- गुजरात का मामला लटका, एमपी के बाद बुधवार को हरियाणा दौरे पर राहुल गांधी
Congress Organization, अजीत मेंदोला, (आज समाज), नई दिल्ली: कांग्रेस के सर्वोच्च नेता राहुल गांधी के लिए राज्य संगठनों के पुनर्गठन में आपसी खींचतान बड़ी चुनौती बन रहा है। इसके चलते गुजरात की घोषणा अटक गई है। पार्टी को गुजरात के लिए 30 मई तक नई टीम घोषित करनी थी। जबकि राहुल गांधी और पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने गुजरात में ही संगठन सृजन अभियान की शुरूआत की थी। राहुल गुजरात के बाद मंगलवार को मध्यप्रदेश दौरे थे और फिर बुधवार को हरियाणा दौरे पर रहेंगे।
MP : 2020 में कांग्रेस की अंदरूनी के चलते गिरी थी सरकार
मध्यप्रदेश में उन्होंने संगठन महासचिव के सी वेणुगोपाल के साथ राज्य के नेताओं के साथ चर्चा की। इस बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ,प्रदेश प्रभारी पार्टी महासचिव हरीश चौधरी,प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी,विधायक दल नेता उमंग सिंगार समेत सभी प्रमुख नेता मौजूद थे। मध्यप्रदेश वह राज्य हैं जहां पर बीजेपी ने 2020 में कांग्रेस की अंदरूनी खींचतान का लाभ उठाते हुए कांग्रेस की सरकार गिरा दी थी। राहुल गांधी गुजरात में बार-बार बोल चुके हैं कि पार्टी में मौजूद बीजेपी के एजेंटों को बाहर निकाला जाना चाहिए। लेकिन अभी तक कोई पहचान नहीं हो पाई है।
एमपी में पार्टी की बड़ी टूट के बाद भी नहीं बदले हालात
मध्यप्रदेश में पार्टी की बड़ी टूट के बाद भी हालात बहुत ज्यादा बदले नहीं हैं। पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह तो पार्टी के खिलाफ खुल कर बयान बाजी करते हैं,इसके चलते अभी भी यह कह पाना मुश्किल है कि कांग्रेस बीजेपी समर्थकों से पूरी तरह से मुक्त हो गई होगी।गुजरात में भी पार्टी के लगातार कमजोर होने का अहम कारण टूट बड़ा कारण रहा है।आए दिन बीजेपी कांग्रेस में सेंध लगा पार्टी को कमजोर कर रही है।कांग्रेस तीन दशक से भी ज्यादा समय से सत्ता से बाहर है।राहुल गांधी गुजरात से ही बीजेपी को चुनौती देने के लिए मजबूत संगठन बनाने की कोशिश में लगे हैं ,लेकिन अभी हालात सुधरे नहीं हैं।
गुजरात से पार्टी को संगठित करने का प्रयास किया
महाराष्ट्र, हरियाणा और दिल्ली में हुई करारी हार के बाद राहुल गांधी ने पार्टी में नई जान डालने के लिए गुजरात से पार्टी को संगठित करने की कोशिश की। पार्टी का एक दिन का अधिवेशन कर बड़े बड़े फैसले किए। जिसमें अहम था संगठन को ताकतवर बनाना। इसलिए गुजरात में ही बैठकें की गई। पर्यवेक्षक लगाए गए ।तय हुआ था 30 मई तक जिलाध्यक्षों का चयन कर घोषणा कर दी जाएगी,लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। पार्टी ने जिलाध्यक्षों को प्रत्याशी चयन में अहम भूमिका निभाने की जिम्मेदारी तय की जिसके चलते जिलाध्यक्ष अहम पद बन गया। आपसी झगड़ों की शिकायतें दिल्ली पहुंची हैं। उन पर फैसला होगा तब घोषणा होगी। कब होगी कह पाना मुश्किल है।
हरियाणा में बड़ी चुनौतियां
मध्यप्रदेश में यूं तो पार्टी ने जिला व ब्लॉक अध्यक्ष पहले घोषित किए हुए हैं,लेकिन पार्टी ने अब नए सिरे से पुनर्गठन का फैसला किया है। इसके लिए बकायदा पर्यवेक्षक लगाए गए।राहुल गांधी ने खुद दौरा कर दिशा निर्देश दिए हैं। मध्यप्रदेश में बहुत ज्यादा परेशानी आएगी नहीं लेकिन हरियाणा में बड़ी चुनौतियां हैं। हरियाणा देश का अकेला राज्य है जिसके झगड़ों का समाधान न तो सोनिया गांधी कर पाई और ना ही राहुल गांधी। आपसी झगड़ों के चलते कांग्रेस जीता जा सकने वाला हरियाणा हार गई।
बुधवार को चंडीगढ़ में प्रदेश के नेताओं से मिलेंगे राहुल
राहुल ने अब कोशिश की है। बुधवार को वह प्रदेश के नेताओं से मिलेंगे। चंडीगढ़ स्थित कांग्रेस कार्यालय में राहुल बैठक लेंगे। इस बैठक में प्रदेश प्रभारी वी के हरिप्रसाद के साथ सभी दिग्गज प्रदेश अध्यक्ष उदय भान,पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा,सांसद शैलजा कुमारी,रणदीप सिंह सुरजेवाला आदि सभी नेता मौजूद रहेंगे।साथ सभी पर्यवेक्षक भी शामिल होंगे।इन पर्यवेक्षकों को जिला अध्यक्षों के चयन की जिम्मेदारी दी गई है।
हरियाणा अकेला राज्य है जहां सालों से संगठन नहीं
प्रदेश प्रभारी हरिप्रसाद ने दावा किया है कि इस माह में जिलाध्यक्षों का चयन कर लिया जाएगा। हरियाणा अकेला राज्य है जहां सालों से संगठन नहीं है।आपसी खींचतान के चलते पार्टी चुनाव खत्म होने के 8 माह बाद भी प्रतिपक्ष का नेता घोषित नहीं कर पाई है।राहुल गांधी इस बार प्रतिपक्ष का नेता पद न तो पूर्व सीएम हुड्डा को और ना ही उनके समर्थक को देना चाहते हैं।जबकि हुड्डा समर्थक 31 से ज्यादा विधायकों ने हुड्डा के समर्थन में पत्र लिखा हुआ है।राहुल की असल परीक्षा हरियाणा में भी ही है।
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