जिंदल स्टेनलेस के चेयरमैन श्री रतन जिंदल ने कहा कि अगर भारत सचमुच एक वैश्विक विनिर्माण महाशक्ति बनना चाहता है, तो स्टेनलेस स्टील उसकी सबसे मजबूत नींव में से एक होना चाहिए। 2047 तक स्टेनलेस स्टील की खपत 20 मिलियन टन से अधिक होने की संभावना है, इसलिए हमें तीन मुख्य रास्तों से इस क्षेत्र को आगे बढ़ाना चाहिए। पहला, बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ानी चाहिए। दूसरा, अनुसंधान में निवेश करना, डिजिटल तकनीक का उपयोग बढ़ाना, उद्योग और शिक्षा संस्थानों के बीच सहयोग बढ़ाना, और टिकाऊ उत्पादन को बढ़ावा देना जरूरी है। तीसरा, सरकार के साथ मिलकर खासकर छोटे और मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) के लिए समान अवसर बनाए रखना चाहिए, और चीन से सस्ते और सब्सिडी वाले आयातों को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने चाहिए, खासकर जब ये माल वियतनाम जैसे देशों के जरिए आते हैं। मैं सरकार के समर्थन की सराहना करता हूँ, जिन्होंने मेक इन इंडिया, गुणवत्ता मानक और बुनियादी ढांचे में निवेश से इस क्षेत्र को मजबूत किया है। हमारे उद्योग के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए एक राष्ट्रीय स्टेनलेस स्टील नीति की तत्काल जरूरत है, जो कच्चा माल उपलब्ध कराए, दीर्घकालिक विकास को बढ़ावा दे और खासकर एमएसएमई को संसाधन उपलब्ध कराए। इन कदमों से भारत जल्दी ही टिकाऊ और उच्च गुणवत्ता वाले स्टेनलेस स्टील के उत्पादन में विश्व में नेतृत्व करेगा।
भारतीय स्टेनलेस स्टील उद्योग के हितों की सुरक्षा के लिए सरकार और उद्योग के हितधारकों को सतर्क रहना होगा, आयात के रुझानों पर बारीकी से नजर रखनी होगी, और आवश्यक सुरक्षात्मक उपायों को सक्रिय रूप से लागू करना होगा। आईएसएसडीए सरकार और उद्योग भागीदारों के साथ मिलकर इन चुनौतियों का सामना करने और भारत के स्टेनलेस स्टील उद्योग की दीर्घकालिक वृद्धि को सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
भारत की स्टेनलेस स्टील उत्पादन क्षमता 7.5 मिलियन टन है, जिसमें फिलहाल लगभग 60ः क्षमता का उपयोग हो रहा है। इसका मतलब है कि अगर सही नीतियां बनी रहें और मांग बनी रहे, तो उत्पादन बढ़ाने की अच्छी संभावनाएं हैं।