Cheque Bounce New Rules : चेक बाउंस को लेकर नए नियम 1 अप्रैल 2025 से लागू हो गए है। चेक बाउंस से सम्भंदित बढ़ती घटनाओं को लेकर नियमो को और भी सख्त किया है। इनका मकसद धोखाधड़ी पर लगाम लगाना, भुगतान प्रणाली को पारदर्शी बनाना और शिकायतों का त्वरित समाधान सुनिश्चित करना है।
नए नियमों के तहत अगर कोई जानबूझकर चेक बाउंस करता है तो उसे पहले से ज्यादा कड़ी सजा भुगतनी पड़ेगी। दोषी को दो साल तक की कैद और चेक की रकम से दोगुना तक जुर्माना हो सकता है।
पहले चेक बाउंस की शिकायत दर्ज कराने के लिए सिर्फ एक महीने का समय दिया जाता था, जिसे अब बढ़ाकर तीन महीने कर दिया गया है। इससे शिकायतकर्ता को अपना पक्ष रखने के लिए ज्यादा समय मिलेगा, जिससे न्यायिक प्रक्रिया और निष्पक्ष होगी। इतना ही नहीं मद्रास हाईकोर्ट ने कोर्ट में चल रहे चेक बाउंस के मामलों की सुनवाई की प्रक्रिया को तेज करने के लिए खास दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं।
ऑनलाइन होगी शिकायत, डिजिटल सबूत भी मान्य होंगे
अब चेक बाउंस की शिकायत ऑनलाइन भी कर सकेंगे और डिजिटल सबूत भी कोर्ट में मान्य होंगे। यह सुविधा खास तौर पर उन लोगों के लिए फायदेमंद होगी जो समय की कमी या दूर रहने के कारण पहले शिकायत दर्ज नहीं करा पाते थे।
सभी बैंकों के लिए एक जैसी प्रक्रिया लागू
नए नियमों के तहत अब सभी बैंकों के लिए एक जैसी प्रक्रिया लागू होगी। चेक चाहे किसी भी बैंक का हो, कार्रवाई एक जैसी और सख्त होगी। इतना ही नहीं, बैंक को खाताधारक और चेक प्राप्तकर्ता दोनों को 24 घंटे के अंदर एसएमएस और ईमेल के जरिए सूचित करना अनिवार्य होगा, जिसमें चेक बाउंस होने का स्पष्ट कारण भी बताना होगा।
अगर किसी व्यक्ति का चेक लगातार तीन बार बाउंस होता है तो संबंधित बैंक उसके खाते को अस्थायी तौर पर फ्रीज कर सकता है। ट्रांजेक्शन सिस्टम में अनुशासन बनाए रखने के लिए यह कदम उठाया गया है।
चेक बाउंस से कैसे बचें?
- खाते में पर्याप्त बैलेंस बनाए रखें।
- चेक पर तारीख और नाम सही से भरें।
- काली या नीली स्याही का ही इस्तेमाल करें।
- फटे या घिसे हुए चेक का इस्तेमाल न करें।
- सुनिश्चित करें कि चेक ‘अकाउंट पेयी’ के नाम से बना हो।
- अपने बैंक स्टेटमेंट को नियमित रूप से चेक करते रहें।
- अगर भुगतान में देरी हो रही है, तो पहले ही दूसरे व्यक्ति को सूचित करें।
कानूनी सजा क्या है?
नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट की धारा 138 के तहत चेक बाउंस होना एक आपराधिक अपराध है। इसके तहत दोषी को दो साल तक की जेल, चेक की राशि का दोगुना जुर्माना, कोर्ट फीस और वकील का खर्च हो सकता है। साथ ही बैंक की ओर से 100 से 750 रुपये तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
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