(Chandigarh News) चंडीगढ़। चंडीगढ़ डॉक्टर्स डे जैसे ही 1 जुलाई को मनाया जा रहा है, फ़ोर्टिस हॉस्पिटल मोहाली के वरिष्ठ विशेषज्ञों ने डॉक्टरों के जीवन के एक अत्यंत महत्वपूर्ण लेकिन अक्सर नज़रअंदाज़ किए जाने वाले पहलू—उनके अपने मानसिक स्वास्थ्य—पर प्रकाश डाला।डॉ. अतुल जोशी, डायरेक्टर, जनरल सर्जरी, लैप्रोस्कोपिक व ऑन्कोलॉजी सर्जन, फ़ोर्टिस हॉस्पिटल मोहाली ने कहा कि अनगिनत कार्य घंटे, मजबूत कार्य संस्कृति, मरीजों के लिए हर समय उपलब्ध रहना, एक बेहद समझदार पत्नी और समर्पित टीम—ये सभी मेरे पिछले 17 वर्षों के सफर को संभव बना पाए। मेरे लिए सर्जरी करना कभी ‘काम’ नहीं रहा, बल्कि यह मेरे लिए पूजा के समान है। नियमित छोटे मेडिटेशन सेशन और योग मेरे जीवन में जादू की तरह काम करते हैं। साल में दो बार मैं अवकाश लेकर देशभर के ज़रूरतमंद लोगों की सेवा करने के लिए नि:शुल्क चिकित्सा शिविरों में भाग लेता हूँ।

डॉ. हरदीप सिंह, सीनियर कंसल्टेंट, डिपार्टमेंट ऑफ मेंटल हेल्थ का कहना है कि भले ही डॉक्टरों को संकट प्रबंधन की ट्रेनिंग दी जाती है, लेकिन मानसिक और भावनात्मक असर बहुत गहरा होता है।हर जीवन जिसे हम छूते हैं, हमारे भीतर एक छाप छोड़ता है। इसलिए मैं प्रतिदिन ध्यान और पठन का अभ्यास करता हूँ— यह मुझे अपनी भावनाओं को समझने और मानसिक रूप से संतुलित रहने में मदद करता है। वे शाम के समय संगीत सुनना भी बेहद पसंद है, जिससे वे गंभीर क्लीनिकल घंटों के बाद खुद को शांत और तरोताज़ा महसूस करते हैं।

डॉ. स्वप्ना मिसरा, डायरेक्टर, ऑब्स्टेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी ने कहा, डॉक्टर होना एक सौभाग्य है, लेकिन इसका दबाव कभी खत्म नहीं होता। मैं बागवानी और शाम की सैर के माध्यम से खुद को रिलैक्स करती हूँ—ये छोटे लेकिन प्रभावशाली आत्म-देखभाल के तरीके हैं। डॉ. मिसरा को एडवेंचर स्पोर्ट्स का भी शौक है, और जब भी समय मिलता है, वे अपने व्यस्त दिनचर्या से ब्रेक लेकर उसमें भाग लेती हैं।

इन सभी डॉक्टरों ने इस बात पर जोर दिया कि डॉक्टर्स डे पर प्रशंसा तो अच्छी लगती है, लेकिन डॉक्टरों को सबसे ज़्यादा ज़रूरत एक सहयोगात्मक कार्य वातावरण की होती है, जो उन्हें फ़ोर्टिस हॉस्पिटल मोहाली में मिलता है। यहां उन्हें भावनात्मक रूप से संभलने, साथियों से सहयोग पाने और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी सुविधाओं की पूरी व्यवस्था है।
वे याद दिलाते हैं कि डॉक्टर भी इंसान होते हैं। “खुद की देखभाल करना स्वार्थ नहीं, आवश्यकता है। एक मानसिक रूप से मजबूत डॉक्टर ही अपने मरीजों और स्वयं के लिए सबसे बड़ा उपहार है।

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