बच्चों के दिमाग पर गहरा प्रभाव डाल रहे चैटजीपीटी और एआई टूल्स
ChatGPT (आज समाज) नई दिल्ली: चैटजीपीटी जैसे एआई टूल्स पर लोगों की निर्भरता बढ़ती जा रही है लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये एआई टूल्स आपको किस तरह से नुकसान पहुंचा रहे हैं? हाल ही में एक स्टडी में चैटजीपीटी को लेकर चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि ये एआई टूल स्टूडेंट्स को मूर्ख बना रहा है या आप ये भी कह सकते हैं कि एआई के आने के बाद बच्चे दिमाग का कम इस्तेमाल करने लगे हैं।

एमआईटी के मीडिया लैब द्वारा लोगों के दिमाग पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में किए गए एक नए अध्ययन में खासतौर से छात्रों के बीच, पाया गया कि शैक्षणिक कार्य और सीखने के लिए चैटजीपीटी जैसे जनरेटिव एआई टूल का इस्तेमाल वास्तव में समय के साथ लोगों की सोचने की क्षमता को कमजोर बनाता जा रहा है।

18 से 39 वर्ष की आयु स्टूडेंट्स पर किया अध्ययन

इस अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने बोस्टन क्षेत्र के 18 से 39 वर्ष की आयु के 54 स्टूडेंट्स को तीन ग्रुप्स में बांट दिया और फिर हर ग्रुप के स्टूडेंट्स को एआई टूल की मदद से निबंध लिखने के लिए कहा गया। इस प्रक्रिया के दौरान, शोधकर्ताओं ने इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राफी के माध्यम से स्टूडेंट्स के बीच मस्तिष्क की गतिविधि की निगरानी की गई।

चिंताजनक नतीजे आए सामने

नतीजे चिंताजनक थे क्योंकि जो स्टूडेंट्स चैटजीपीटी का इस्तेमाल कर रहे थे उनमें ब्रेन एक्टिविटी लो लेवल में दिखाई दी। जिससे एक बात तो स्टडी में साफ हो गई कि चैटजीपीटी और अन्य एआई टूल्स खासतौर से बच्चों के दिमाग पर गहरा प्रभाव डाल रहे हैं। रिसर्च में पाया गया कि जिन स्टूडेंट्स ने अपने दिमाग का कम इस्तेमाल करते हुए निबंध लिखने के लिए चैटजीपीटी का इस्तेमाल किया। इन स्टूडेंट्स ने निबंध खुद नहीं लिखा था जिस वजह से स्टूडेंट्स को याद रखने में मुश्किल हुई।

इस बीच, जिन छात्रों ने बिना किसी डिजिटल टूल की मदद के काम किया, उनमें मस्तिष्क की सबसे अधिक सक्रियता देखी गई। ऐसे छात्रों के काम में क्रिएटिविटी और मैमोरी का बढ़िया तालमेल दिखाई दिया, क्योंकि स्टूडेंट्स ने अपने दिमाग का इस्तेमाल कर क्रिएटिविटी दिखाते हुए निबंध लिखा तो बच्चों को निबंध याद रखने में परेशानी नहीं हुई।