(Charkhi Dadri News) चरखी दादरी। अगर किसी भी लक्ष्य को पाना है तो उसके लिए सबसे पहले आवश्यकता होती है दृढ़ संकल्प को अपने हृदय में धारण करने की। हमारे लिए अपनी मंजिल को पाने का जूनून होना अत्यंत ही आवश्यक है। अगर इन दोनों को मिलाकर कड़ी मेहनत की जाए तो कोई भी ऐसा लक्ष्य नहीं है जिसे पाया नहीं जा सकता। यही साबित कर दिया है एक बार फिर गांव मानकावास निवासी जोगेंद्र सिंह के पुत्र युवा तैराक ईशांत सिंह ने। इस युवा ने हाल ही में जिस प्रकार से कडी ठंड व संमुद्री खतरों को मात देते हुए लंदन से फ्रांस तक के करीबन 47 किलोमीटर मार्ग को बिना डरे पार कर एक बार फिर से देश के नाम को पूरे विश्व में रोशन कर दिया है।

हम सब ईशांत सैन के उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं

यह जानकारी कॉमनवेल्थ गेम में देश को पहला पदक दिलाने वाले अर्जुन अवार्डी तैराकी टीम के ग्रुप लीडर प्रशांत करमाकर ने दी। उन्हेांने बताया कि युवा ईशांत सिंह ने ठंडे पानी एवं भारी हवाओ और तेज ज्वारिय धाराओं के बावजूद, समुद्री मार्ग द्वारा लंदन से फ्रांस की दूरी (47 किलोमीटर) है उसको आसानी से पार कर अपने देश का नाम रोशन किया है यह हम सब के लिए एक गर्व का पल है। हम सब ईशांत सैन के उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं।

पिता जोगेंद्र सिंह ने बताया कि इससे पहले भी गत अप्रैल माह में ईशांत सिंह ने भारत एवं श्री लंका के बीच स्थित रामसेतु को स्पर्श करके अपने नाम एक रिकार्ड कायम किया था। जबकि अभी मात्र 17 वर्ष 2 माह ही इसकी आयु है सभी को उम्मीद है कि आगे और अधिक देश के नाम को चमकाने के लिए वो प्रयास करेगा। हांलाकि दोनों ही यात्राएं इतनी आसान नहीं रही बल्कि दोनों जगहों पर खारे पानी से भरे संमुद्री क्षेत्रों में सार्क के साथ अन्य जीव जंतुओं की भरमार है। प्रशांत कर्मकार बताते हैं कि यह पूरा अभियान अधिकारियों की निगरानी में पूरा हुआ। उनकी टीम समुद्र में उतरी तब से लेकर अभियान पूरा होने तक नौसेना तथा वायु सेवा के जहाज की निगरानी में संमुद्री यात्रा युवा ने पूरी की। क्षेत्र के मौजिज व्यक्तियों ने बधाई दी व उज्ज्वल भविष्य की कामना की।

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