• सरकारी भरोसा छोडक़र, पेयजल आपूर्ति के लिए सामाजिक संस्थाएं आगे आएं

(Charkhi Dadri News) बाढड़ा। दक्षिणी हरियाणा में पिछले एक माह से ग्रामीण व शहरी क्षेत्र के लोग पेयजल का संकट झेल रहे हैं। जनता को स्वच्छ व समय पर पेयजल मिलेगा इसकें लिए सरकारी भरोसे को छोडक़र सामाजिक संस्थाओं को एक एक गावं व शहर के वार्ड गोद लेकर उनमें पेयजल आपूर्ति करनी चाहिए।

यह बात युवा कल्याण संगठन प्रदेश सरंक्षक कमल प्रधान भिवानी ने कस्बे में सामाजिक कार्यकर्ताओं से मुलाकात करते हुए कही। उन्होंने कहा कि जिले की जनता ने लोकसभा व विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशियों को विजी बनाया और वह आज सत्ता में ऊंचे पदों पर बैठे हैं लेकिन दुर्भाग्य है कि पिछले बीस वर्षो से पहली बार डेढ डेढ माह तक नहरी पानी आपूर्ति ठप्प रही है। एक सप्ताह से गर्मी अपने शिखर पर होने से पानी की खपत और ज्यादा बढ़ गई है, इसके बावजूद पानी की किल्लत बढ़ती ही जा रही है। ग्रामीण इलाको में जैसे तैसे काम चल रहा है परंतु शहरवासियों के लिए पीने के पानी की भी किल्लत बनी हुई है।

एक पानी का टैंकर लगभग 2 हजार रुपए में खरीदना पड़ रहा है जोकि आम आदमी के लिए बड़ा मुश्किल है

इस पर सामाजिक संगठनों ने आवाज उठाई और जनप्रतिनिधियों पर पेयजल आपूर्ति व्यवस्था करवाने का दबाव बनाया लेकिन यह अभी भी मूकदर्शक बने हुए हैं। विभिन्न सामाजिक संगठनों ने जन प्रतिनिधियों की कार्यशैली पर आरोप लगाया और कहा है कि लोगों को पानी अपने स्तर पर खरीदना पड़ रहा है। चुनाव के समय बड़ी बड़ी बात करने वाली राजनेता और सता में बैठे सरकार के जनप्रतिनिधियों को आम जनता की समस्याओं के कोई सरोकार नहीं है। युवा कल्याण संगठन के संयोजक कमल प्रधान ने कहा कि एक पानी का टैंकर लगभग 2 हजार रुपए में खरीदना पड़ रहा है जोकि आम आदमी के लिए बड़ा मुश्किल है।

जनप्रतिनिधियों को पानी की व्यवस्था की ओर ध्यान देना चाहिए या वैकल्पिक टैंकरों से पीने के पानी की व्यवस्था करवानी चाहिए। उन्होंने लोगों की परेशानियों को जायज बताया क्योंकि बिजली-पानी के कारण उन्हें आर्थिक नुकसान भी झेलना पड़ रहा है। पीने के पानी के लिए वो कैंपर व पानी की घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए टैंकर खरीदने को विवश हैं। उन्होंने भी पानी की किल्लत के लिए पूरी तरह से सरकार का फेलियर माना है। कमल प्रधान ने कहा कि जब सरकार में बैठे लोग पीने के पानी की व्यवस्था तक करवाने में विफल हो रहे हैं तो उन्हें सत्ता में बैठे रहने का कोई अधिकार नहीं है वहीं अब सामाजिक संगठनों को इसमें आगे आकर कल्याणकारी भावना से पेयजल आपूर्ति करनी चाहिए। उनके अलावा अनिल शेषमा, दुष्ंत कलकल, सत्यपाल श्योराण, शक्ति पहलवान, मुकेश शर्मा ढाणीमाहू इत्यादि मौजदू रहे।

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