटा पैसा

लखनऊ में विशेषज्ञों ने कहा है कि अन्य दवाओं की तुलना में कफ सिरप में मिलावट करना आसान होती है। उन्होंने कहा है कि कम खर्च में ज्यादा फायदे के लिए इसमें नशा बढ़ाने वाले तत्व भी मिलाए जाते हैं। खाद्य सुरक्षा व औषधि प्रशासन विभाग (एफएसडीए) के सूत्रों का भी कहना है कि अन्य दवाओं के बजाए कफ सिरप बनाना ईजी होता है। उत्तराखंड, दिल्ली व हरियाणा में कई इकाइयां यह काम करके हैं मोटा लाभ कमा रही हैं।

त्रासदी पर गरमाई सियासत, राजनीतिक बयानबाजी शुरू

कफ सिरप के कारण हो रही मौतों पर सियासत भी गरमा गई है। कांग्रेस ने मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाया है और पीड़ित परिवारों को 1-1 करोड़ रुपए मुआवजा दिए जाने की मांग की है और लगाया है। भाजपा ने कहा है कि मामले की जांच की जा रही है और दोषी कतई नहीं बख्शे जाएंगे। मामले की उच्चस्तरीय जांच के लिए गठित विशेष समिति पता लगाएगी कि जहरीली सिरप बाजार में कैसे पहुंची और इसके लिए कौन दोषी है। छिंदवाड़ा जिले के सभी मेडिकल स्टोरों की दवा जांच रिपोर्ट मांगी गई है।

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