Chandigarh news: (आज समाज): शिवालिक विकास मंच प्रदेश अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व सचिव विजय बंसल एडवोकेट ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को ज्ञापन भेज कर बंद पड़ी सीमेंट फैक्ट्री की मल्लाह क्वारी की खाली जमीन और एचएमटी ट्रैक्टर प्लांट सहित एचएमटी की खाली पड़ी जमीन को हरियाणा सरकार टेकओवर कर चुकी जमीन पर उद्योग धंधे लगाने की मांग की है।
विजय बंसल ने कहा कि लगभग 9 वर्ष पूर्व हरियाणा की भाजपा सरकार ने कालका, पिंजौर क्षेत्र को औद्योगिक रूप से पिछड़ा क्षेत्र घोषित किया था लेकिन यहां पर अभी तक एक भी उद्योग नहीं लगा है। बल्कि यहां की फैक्ट्री को बंद करने का काम किया गया। बंसल ने मांग की है कि उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के बद्दी की तर्ज पर कालका सहित पूरे शिवालिक क्षेत्र के उद्योगिक पैकेज दिया जाए।
विजय बंसल एडवोकेट ने भाजपा पर जोरदार हमला करते हुए कहा कि जब-जब बीजेपी सत्ता में आई तब तब कालका में बेरोजगारी बढ़ाई। उन्होंने बताया कि सन 1997 में तत्कालीन हविपा- भाजपा सरकार के कार्यकाल में एसीसी सूरजपुर और मल्लाह की फैक्ट्रियां बंद कर दी गई थी इसके बाद भारी बेरोजगारी के कारण सूरजपुर और मल्लाह गांवो के लोग भारी संख्या में पलायन कर दूसरी जगहो पर जाने को मजबूर हो गए शेष जो लोग रह गए हैं उन्हें भी भारी आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है।
विजय बंसल ने बताया कि वर्ष 2016 में बीजेपी की केंद्र सरकार ने पिंजौर, कालका सहित जिला पंचकूला की जीवन रेखा कही जाने वाली सार्वजनिक उपक्रम एचएमटी ट्रैक्टर फैक्ट्री को भी बंद करने का निर्णय लिया था जिसके बाद हजारों कर्मचारी प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से बेरोजगार हो गए। एचएमटी ट्रैक्टर फैक्ट्री पर निर्भर जिला पंचकूला सहित आसपास के पंजाब के  मोहाली जिला शाहिद अन्य राज्यों के छोटे उद्योग एनसैलरीज बंद हो गई।
किस कारण अब बेरोजगारी अपनी चरम सीमा पर पहुंच चुकी है। अब स्थानीय युवाओं को साथ लगते हिमाचल प्रदेश के बद्दी और परवाणु की कंपनियों में कम सैलरी में नौकरी करने पर मजबूर होना पड़ रहा है। विजय बंसल ने कहा कि इसी के चलते कई लोग अब पिंजौर एवं आसपास के क्षेत्र से पलायन करने का विचार करने लगे हैं। इतना ही नहीं फिलहाल एचएमटी में मशीन टूल्स चल रही है जिसमें नामात्र कर्मचारी हैं जिन्हे पिछले कई महीनों की सेलरी नहीं मिली है सरकार की गलत नीतियों के कारण मशीन टूल्स भी बंद होने के कगार पर पहुंच चुका है।
विजय बंसल ने कहा कि 9 साल पहले हरियाणा सरकार ने कालका क्षेत्र को औद्योगिक पिछड़ा क्षेत्र घोषित किया था जिसमें पिंजौर क्षेत्र को बी कैटागिरी में शामिल किया गया था, परंतु 9 साल में हरियाणा सरकार यहां पर कोई भी उद्योग नहीं लगा पाई। इससे पूर्व की कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में भी कालका को उद्योगिक रुप से पिछड़ा क्षेत्र घोषित किया जा चुका है लेकिन यहां पेरीफेरी एक्ट 1952 और अब धारा 7ए लागू करने के कारण उद्योग नहीं लग पा रहे हैं जिससे बेरोजगारी बढ़ी है सरकार को पेरीफेरी एक्ट और धारा 7ए तुरंत हटाकर यहां उद्योगिकरण को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। यहां के विकास में पेरीफेरी एक्ट सबसे बड़ी अड़चन है। हालांकि इसी दौरान जिला पंचकूला के बरवाला व रायपुररानी क्षेत्र को भी औद्योगिक पिछड़ा क्षेत्र घोषित किया था जहां पर इस समय करीब सैकड़ों उद्योग लगने के लिए निर्माण कार्य चल रहा है।
पिंजौर क्षेत्र में कोई भी उद्योग नहीं लग पाया हैरानी की बात है कि यहां पर नया उद्योग लगाने के लिए करोड़ों खर्च करके अलग से जमीन अधिग्रहण नहीं करनी पड़ेगी। क्षेत्र में औद्योगिक प्रयोग के लिए सैकड़ों एकड़ भूमि खाली पड़ी है। बावजूद इसके किसी किसी भी सरकार ने यहां नया उद्योग लगाने के प्रयास नहीं किए।
बंसल ने बताया कि मौजूदा समय में पिंजौर ब्लॉक के गांव मल्लाह में सीमेंट में प्रयोग होने वाले कंलीकर चूना पत्थर की करीब 800 एकड़ भूमि में चट्टानें फैली हुई हैं यहां केवल सीमेंट उद्योग लगाया जा सकता है। प्रदेश सरकार ने एसीसी सीमेंट कंपनी को यह जमीन लीज पर दे रखी थी लेकिन फैक्टरी बंद होने के बाद गत 28 साल बाद प्रदेश सरकार ने कंपनी से जमीन और मशीनरी टेक ओवर की है लेकिन यहां उद्योग लगाने की ओर कोई ध्यान नहीं दिया।
उन्होने कहा कि गांव सूरजपुर में सन 1937 में तत्कालीन महाराजा पटियाला ने लगभग 183 एकड़ भूमि पर एसीसी सीमेंट फैक्टरी लगवाई थी। सन 1997 में फैक्टरी बंद होने के कारण जमीन अभी तक खाली पड़ी है, इसी प्रकार एचएमटी की करीब 846 एकड़ जमीन है जिसमें से करीब 400 एकड़ सरकार के एचएसआईडीसी के पास है जिसमें से करीब 100 एकड़ सेब मंडी को दे दी गई बाकी अभी सरकार के पास है उस पर आसानी से कई उद्योग लगाकर क्षेत्र की बेरोजगारी को दूर किया जा सकता है और बंद पड़ी एचएमटी ट्रैक्टर फैक्टरी को भी दोबारा चालू किया जा सकता है लेकिन कंमजोर नेतृत्व के कारण और सरकार की कालका, पिंजौर से विकास के मामले में भेदभाव करने के चलते स्थानीय बेरोजगार युवकों के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा सका है।