दूर होगा राहु-केतु और शनि का बुरा प्रभाव
Kaal Bhairav Ashtami, (आज समाज), नई दिल्ली: देशभर में आज काल भैरव अष्टमी मनाई जा रही है। इस दिन श्रद्धालु अपनी-अपनी मनोकामना पूरी करवाने के लिए भगवान काल भैरव का व्रत भी रखते हैं। हिंदू धर्म में इस व्रत का विशेष महत्व है क्योंकि यह भगवान शिव के रौद्र और उग्र स्वरूप काल भैरव जी को समर्पित है। मान्यता है कि इस व्रत से जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता आती है, साथ ही राहु-केतु या शनि दोषों के अशुभ प्रभाव भी समाप्त हो जाते हैं।
काल भैरव अष्टमी का महत्व
इसे भैरव अष्टमी या कालाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान काल भैरव का प्राकट्य हुआ था। इस तिथि पर उनकी पूजा करने से साधक को भय, पाप और सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति मिलती है।
कालभैरव व्रत आज रखा जाएगा। इसका महत्व इसलिए भी खास है क्योंकि भगवान शिव ने ब्रह्मा द्वारा किए गए अहंकार और अन्याय के विरोध में अपने आक्रामक रूप कालभैरव को प्रकट किया था। इसे काली शक्ति और समय-मृत्यु के प्रभुत्व का प्रतीक माना जाता है।
व्रत और पूजा की विधि
व्रत वाले दिन पूजा की विशेष विधि अपनानी होती है। श्रद्धालुओं को सूर्योदय से पूर्व स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए। इसके बाद भगवान काल भैरव की प्रतिमा या चित्र के सामने दीप, धूप और पुष्प अर्पित करके पूजा करनी चाहिए। इस दिन श्रद्धालु काल भैरव मंदिर में या घर पर सरसों के तेल का दीपक जलाकर भैरव बाबा का ध्यान कर सकते हैं।
पूजा में विशेष रूप से काला तिल, तिल का तेल, काले कपड़े, सुपारी और मिष्ठान अर्पित किए जा सकते हैं। भगवान काल भैरव का सबसे प्रिय भोजन जलेबी या इमरती मानी जाती है, इसलिए इसे भी भोग के रूप में चढ़ाया जा सकता है।
इस मंत्र का 108 बार जाप करें
पूजा और अर्चना के बाद आरती और ॐ भैरवाय नम: मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें और भजन-कीर्तन करें। इस दिन व्रत कर्ता यदि संभव हो सके तो पूर्ण उपवास रखें, नहीं तो फलाहार का सेवन किया जा सकता है।
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