इस समय जिंदल आइवीएफ में ओसाइट फ्रीजिंग, एम्ब्रियो फ्रीजिंग और शुक्राणु सुरक्षित रखना जैसी सुविधाएं दी जा रही हैं। ये तकनीकें खासतौर पर उन मरीजों के लिए बहुत जरूरी हैं जिन्हें ब्रेस्ट कैंसर, एंडोमेट्रियल कैंसर, रेक्टल कैंसर, शुरुआती ओवरी कैंसर जैसी बीमारियां होती हैं। इसके अलावा, उम्र बढ़ने से घटती प्रजनन क्षमता से जूझ रहे लोगों के लिए भी ये तकनीक काफी फायदेमंद हैं। शादीशुदा महिलाएं आमतौर पर भ्रूण को फ्रीज कराना पसंद करती हैं, ताकि भविष्य में मां बन सकें। वहीं, टेस्टिकुलर कैंसर, लिंफोमा और क्रॉनिक मायलॉयड ल्यूकेमिया जैसे कैंसर से जूझ रहे पुरुषों के लिए स्पर्म फ्रीजिंग एक लाइफ सेविंग ऑप्शन बनकर सामने आया है।
जिंदल आइवीएफ में फर्टिलिटी प्रिजर्वेशन (प्रजनन क्षमता को सुरक्षित रखने) के लिए आने वाले अधिकतर मरीज 18 से 30 साल की उम्र के होते हैं। जब किसी मरीज को शुरुआती स्टेज का कैंसर निदान होता है, तो उन्हें जल्दी ही जिंदल आइवीएफ के पास भेजा जाता है ताकि इलाज शुरू होने से पहले समय पर जरूरी कदम उठाए जा सकें।
ऑन्कोफर्टिलिटी के महत्व पर बात करते हुए, जिंदल आइवीएफ की सीनियर कंसल्टेंट और आईवीएफ एक्सपर्ट डॉ. उमेश जिंदल ने कहा कि कैंसर का पता चलना यह मतलब नहीं है कि कोई माता-पिता बनने का सपना छोड़ दे। उन्होंने बताया कि हमारा फर्टिलिटी प्रिजर्वेशन प्रोग्राम मरीजों को सिर्फ मेडिकल सहायता ही नहीं देता, बल्कि इमोशनल और एथिकल सपोर्ट भी देता है ताकि वे इलाज के साथ-साथ परिवार की उम्मीद भी बनाए रख सकें। डॉ. जिंदल ने कहा कि जिंदल आइवीएफ ने ऑन्कोफर्टिलिटी तकनीकों को बहुत पहले अपनाया और लगातार कैंसर एक्सपर्ट्स के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। यही कारण है कि हम उन मरीजों को समय पर, समझदारी और सहानुभूति के साथ इलाज दे पा रहे हैं, जो एक साथ दो बड़ी लड़ाइयां लड़ रहे हैं, कैंसर से और अपनी प्रजनन क्षमता खोने के डर से।