कहा, रूसी तेल खरीद को लेकर अमेरिका अपना रहा दोहरे मापदंड
Crude Import From Russia (आज समाज), बिजनेस डेस्क : भारत और अमेरिका के बीच रूस से तेल आयात को लेकर और ट्रैरिफ पर विवाद लगातार गहराता जा रहा है। एक तरफ जहां अमेरिका की तरफ से भारत को रूस से तेल आयात करके रूस-यूक्रेन युद्ध को बढ़ावा देने आरोप लगाए जा रहे हैं तो वहीं भारत इस बात से इंकार करता आ रहा है। एक बार फिर से भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिकी टैरिफ पर जवाब देते हुए कहा है कि अमेरिका इस विषय पर दोहरी नीति अपना रहा है। विदेश मंत्री जयशंकर ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि भारत रूसी तेल का सबसे बड़ा खरीदार नहीं है, बल्कि चीन है।
भारत हर साल 130 अरब डॉलर से ज्यादा का तेल खरीद रहा
उन्होंने कहा कि भारत, चीन के बाद रूसी तेल का सबसे बड़ा खरीदार है। यूक्रेन युद्ध से पहले भारत रूस से सिर्फ 0.2% (68 हजार बैरल प्रतिदिन) तेल इम्पोर्ट करता था। मई 2023 तक यह बढ़कर 45% (20 लाख बैरल प्रतिदिन) हो गया, जबकि 2025 में जनवरी से जुलाई तक भारत हर दिन रूस से 17.8 लाख बैरल तेल खरीद रहा है। पिछले दो साल से भारत हर साल 130 अरब डॉलर (11.33 लाख करोड़ रुपए) से ज्यादा का रूसी तेल खरीद रहा है। वहीं भारत में रूसी डिप्लोमेट रोमन बाबुश्किन ने 20 अगस्त को बताया था कि भारत को रूस के कच्चे तेल पर करीब 5% की छूट मिल रही है।
अमेरिका ने टैरिफ के पीछे बताया नया कारण
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के ट्रेड एडवाइजर पीटर नवारो ने भारत पर रूस से तेल खरीदकर मुनाफाखोरी का आरोप लगाया है। नवारो ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि भारत सस्ते दाम पर रूस से कच्चा तेल खरीद रहा है, इंडियन कंपनियां उसे रिफाइन कर महंगे दाम पर दुनिया में बेच रही हैं। उन्होंने कहा कि इससे रूस को यूक्रेन जंग के लिए पैसा मिल रहा है, जबकि भारत मुनाफा कमा रहा है। उन्होंने कहा कि वे हमें सामान बेचकर मिलने वाले पैसे से रूसी तेल खरीदते हैं, जिससे तेल कंपनियां खूब पैसा कमाती हैं। इसलिए टैरिफ लगाना जरूरी है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि जंग की शांति का रास्ता भारत से होकर जाता है। नवारो ने कहा कि रूसी तेल खरीदने की वजह से भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाया है, 27 अगस्त से लागू होगा।
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