(Charkhi Dadri News) बाढड़ा। गर्मी से झुलस रहे क्षेत्र में तीन दिन पूर्व आई रिकार्ड 102 एमएम बरसात के बाद मौसम में नमी आते ही रेतीले क्षेत्र वाले दक्षिणी हरियाणा में बड़े स्तर पर बाजरे की बिजाई आरंभ हो गई है। जेठ माह में बाजरे की बिजाई को सबसे उपयुक्त माना जाता है और बिजली संचालित ट्यूबवैल की सिंचाई की बजाए बरसाती पानी से बिजाई को किसान ज्यादा फायदेमंद मानते हैं।

बाजरा इस क्षेत्र की खरीफ की एक मुख्य फसल है जिसकी काश्त राज्य के बारानी क्षेत्र महेंद्रगढ़, भिवानी, चरखी दादरी, रेवाड़ी, मेवात, गुडग़ांव, हिसार, रोहतक, झज्जर व जींद जिलों में होती है

दक्षिणी हरियाणा में राजस्थान सीमा के साथ लगने के कारण अधिकतर कृषि भूमि रेतीली होने के कारण व नहरी पानी आपूर्ति नाममात्र होने के कारण खरीफ सीजन में बाजरा ग्वार की फसल को ज्यादा प्राथमिकता देते हुए उसकी रिकार्ड रकबे में बिजाई की जाती है। मौजूदा समय में जिले भर कपास की केवल 35 हजार एकड़ में बिजाई की गई है वहीं दो लाख एकड़ में ग्वार, बाजरा की बिजाई की उम्मीद है। बाजरा इस क्षेत्र की खरीफ की एक मुख्य फसल है जिसकी काश्त राज्य के बारानी क्षेत्र महेंद्रगढ़, भिवानी, चरखी दादरी, रेवाड़ी, मेवात, गुडग़ांव, हिसार, रोहतक, झज्जर व जींद जिलों में होती है। अत्यधिक उपज क्षमता , सूखा सहिष्णु स्वभाव के साथ ही पशु आहार और चारे के काम में लाए जाने वाले गुणों के कारण बारानी क्षेत्रों में इसका समन्वित कृषि और पशुधन में उच्च स्थान रहता है। जिले में आई बरसात पर नजर डाली जाए तो खंड दादरी में 34 एमएम, खंड बोन्द में 12 एमएम और सर्वाधिक वर्षा खंड बाढड़ा में 102 एमएम हुई है जिससे तापमान में काफी गिरावट आई है।

जिला कृषि विषय विशेषज्ञ डा. चंद्रभान श्योराण ने बताया इस बरसात से सभी खरीफ़ की मुख्य फसलों जैसे कपास, सब्जियां, बागवानी आदि में बहुत फायदा होगा और किसानों ने राहत की सांस ली है। अधिक गर्मी और लू, गरम हवा के चलने से फसलें मुरझाने लगी थी और कहीं कहीं पौधे जलने की समस्या भी आने लगी थी। ऐसे समय में यह वर्षा फसलों के लिए संजीवनी का काम करेगी जिससे उनमें रौनक आना स्वाभाविक है। दुधारु पशुओं में गर्मी का प्रतिकूल प्रभाव दिखाई देने लगा था।

इस वर्षा से निरीह मवेशियों, पालतू पशुओं को भी तापमान में गिरावट आने से सुकून मिलेगा। कुल मिलाकर इस वर्ष से चौतरफा फायदा हुआ है। किसान अपनी कपास के खेत मे निराई गोड़ाई का कार्य अवश्य करें ताकि पौधों की जड़ों को हवा मिल सके और ये जड़ें रोग रहित व मजबूत बन सकें। खरीफ सीजन में इस वर्ष जिला चरखी दादरी में लगभग 35000 एकड़ क्षेत्र में कपास की बिजाई हो चुकी है तथा अन्य फसलें जैसे चारा आदि की फसलें भी बिजाई की गई है।

किस्मों में सजगता बरतें किसान

जिला कृषि विषय विशेषज्ञ डा. चंद्रभान श्योराण ने बताया कि शनिवार रात्रि को तूफानी बरसात प्रदेश की दक्षिणी हरियाणा की कृषि क्षेत्र के लिए लाभदायक रहेगी। इस खरीफ मौसम में कपास की बिजाई का कार्य लगभग पूरा हो चुका है। कपास के साथ साथ हर चारा की फसलें भी रौनक पर आएंगी क्योंकि पारा 45 डिग्री पार होने से फसलें मुरझाने लगी थी। पश्चिमी विक्षोभ के कारण मौसम में आए बदलाव से जिला चरखी दादरी में औसतन अच्छी वर्षा हुई है हालांकि तेज तूफान से कहीं कहीं पेड़ पौधों का नुकसान भी देखने को मिला है। दक्षिणी हरियाण की मई माह की मौजूदा किस्मों एचएचबी 299, एचएचबी 311, पी 9001, पीओ 86 एम 86, पीओ 86 एम90, एचएचबी 94, एचएचबी 197, एचएचबी 223, एचएचबी 226 व देशी किस्मों में एचसी 10, एचसी 20 को सबसे अधिक फायदेमंद माना जाता है। उन्होंने किसानों से सजगता व जागरुकता बरतते हुए इन फसलों की बिजाई में रासायनिक खादों की बजाए देशी खाद का प्रयोग करने की आह्वान किया।

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